tag:blogger.com,1999:blog-4921822881311704856.post6941589413924976803..comments2023-10-21T21:48:29.889+05:30Comments on ये दुनिया है....: क्यों ना हम अपना राष्ट्रीय खेल बदल दें..?RAJNISH PARIHARhttp://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4921822881311704856.post-82546078704394339552010-01-24T21:06:24.868+05:302010-01-24T21:06:24.868+05:30बहुत बढ़िया लिखा है आपने! हाकी राष्ट्रिय खेल है हम...बहुत बढ़िया लिखा है आपने! हाकी राष्ट्रिय खेल है हमारे देश का पर क्रिकेट का जैसा इतना क्रेज़ किसी भी खेल में नहीं है! मेरा तो पसंदीदार खेल क्रिकेट है!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921822881311704856.post-67271330713184378942010-01-21T21:20:17.912+05:302010-01-21T21:20:17.912+05:30ये तो बिलकुल वो सुझाव है की नाच नहीं आवे तो आँगन ट...ये तो बिलकुल वो सुझाव है की नाच नहीं आवे तो आँगन टेढा /<br />आपकी रचना में छुपा दुःख और व्यंग का भाव पुरे शिद्दत से समझ में आता है / जनता गाफिल नहीं है खिलाडियों को भी ज्यादा नहीं तो कम तो दोष मै तो दूंगा ही क्यों की उन्होंने ने भी कोइ एसा कारनामा नहीं कर दिखाया की जनता भौचक्की रह जाये और तवज्जो देने पर मजबूर हो जाये / दोष जाती तौर पर आकाओं का है जो अपनी उदरपूर्ति के लिए खेल खेल में खेल का खेल बनाये हुए है /<br />पुनश्च , आप ज्यादाती देखकर चुप बैठने के आदि नहीं है और टोका टोकी करने के आदि है लिहाजा मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित है /<br />थैंक्स /Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921822881311704856.post-8942303170245616772010-01-14T17:45:38.038+05:302010-01-14T17:45:38.038+05:30सही कहा आपने।सही कहा आपने।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921822881311704856.post-646776071546439232010-01-14T17:21:37.708+05:302010-01-14T17:21:37.708+05:30बहुत बडा सच है ये. क्रिकेट के लिये जो दीवानगी है, ...बहुत बडा सच है ये. क्रिकेट के लिये जो दीवानगी है, वो हॉकी के लिये नहीं है. बहुत अच्छी पोस्ट.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921822881311704856.post-72821691442472463852010-01-13T00:11:18.034+05:302010-01-13T00:11:18.034+05:30भारत में जो भी चीज़ राष्ट्रीय घोषित होती है उसका क...भारत में जो भी चीज़ राष्ट्रीय घोषित होती है उसका काम लग जाता है. जैसे बाघ राष्ट्रीय पशु बना तो वह लुप्तप्रायः हो गया. जैसे मोर, आजकल कहीं दिखाई नहीं देता. जैसे हाकी, मिट गई. जैसे गंगा (राष्ट्रीय नदी), अघोषित नाला बन गई. दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी, भारत का गन्दा और बदनुमा चेहरा. <br /><br />इसी तरह क्रिकेट को राष्ट्रीय खेल बना दिया जाए तो यह भी जल्द ही मिट जाएगा. हां मच्छर को राष्ट्रीय कीट और गंदगी को राष्ट्रीय चरित्र घोषित करें तो कुछ बात भी बने.ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921822881311704856.post-26554536658492127372010-01-12T22:10:22.426+05:302010-01-12T22:10:22.426+05:30क्रिकेट को बना दें..फजियत होने से तो बचेगी...क्रिकेट को बना दें..फजियत होने से तो बचेगी...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4921822881311704856.post-89854847612703572402010-01-12T21:37:38.058+05:302010-01-12T21:37:38.058+05:30अब राष्ट्रीय खेल बदल के क्या होगा... जो भी नया राष...अब राष्ट्रीय खेल बदल के क्या होगा... जो भी नया राष्ट्रीय खेल बनेगा उसका भी हाल हॉकी जैसा ही होगा... क्यूंकि राष्ट्रवादिता की भावना ख़त्म हो चुकी है ... मल्टिनैशनल हावी हो चुकीं हैं.... वो अपने हिसाब से मार्केट बना रही हैं.... बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.com