बहुत ही अच्छे तरीके से संसद में सांसदों का वेतन बढ़ने का बिल पास हो गया....हो भी क्यूँ ना!!!आखिर खुद से जुड़ा मामला जो है!पर देखिये लालू जी फिर भी नाराज़ है ,उन्हें तो केबिनट सचिव से एक रुपैया ज्यादा चाहिए!हो सकता है उनकी मांग सही हो,पर क्या वे सच में केबिनट सचिव जितना काम करते है?जब आप आये ही जनसेवा के लिए हो तो फिर कीजिये निस्वार्थ सेवा! क्या सांसदों को जो सुविधाएँ मिलती है ,उनकी आधी भी सरकारी कर्मचारियों को मिलती है? जी नहीं !!
क्या ये माननीय सांसद एक सरकारी कर्मचारी से अपनी तुलना कर सकते है ?आज एक छोटी से छोटी सरकारी नौकरी के लिए भी बारहवीं पास होना जरूरी है ! अब कितने सांसद अशिक्षित है ये आप सोचिये? एक सरकारी आदमी मामूली सी भूल कर दे तो उसे १६ सी सी के तहत नोटिस मिलता है और अकसर सजा भी होती है! और यहाँ हजारों करोड़ों रुपैये डकारने वाले भी खुले घूम रहे है ,है कोई सजा इनके लिए? एक शाला में पढने वाला बच्चा भी जोर से बोलता है तो बहुत सोच कर ...और इनका बोलना तो संसद में सबने देखा ही है!
वेतन के अलावा इन्हें जो घोषित और अघोषित सुविधाएँ मिलती है वे किसी से छुपी हुई नही है !इसके बाद भी और वेतन बढ़ने कि मांग करना भारत जैसे देश की जनता के साथ अन्याय ही होगा! सबसे बड़ी बात इन नेताओं में जिम्मेवारी की कमी है....क्या ये कभी जनता के प्रति अपनी जवाबदेही समझेंगे ? क्या ये, नेता को वापिस बुलाने का हक जनता को देंगें? जब एक छोटे से पद के लिए भी शैक्षिक योग्यता और प्रवेश परीक्षा निर्धारित है तो फिर ये बिना किसी योग्यता के कैसे और क्यूँ काम कर रहे है ???? अगर कोई सांसद ठीक से काम नही करता तो उसे वापिस बुलाने का भी अधिकार जनता के पास होना चाहिए....पर ये नेता ऐसा कोई बिल कभी पास नही होने देंगे.....!