Saturday, May 2, 2009
ये बेलगाम बोलते नेता....
सभी कहते है की ये चुनाव कुछ अलग है..!जी हाँ मैं भी कहता हूँ की ये अलग है,कई मायनो में अलग है..!एक दूसरे पर कीचड उछलने वाले नेता वही है..पर इस बार उनकी भाषा अलग है..!हो सकता है तेज़ गर्मी इसकी वजह हो पर बात कुछ अलग है..!इस तरह की बेकार भाष,शब्दावली मैंने पहले कभी नहीं सुनी,ये चीज़ अलग है..!सभी परशन के नेता जिस प्रकार की छिछोली भाषा पर उतर आए है वो हैरान करता है..!सुबह कुछ कह कर शाम को मुकर जन आम सी बात हो गई है..!लालू ,राबडी के बोलने पर इसे गाँव की भाषा कह कर नजरंदाज़ किया जाता था...पर अब अनुभवी और शिक्षित नेताओं के क्या हो गया?वे क्यों इस तरह से बोलने लगे..?और बोले तो भी जनता क्यूँ सुने ये ?आज भी हमारे देश में व्यक्ति पूजा हावी है..हम बहुत जल्दी ही किसी को अपना आदर्श मानने लग .जाते है..!जब ये आदर्श ही .असभ्यता पर...उतर आए तो फ़िर आम जनता क्या करे?.चाहे नेता हो या अभिनेता या खिलाड़ी हम उनका अनुशरन्न क्यूँ करें?हमारे बच्चे क्या सीखेंगे उनसे?यदि .हम उनकी बकवास नहीं सुनेंगे तो वो भी संभल कर बोलेंगे...इस तरह से वे अभद्रता नहीं कर पाएंगे...!अश्लील श्रेंणी की पिक्चर को "अ'सर्टिफिकेट दिया जाता है ताकि नाबालिग़ उसे ना देखे फ़िर इन नेताओं को क्यों सुने...!असभ्य भाषा बोलने वाले नेताओं को भी "अ" सर्टिफिकेट दिया जाना चाहिए..!पुन..गलती करने पर भाषण देने पर रोक भी लगाई जा सकती है....
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7 comments:
sir ye to aise hi hai ..koi haath katne ki baat karta hai to koi buldojer chalaane ki....
kya kar sakte hai..inki jaati hi yahi hai....
नेताओं की जुबान लगातार फिसलती ही जा रही है...सभी मर्यादाएं तोड़ रहे है...
आपकी तारीफ के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत खूब लिखा है आपने! लिखते रहिये और हम पड़ते रहेंगे!
कुछ न कुछ कडा़ कदम तो इन नेताओं के खिलाफ़ जरूरी है....
बदलाव तो आके रहेगा आज नहीं तो कल
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चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें
sahi kaha bandhuwar
bahut sahi likha hai.....thos kadam uthane zaruri hain
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