Wednesday, May 26, 2010

जाति आधारित जनगणना क्यों ????


हमारे देश की सबसे बड़ी विशेषता है अनेकता में एकता !इसीलिए अंग्रेज कभी भी हमें बाँट नही पाए ,लेकिन आखिर में उन्होंने फूट डालो और राज़ करो का सहारा लिया!आज हमारे नेता फिर उसी रास्ते पर चल रहे है!देश में फिर जाति आधारित जनगणना की बात उठाई जा रही है!पूरे विश्व में कहीं भी जाति को इतना महत्त्व नही दिया जाता,जितना की हमारे देश में!हर जाति का एक अलग संगठन बना है....जैसे ब्रह्मण  समाज,अग्रवाल  समाज,प्रजापत समाज आदि!ये समाज अपनी अपनी जाति के विकास के लिए प्रयत्न करते है ...ठीक है  पर क्या समाज को इस तरह बांटे बिना विकास नही हो सकता? जनगणना को जातीय आधार पर करना बिलकुल उचित नही होगा!इससे पहले से ही विभिन्न वर्गों में विभाजित समाज में और दूरियां बढ़ेगी! आज अलग अलग जातियों को लेकर जिस तरह से पंचायतें हो रही है और आरक्षण को लेकर राजनीती हो रही है,वो इस निर्णय से और बढ़ेगी ये सब हमारे एकीकृत समाज के लिए घातक होगा!
राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए समाज को जातिविहीन करना ही होगा! जनगणना में जाति को शामिल करने से और भी बहुत सी विसंगतियां पैदा हो जाएगी!नेता लोग और खाम्प पंचायतें जातिगत जनगणना का दुरूपयोग करेंगे! देश में पहले ही जाति को लेकर आरक्षण की मांग हो रही है,जो और बढ़ेगी! आज जरूरत इस बात की है क़ि हम समाज की भलाई के लिए इसे जातियों में ना बांटे!विकासशील देश इतना विकास इसी लिए कर पाए क्यूंकि वहां जातिगत राजनीती नहीं है!तो फिर हम क्यूँ अभी भी विभिन्न वर्गों में बँटे रहना चाहते है? !सबको समानता का अधिकार भी सबको समान मानने से ही मिलेगा,विभाजित करने से नही!! जाति आधारित जनगणना किसी भी सूरत में उचित नही है!! 

Friday, May 21, 2010

क्या हमारा खाना ज़हरीला है ??

वडा पाँव  मत खाना !!!समोसे में ज़हर है! पाव भाजी अस्पताल पहुंचा देगी !!!जूस से केंसर हो जायेगा!!!मिठाइयाँ नकली है!!!नल में पानी नही ज़हर आ रहा है!..........जी ये मैं नही कह रहा ,ये तो एक प्रमुख हिंदी समाचार चैनल के शीर्षक है!आप क्या समझे? हम जो सालों से खाते आ रहे है,वो सब अचानक ज़हरीला हो गया है !क्या आपको इसमें कोई बू नही आती? क्या ये बहुराष्ट्रीय कम्पनियों क़ि चाल नही लगती? हो सकता है नही!!! कोई बात नही फिर हम खाएं पीयें क्या?
                   क्या पिज्जा सुरक्षित है? क्या पेप्सी कोका कोला में ज़हर नही है?पेकिंग में मिलने वाली मिठाई या चोकलेट या पेय जल  शुद्ध है? अब कुछ समय पहले क़ि बातें याद कीजिये जब एक रिपोर्ट में इन शीतल पेय की बोतलों में हानिकारक पदार्थ पाए  गए थे!एक प्रसिद्ध ब्रांड [डेरी मिल्क और नेस्ले  ] की चोकलेट में कीड़े पाए गये थे!और फिर  पैकिंग में मिलने वाला 'के ऍफ़ सी' का चिकन और पिज्जा कौनसा सुरक्षित है!आखिर उन पर क्यूँ नही समाचार दिखाए जाते!! साफ़ है क़ि भारतीय बाज़ार पर कब्ज़ा करने क़ि कोशिश हो रही है!धीरे धीरे स्थानीय दुकानों से ग्राहक को रेस्तरां माल में खींचा जा रहा है!
                                                            आप देखिये जैसे ही कोई त्योंहार आने वाला होता है ,टी वी पर नकली मावा,नकली मिठाई,नकली घी आदि के समाचार चलने लगते है!जी हाँ ये सब प्रायोजित खेल है!!हो सकता है कुछ सच्चाई भी हो,पर ज्यादातर खेल बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का ही किया धरा है!!!हमें इस को समझना चाहिए और भारतीय बाज़ार को बचाना चाहिए!

Tuesday, May 18, 2010

अब इंतजार किसका और क्यों?


दंतेवाडा में शहीद जवानों का रक्त सूखा भी नही था क़ि नक्सलियों ने फिर खून बहा दिया है!चिदंबरम जी कुछ समय पहले तक बातचीत का न्योता देते घूम रहे थे ,अब अचानक धमकी देने लगे है!सरकार नक्सलियों को लेकर बहुत गंभीर है!मंत्रिमंडल क़ि आपात बैठक हो रही है...सेना अधिकारी भी राय देंगे...पर हुआ क्या?नक्सली लगातार खून बहा रहें है..!पर सरकार कोई फैसला लेने में असमर्थ है !आखिर क्यों नही कोई ठोस रणनीति बनाई जाती ?हथियार उठाने वाले कभी बातचीत नही करते!जैसे वे हथियार उठा कर सरकार को झुकाना चाहते है ,ठीक उसी तरह उन पर दवाब बना कर ही बातचीत के लिए मजबूर किया जा सकता है!
अमेरिका में ९/११ के बाद कोई हमला नही हो सका,श्रीलंका में लिट्टे का सफाया कर दिया गया!ये सब दृढ इच्छाशक्ति  और मजबूत हौंसलों से ही संभव हो सका!लेकिन क्या हमारे पास है ये सब करने क़ि ताकत..तो इसका जवाब है..हाँ !विश्व की सर्वश्रेष्ट सेना हमारे पास है ,हमारे रक्षा विशेषज्ञ हर रणनीति बनाने में सक्षम है!पर अफ़सोस कोई उनकी सहायता लेने को तैयार ही नही!क्यूंकि यहाँ नक्सल भी एक उद्योग बन गया है,जिससे नेताओं के स्वार्थ या यूँ कहें क़ि हित जुड़े है!तभी तो इतने खून खराबे के बाद भी सरकार कोई कठोर कदम उठाने को राज़ी नही है! आखिर सरकार सेना की सहायता क्यूँ नही लेना चाहती?आप बातचीत भी जारी रखें..लेकिन उन्हें बातचीत के लिए मजबूर भी करें!
पाकिस्तान में हजारों ट्रेनिंग केम्प चल रहे है,अफजल गुरु को सरकारी मेहमान बना कर रखा है,लाखों बंगलादेशी अवैध रूप से देश में घुसे बैठे है.......इन समस्याओं क़ि तरह ही नक्सली समस्या को भी सदा सदा के लिए उलझा दिया जायेगा....और निर्दोषों का खून यूँ ही बहता रहेगा!लेकिन आखिर कब तक?????

Saturday, May 1, 2010

ये है हिंदी के दुश्मन.....

जयपुर में धमाका...
केरला में मानसून आया...
दसवीं में ८० फीसदी पास...
ये कुछ उदाहरण है जो मैंने पिछले दिनों कई टी वी चेनलों पर देखे...!आज बहुत से अन्य भाषी शब्दों को हिंदी में अपना लिया गया है!आज के लोग जिस हिंदी अंग्रेजी मिश्रित भाषा का उपयोग करते है,उसे हिंगलिश कहा जाता है!लेकिन ये छूट    केवल आम जन में प्रयोग के लिए है!इसे किसी भी स्तर पर मान्यता नही दी गयी है !लेकिन ऊपर दिए गए सभी शब्दों के विकल्प उपलब्ध है,फिर ऐसा क्यूँ???जैसे 'धमाका "को विस्फोट ,"केरला" को केरल ."पास "को उतीर्ण और "फीसदी" को प्रतिशत लिखने में कहाँ  परेशानी है?
                                                 इसी प्रकार हिंदी फिल्मों से आजीविका चलाने  और नाम कमाने वाले  अभिनेता आखिर हर जगह अंग्रेजी क्यूँ बोलते है? हमारे नेता जहाँ भी विदेश में जाते है वहां अंग्रेजी में ही बोलते है!मेरे कहने का मतलब ये नही है क़ि हम कलिष्ट हिंदी का प्रयोग करें पर कम से कम उपलब्ध शब्दों का तो प्रयोग कर ही सकते है!आखिर हिंदी ही है जो विविध भाषाओँ के होते हुए भी पूरे राष्ट्र को एक बनाये हुए है!जब हम एक राज्य से दुसरे राज्य में जाते है तो हिंदी ही संपर्क भाषा का काम करती है!
                                                    तो आइये हिंदी को यथोचित सम्मान देने क़ि शुरुआत करें!!!!!