Wednesday, March 31, 2010

सोनिया गाँधी का य़ू टर्न !!!


सोनिया गाँधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् क़ी अध्यक्ष बन गयी है!नयी बात ये है क़ी चार साल पहले उन्होंने इसी पद को त्याग दिया था और कहा था क़ी वे राजनीती  में केवल सेवा करने आई है ,सत्ता सुख लेना उनका उद्देश्य नहीं है!तब उनकी खूब वाहवाही हुई थी,किन्तु अब ऐसा क्या हुआ जो उन्हें इस पद क़ी जरूरत आ पड़ी!सत्ता पर उनका पूरा नियंत्रण है ही! कांग्रेस में उनकी मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता!प्रधानमंत्री रबड़ स्टंप मात्र है!लेकिन फिर भी कुछ ऐसा है जिससे वे भयभीत है...
                                           दरअसल राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् क़ी कोई ख़ास जरूरत भी नहीं है क्यूंकि प्रधानमंत्री कार्यालय और केबिनत के चलते इसकी कोई विशेष भूमिका नहीं है!परन्तु सोनिया येन केन ,हर हालत में पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहती है!उन्हें ये डर सताता है क़ि मनमोहन तो ठीक है पर कोई अन्य नेता पार्टी या संगठन में हावी ना हो जाये!इसी डर के चलते वे जहाँ राहुल को स्टेप बाई स्टेप आगे बढ़ा रही है ,वंही खुद पार्टी में सर्वेसर्वा बनी हुई है!किन्तु इन सब के चलते उन्होंने जो त्याग और बड़प्पन  दिखाया था ,वो सब पीछे छूट गया है!
         कभी महान नेताओं के लिए जानी जाने वाली पार्टी क़ी ये हालत देख कर तरस आता है!इसमें नेताओं का अकाल सा हो गया है !जो बचे है वो भी किसी तरह अपनी हैसियत बचाने में लगे है!सोनिया राहुल के बाद द्वितीय पंक्ति जैसे ख़त्म सी हो गयी है!राहत क़ी बात ये है कि बी जे पी खुद अपने आप से लड़ रही है!इसीलिए कांग्रेस अपनी नाकामिया छुपाती हुई सोनियामय होती जा रही है..

Thursday, March 18, 2010

यार तुम सोचते बहुत हो?

आजकल ये   हमारे यहाँ खूब चल रहा है!आप कोई भी बात करो अगला यही कहता है!अब मामला चाहे आंतकवादियों का हो या आई पी एल का ..जवाब तैयार है!मैंने कहा आंतकवादियों को पाकिस्तान रोक नहीं रहा,आई पी एल में खिलाडी घायल होते रहे तो वर्ल्ड कप में क्या होगा?बस इतने में तो आ गया जवाब..यार तुम सोचते बहुत हो? अरे मैं नहीं सोचूं ,तुम नहीं सोचो ..तो फिर कौन सोचेगा? नेता तो पहले से ही कुछ नहीं सोचते...सरकार सोचने क़ि इस्थिति में ही नहीं है!विपक्ष सरकार गिराने के अलावा कुछ नहीं सोचता!तो फिर इस देश का क्या होगा?


पता नहीं लोग इतने बेफिक्र से क्यूँ हो गए है !सड़क पर घायल पड़ा है पर कोई नहीं सोचता!महंगाई बढती जा रही है पर कोई नहीं सोचता!पेट्रोल डीज़ल के भाव बढ़ते जा रहे है पर कोई बात नहीं!बम विस्फोट में लोग मारे गए,कोई बात नहीं !मुझे याद है जब मैं छोटा था ..गर्मी के दिनों में जब बिजली काटी जाती थी तो हंगामा हो जाता था!कई बार बिजली विभाग के कर्मचारी पिट भी जाते थे..!आखिर में बिजली बहाल करनी ही पड़ती थी!और अब अगर २ दिन भी बिजली नही आये तो आवाज़ भी नहीं होती!क्यूंकि सब घरों में इनवर्टर लग गए है,जो गरीब नहीं लगा पाए उनकी कोई सुनता नहीं! लेकिन मैं इस देश का नागरिक होने के नाते सोच भी नहीं सकता...????? तो आखिर कौन सोचेगा भाई???/ इस सोचने के चक्कर में हमारे देश का कबाड़ा हो गया है!एक पिद्दी सा पडोसी देश हमें धमकता है,दूसरा आँखे दिखाता है..!कोई कारवाई तो दूर ,हम सोच भी नहीं रहे!आंतकवादियों के पाकिस्तानी केम्पों को तबाह कर देना चाहिए..पर कोई सोचे तो सही!

अब यही हाल क्रिकेट का भी है!कोई भी नहीं सोच रहा..बस खिलाडी खेल रहें है..हम देख रहे है..देश जाये भाड़ में ! आई पी एल के बाद वर्ल्ड कप में रेस्ट कर लेंगे...हार भी गए तो क्या कौन सोचता है यार!!!!पर आप चाहे कुछ भी कहो ..मैं तो जरूर सोचूंगा....

Tuesday, March 9, 2010

कण कण में भगवान...फिर इनका क्या काम?

सभी तरफ इन बाबाओं के चर्चे है!इनकी विलासिता देख कर हैरानी होती है!झांसे देने में ये नेताओं से भी आगे निकल गए है क्यूंकि नेता तो खुद इनके चेले है!गरीबी और बेरोज़गारी के चलते इनका धंधा कभी मंदा नहीं होता!बस एक बात मेरी समझ से बाहर है क़ि आखिर इतना कुछ होने के बाद भी जनता का इनसे मोह भंग क्यूँ नहीं होता!
  पंजाब में आंतकवाद समाप्त होने के बाद तथाकथित ड़ेरों क़ी बाढ़ सी आ गयी थी,और अब ये इतने शक्तिशाली हो गए है कि स्थानीय राजनीती को प्रभावित करने लगे है!शुरू शुरू में लगभग सभी बाबा कथा वाचन से अपना कैरियर प्रारंभ करते है ..और जब भीड़ जुटने लग जाती है तो फिर ये अपनी असली भूमिका में आ जाते है!मुझे याद है किस तरह एक प्रसिद्ध डेरे पर लोग केवल इसलिए जाने लगे थे कि वहां आम जरूरत का सामान बाज़ार से सस्ता मिलता था!लोग २-३ दिन वहां घूमते थे और फिर राशन लेकर आ जाते थे!बाद में ये डेरा भी अनेकों विवादों में फंस गया..
                                                                                                    स्वामी नित्यानंद,भिमानंद अकेले ऐसे नहीं है,ये तो सामने आ चुके है!अभी न जाने कितने नाम सामने आने बाकि है!इस समस्या का समाधान यही है कि जनता इश्वर प्राप्ति के लिए इन ढोंगी बाबाओं का सहारा लेना छोड़ दे ,जो खुद  को भगवान् बताने लगते है!
आज गुरु कि खोज मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव भी नहीं है!असाधारण ज्ञान रखने  वाले अनेको महापुरुष आम जन की तरह ही रह रहे है,बस जरूरत है उन्हें पहचानने की! इन ढोंगियों के कारण कितना नुक्सान हुआ है ,ये सोचने की बात है...