Thursday, December 31, 2009

नव वर्ष का स्वागत करें.........


दुनिया के बहुत से देशों में नया साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लोग महीनों पहले से नए साल के त्यौहार की प्रतीक्षा शुरू कर देते हैं। यह अकेला ऐसा त्यौहार है, जो सारी दुनिया के लोग अपनी-अपनी विभिन्नताओं और विशेषताओं के बावजूद एक साथ, मिलकर मनाते हैं। दुनिया में फैला आर्थिक संकट भी नए साल के उत्सव को मनाने में कोई बाधा नहीं डाल पाया। दुनिया के विभिन्न देशों में परम्परा के अनुसार नया साल अलग-अलग समय में मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग भागों में नया वर्ष अलग-अलग दिन मनाया जाता है।  भारत के ज्यादातर भागों में मार्च-अप्रैल में नया वर्ष मनाया जाता है।


- सिख नानकशाही कैलंडर के अनुसार 14 मार्च होला मोहल्ला नया साल होता है।

- पंजाबी नया साल बैसाखी 13 अप्रैल को मनाया जाता है।

- तेलगु नया साल मार्च-अप्रैल के बीच आता है। आंध्रप्रदेश में इसे उगाड़ी के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। - तमिल नया साल विशु 13 या 14 अप्रैल को तमिलनाडू और केरल में मनाया जाता है। तमिलनाडू में पोंगल 15 जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर भी मनाया जाता है।

- कश्मीरी कैलेंडर नवरेह 19 मार्च को होता है।

 महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मार्च- अप्रैल के महीने में मनाया जाता है।

- कन्नड नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं।

- सिंधी उत्सव चेटी चंड उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है।

- मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरूविजा नए साल के रूप में मनाया जाता है।

- मारवाड़ी नया साल दिपावली के दिन होता है।

- गुजराती नया साल दिपावली के दिन होता है दो अक्टूबर या नवंबर में आती है।

- इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है। जॉर्जियन कैलेंडर से 11 दिन पहले इस्लामिक कैलेंडर का नया साल आता है।

- बंगाली नया साल पोहेला बैसाखी 14 या 15 अप्रैल को आता है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसी दिन नया साल होता है।

- पारसी नववर्ष नवरोज होता है यह बसंत की शुरूआत में मनाया जाता है। 2008 में यह 29 मार्च को था।

- बहाई कैलेंडर के अनुसार 21 मार्च नवरोज या नया वर्ष होता है।

- नेपाली नया साल बसंत के पहले दिन मनाया जाता है।

- श्रीलंका के सिंहली अप्रैल में न्यू ईयर मनाते हैं। आओ मिलकर हम सभी नव वर्ष का स्वागत करें.........

Thursday, December 24, 2009

शर्म मगर इन्हें आती नहीं....




रुतबा इतना बड़ा कि हर कोई हैरान हो जाये ....और काम ऐसे कि शर्म भी.शर्मिंदा हो जाए। जी हाँ यही परिचय है इन साहब का। एक छोटी सी बच्ची जो इनकी बेटी कि उम्र की होगी,से छेड़छाड़ का आरोप है इन पर । उन्नीस साल से केस चल रहा था ,लड़की ने शर्मिंदा होकर आत्महत्या कर ली,घर वाले डर कर भूमिगत हो गए,सहेली ने केस लड़ा......और सजा मिली केवल महीने की। ये है कहानी हमारी कानून व्यवस्था की। अगर आरोपी हरयाणा का पूर्व डी जी पी राठौर हो तो यही होगा। हाँ अगर आरोपी हम जैसा कोई आम इंसान होता तो आज भी जेल में सड रहा होता। यही है हमारा कानून,जिसे ये रसूख वाले अपने मन मुताखिब ढंग से .चलाते है और फिर मामूली सजा पाकर बच निकलते है।


इस मामले में सबसे शर्मनाक पल वो था जब ६ महीने की सजा सुन कर राठौर साहब हँसते हुए बाहर निकले। ये हमारी न्यायिक व्यवस्था पर एक व्यंगात्मक चोट थी,जिसे हर एक देशवासी ने महसूस किया। आखिर सबको समान न्याय का सपना कब और कैसे पूरा होगा?आज रुचिका हमारे बीच में नहीं है लेकिन उसकी आत्मा ये सब देख कर जरूर रो रही होगी..और कोस रही होगी हमारी व्यवस्था को..

Sunday, December 13, 2009

पानी रे पानी....

हालात को देखते हुए ये सपष्ट है की अगला विश्व युद्ध पानी के लिए ही लड़ा जाएगा.पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव से ग्लेशियर पिघल रहे है.पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ने से हिमखंड .पिघलते जा रहे है.इससे जहाँ नदियों में पानी की .मात्रा बढ़ रही है वहीँ बहुत से शहरों के डूबने का खतरा हो गया है.समुन्द्र के जल स्तर में मामूली सी बढ़ोतरी से अनेक शहर और देश डूब जायेंगे।
अब इस कहानी का दूसरा पहलू भी है.पूरे विश्व में पीने योग्य जल की भारी कमी हो गई है .समुन्द्र का पानी जहाँ बढ़ता जा है वहीँ पेय जल घटता जा रहा है..शहरों में जहाँ पीने का पानी नहीं मिल रहा वहीँ गाँवों में खेती के लिए भी पानी नहीं है.किसान नित रोज आन्दोलन कर रहे है लेकिन सरकार बेबस है क्योंकि नहरों में जल सिमित है.पानी अमृत के समान कीमती हो गया है.हमारे राजस्थान में तो पानी को अमृत ही माना जाता है.दूर दूर तक फैले टीलों और तपती धूप में पानी की एक बूंद प्यासे के लिए अमृत से कम नहीं है.देश में पानी का संकट इतना बढ़ गया है कि बड़े बड़े शहरो में एक समय ही जल आपूर्ति की जा रही है.
पानी के लिए हाहाकार के बीच बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने प्यास को भी बेचने या भुनाने का धंधा शुरू कर दिया है.पानी की एक बोतल को दस दस रुपये में बेचा जा रहा है.एक ऐसे देश में जहाँ लोग प्यासों के लिए प्याऊ खुलाते थे ,वहां आज पानी को भी बेचा जा रहा है। राजस्थान के सुदूर किसी गाँव में ,जहाँ पानी बहुत कीमती है ...वहां पर भी आप को प्याऊ दिख जायेंगे पर यहाँ देखिये प्यास को भी बेचा जा रहा है .इस सब के बीच हर जगह जल कि बर्बादी देख के भी दिल दुखता है.हमने अभी भी जल का महत्त्व नहीं सीखा.तभी तो जितना काम लेते है उससे कहीं ज्यादा जल हम व्यर्थ में बहा देते है.अभी भी हमने पेय जल का महत्त्व नहीं समझा है,तभी तो पीने वाले पानी से ही हम कपड़े धोते है ,छिडकाव करते है और गाड़ियाँ भी धोते है ..हमें कल के लिए आज ही सोचना होगा...



Tuesday, December 1, 2009

शिक्षा को रोज़गार से जोड़ना होगा...




आज गली गली में स्कूल कालेज खुल गए है..सरकार की प्रोत्साहन नीति के चलते शिक्षा का खूब प्रचार प्रसार हो रहा है.लेकिन क्या ये शिक्षा रोजगार दिलाने में सक्षम है?शायद..नहीं ,क्यूंकि हमने कभी भी अपना शिक्षा तंत्र बनाने की कोशिश नहीं की। बस अंग्रेजों के बनाए तंत्र में ही कुछ फेरबदल कर दिया है.उसी का परिणाम है कि आज हम शिक्षा तो .उपलब्ध करवा रहे है लेकिन नौकरी नहीं.हमारी शिक्षा नौकरियों के मामले में सही नहीं है.इसके लिए हमें शिक्षा प्रणाली में बदलाव करना होगा।


आज की शिक्षा केवल डिग्री दे रही है..जिसका भी कोई महत्त्व नहीं है.हमें आज हमारी शिक्षा को रोज़गार मुखी बनाना होगा.आज जरूरत इस बात की है कि हम स्कूल ..लेवल से ही रोजगार से जुड़े पाठ्यक्रम शुरू करें ताकि बच्चे समय रहते ही अपने रोजगार को चुन सके और उसमे पारंगत हो सके.आज हजारों बच्चे .प्राइमरी के बाद पढ़ना छोड़ देते है.ये बच्चे स्कूल छोड़ कर किसी ना किसी रोजगार को .अपनाते है.यही काम अगर हमारी शिक्षा देने वाली संस्थाएं करने लग जाए तो कोई बच्चा स्कूल छोड़ कर नहीं जाएगा.स्कूल में केवल किताबी ज्ञान देने से कुछ नहीं होने वाला,हमें इसमे रोजगार से जुड़े पाठ्यक्रम .प्रारम्भ करने होगे.बच्चे को उसकी रूचि का पाठ्यक्रम चुनने की आज़ादी देनी होगी ,ताकि वह अपनी पसंद का रोज़गार कर सके।


आज कितने ही निजी संस्थान रोज़गार सम्बन्धी कोर्स चला रहे है,यही काम हमारी शिक्षा संस्थाएं भी बखूबी कर सकती है.इससे स्कूल छोड़ने की नौबत नहीं आएगी और बच्चे अपने पैरों पर भी खड़े हो सकेंगे.प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षण पद्धति इसी उद्देश्य को ध्यान में रख कर बनाई गई थी.वहां बच्चे शिक्षा के साथ साथ अन्य कलाओं में भी पारंगत .होते थे इसीलिए वे गुरुकुल से निकलने के बाद अपने अपने रोजगार में लग जाते थे.शिक्षा को रोजगार मुखी बनाने से जहाँ साक्षरता का प्रतिशत बढेगा ,वहीँ नौकरियों ,रोजगार की भी कमी नहीं रहेगी.....[फोटो गूगल से ]

Monday, November 23, 2009

महाराष्ट्र को एक राष्ट्र बनने से रोकें......


पिछले काफ़ी समय से महाराष्ट्र एक राज्य नहीं बल्कि राष्ट्र की भांति .व्यहवार कर रहा है .इसे जानबूझ कर बढ़ावा भी दिया जा रहा है.अब ये मात्र एक भाषा का मामला नहीं है.महाराष्ट्र के कुछ नेता अनर्गल प्रलाप करते है तो बाकी सारे उनका आँख मींच कर समर्थन करते है.अब ये अनायास नहीं बल्कि सोच समझ कर किया जा रहा है.देखिये पहले उन्होंने हिन्दी पर हमला बोला,अब अपने राज्य के लिए क्षेत्रीय आधार पर नौकरियों में .आरक्षण मांग रहे है...गैर मराठियों पर गाहे बगाहे हमला बोल देना उनकी आदत बन चुकी है.इन सब से सपष्ट है कि अब उन्हें एक राष्ट्र कि भांति दिखना पसंद आने लगा है.पहले बाल ठाकरे और अब राज ठाकरे से लेकर मुख्यमंत्री तक को एक राष्ट्राधयक्ष की तरह प्रदर्शित करना बहाने लगा है,तभी तो इनके तेवर हमेशा चढ़े ही रहते है.लेकिन महाराष्ट्र से चली ये आग यदि पूरे देश में फ़ैल गई तो क्या होगा?आज़ादी से पहले जिस तरह देश अलग अलग टुकड़ों में बंटा था ,ठीक वैसी ही .परिस्थितियां फ़िर से पैदा की जा रही है.और इन सब के लिए जिम्मेवार हमारे नेता अपनी राजनीती चमकाने में लगे है.पहले राज ठाकरे को उकसाने वाली कांग्रेस अब ख़ुद उसकी भाषा बोलने लगी है...अपनी खोई साख बनने के चक्कर में बाल ठाकरे फ़िर से ज़हर उगल रहे है ,और बाकि तमाम लोग आँखें मींचे चुपचाप ये पाप होते देख .रहे है...ना जाने इस देश का क्या होने वाला है???

Wednesday, November 11, 2009

हिन्दी है हम.......


अब इस गाने को गुनगुनाने पर भी "मनसे" को आपत्ति हो सकती है !क्योंकि इससे पहले हम मराठी,पंजाबी ,राजस्थानी या कुछ और है !देश को एक सूत्र में पिरोनी वाली हिन्दी आज अपने हाल पर आंसू बहा रही है!हर देश की .एक ..भाषा होती है जिस पर पूरे देश को गर्व होता है क्योंकि यही हमारी पहचान भी होती है !परन्तु हमारे देश में देखिये किस तरह से हिन्दी का अपमान किया जा रहा है...!हिन्दी फिल्मों से पहचान बनाने वाले कलाकार भी किस बेशर्मी से अंग्रेजी में साक्षात्कार देते है!क्यों?किसलिए?जो लोग आपकी फिल्में देखते है वे हिन्दी जानते समझते है ,फ़िर दूसरी भाषाक्यों?यही हाल नेताओं और खिलाड़ियों का भी है!ये अंग्रेजी बोल कर ही खुश होते है!आजकल सभी सरकारी कार्यालयों और बैंक आदि में हिन्दी में काम करने का लिखा होता है,लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है?दरअसल हिन्दी का अपमान हम स्वंय ही कर रहे है !

जब दूसरे देशों के .नेता भारत आते है तो .वे अपनी भाषा में ही बोलते है,और एक हमारे नेता है जो अपने देश में भी हिन्दी बोलने से हिचकिचाते है!आख़िर क्यों??यहाँ तक की स्कूली बच्चे भी इस नियम का बखूबी पालन करते दीखते है!और करे भी क्यूँ ना ,जब उनके सब बड़े ऐसा ही कर रहे है!बाज़ारों में सभी साइन बोर्ड अंग्रेजी में मुंह चिढाते दीखते है !आजकल .हिन्दी में अन्य भाषाओँ के बहुत से शब्दों को अपना लिया गया है ...फ़िर बोलने में कठिनाई क्यों?हम जब एक जगह से दूसरी जगह जाते है तो हिन्दी ही हमें आपस में जोड़ती है !ऐसी जगह जहाँ बहुत से प्रदेशों के लोग हो ,वहां हिन्दी ही उन्हें आपस में घुलने मिलने में मदद करती है!.फ़िर हिन्दी से ऐसा बर्ताव क्यों?और इस बार तो विधान सभा में ही हिन्दी का अपमान बहुत ही इज्ज़त से कर दिया गया!लेकिन सब खामोश है क्यों?क्यों नही दोषियों पर .राष्ट्र भाषा के अपमान का मामला चलाया गया?इस तरह तो देश एक दिन पुनः छोटे छोटे टुकडों में बंट जाएगा !इस देश को एक रखने के लिए हमें हिन्दी को .समुचित सम्मान देना ही होगा,जिसकी वो हक़दार है !हिन्दी को .इन राजनेताओं की राजनीती बनने से .रोकना होगा!हिन्दी जन जन की भाषा है और हमेशा रहेगी..!हमें इसका अपमान नहीं बल्कि सम्मान करना होगा!ये हमारी मजबूरी नहीं बल्कि नैतिकता है.....!जय हिन्दी!!!!जय .हिन्दुस्तान!!!!

Saturday, November 7, 2009

राज के बाद अब शिवराज...




ये तो होना ही था!राज ठाकरे ने जो .आग लगाई थी,वो तो बढ़नी ही थी !अब मध्यप्रदेश में भी शिवराज सिंह उसी राह .पर चल पड़े है! जब राज क्षेत्रीयवाद को भुना सकते है तो फ़िर शिवराज क्यों नहीं? महाराष्ट्र में राज की पीठ थपथपाने वाली कांग्रेस यहाँ विरोध कर रही है! ये देश की राजनीती में ..एक नया तूफ़ान .है इस तरह तो सभी राज्य अपनी अपनी डफली बजाने लगेंगे,जिसका सीधा नुक्सान देश की एकता को पहुंचेगा!क्षेत्रीय वाद की ये आंधी धीरे धीरे बढती ही जायेगी...!पर नेताओं को इससे क्या...स्व हित को देश हित से बड़ा मानने वाले ये नेता कभी भी ,कुछ भी कह सकते है! अभी कुछ दिनों पहले दक्षिणी राज्यों में भी हिन्दी .के खिलाफ खूब जहर उगला गया था,वंदे मातरम पर भी विवाद चल ही रहा हैआखिर हम देश को कहाँ ले जाना चाहते है?ये नेता लोग आख़िर कब .समझेंगे ?शायद कभी नहीं.....!जब पूरे देश में लोग मिल जुल कर रहते आए है और रह रहें .है तो फ़िर ये नेता क्यों सबको लड़ाने पर तुले है ....ये अपनी समझ से बाहर है.....

Saturday, October 31, 2009

सुरक्षा में चूक भारी पड़ी जयपुर को.....




बम विस्फोटों के बाद एक बार फ़िर जयपुर दहशत में है!इस बार भी जयपुर को सुरक्षा में खामी की कीमत चुकानी पड़ी है!यदि सुरक्षा पर थोडी सी भी सावधानी रखी जाती तो शायद ये हादसा नहीं होता!शाम साधे चार बजे पहली बार लीकेज का पता चला था ..लेकिन सात बजे तक कुछ ठोस कार्यवाही नहीं की गई ,जिसके चलते पूरे शहर की बन आई!सबसे बड़ी दुखदायी बात ये है की डिपो प्रबंधन को उस वक्त ड्यूटी दे रहे कर्मचारियों के बारे में भी पुख्ता जानकारी नहीं है!...और हमारा आपदा प्रबंधन देखिये..हादसा होते ही सब कुछ अस्त वयस्त हो गया..किसी के पास भी इस .स्थिति से निपटने की कोई योजना नहीं थी!क्या करें ,कसे करें?में ही वक्त बीतता गया और मुसीबत गहराती गई..!आपदा प्रबंधन प्रणाली पूरी तरह से .फ्लॉप हो गई!डिपो की आत्म रक्षा प्रणाली भी बंद थी ,जो की हादसे के समय स्वत ही शुरू होनी चाहिए!आग से लड़ने के लिए किसी के पास भी ना संसाधन थे और ना ही कोई .रण नीति ......!इन्ही सब के कारण एक मामूली चिंगारी ने देश के सबसे बड़े अग्निकांड को जन्म दे दिया..!यदि समय रहते आग को आगे बढ़ने से .रोक दिया जाता तो आज जयपुर को ये दंश ना झेलना पड़ता! डिपो के बड़े अधिकारी भी नहीं जानते .थे कि ऐसी स्थिति में क्या किया जाए?इसी से सपष्ट है कि हमारी आपदा प्रबंधन प्रणाली कितनी कारगर है???

Saturday, October 24, 2009

साहसिक पर्वतारोही का सहयोग करें ...


बीकानेर के महान पर्वतारोही मगन बिस्सा जिन्होंने तीन बार एवरेस्ट पर विजय पाई है,आज जिंदगी की जंग लड़ रहें है !पहली बार १९८४ में बछेंद्री पल के साथ उन्होंने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था !तब उन्हें इस साहसिक कारनामें हेतु सेना मैडल भी दिया गया था !किंतु आज ये साहसी अकेला ही मौत का सामना कर रहा है!ना तो राज्य और ना ही केन्द्र सरकार .सहायता को आगे आई है!मगन बिस्सा राजस्थान एडवेंचर .फाउन्देशन के अध्यक्ष और नेशनल एडवेंचर फाउन्देशन के निदेशक भी है !पिछली सात मई को वे चौथी बार एवरेस्ट अभियान में घायल हो गए थे !इस बार वे अपनी पत्नी के साथ एवरेस्ट फतह करने निकले थे !तभी से वे अस्पताल के आई सी .यूं में भरती है !आख़िर में उनके कुछ शुभचिंतकों ने ही उनकी सहायता का बीडा उठाया है !उनकी सहायता हेतु एक वेबसाईट भी बनाई गई है,इस वेबसाईट पर जाने हेतु यहाँ क्लिक करें!इस पर बिस्सा जी के बारे में तमाम विवरण उपलब्ध है!राज्य और देश का नाम ऊँचा करने वाले बिस्सा जी की सहायता हेतु हम सब को अपना योगदान देना चाहिए....

Wednesday, October 21, 2009

'नई दुनिया' में हमारी मिठाइयां.....


दिवाली के शुभ अवसर पर पाबला जी ने संदेश दिया कि"नई दुनिया" के १७ अक्तूबर के अंक में 'ये दुनिया है' को स्थान मिला है!अब उनकी नज़र हमारी मिठाइयों पर लिखी गई पोस्ट को प्रिंट मिडिया में जगह मिली है!ये मेरे साथ साथ पूरे ब्लॉग परिवार के लिए हर्ष की बात है !दिवाली का इससे अच्छा तोहफा और क्या होगा!हमारे विचारों को सराहा गया ,ये एक अच्छी ख़बर है.....

Thursday, October 15, 2009

दीपावली की शुभकामनायें!!!!!!







जी हाँ ...अब तो ब्लॉग परिवार ही हमारा परिवार है!ब्लॉगजगत के सभी साथियों को दिवाली की शुभकामनाएं..!!!.आपसी स्नेह बनाए रखें...और जोर शोर से दिवाली मनाएँ...!!!पूरे ब्लॉग जगत परिवार को दिल से बधाई...

Friday, October 9, 2009

अब हमारी मिठाइयां है निशाने पर.....




अपने एक विज्ञापन तो देखा होगा-"आज मीठा है खाना,आज पहली तारीख है"!और वो क्या मीठा खाने के लिए कह रहे है?..जी हाँ चोकलेट!!!!अब आप ही बताइए ऐसा कौन है जो पहली तारिख को चोकलेट खाता है!पर ये खिलाना चाहते है!हमारे यहाँ तो जिस दिन तनख्वाह मिलती तो मिठाई लाकर भगवान् के चढाई जाती है!इसी चोकलेट को स्थापित करने के लिए बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने मिठाई के ख़िलाफ़ युध्ध सा छेड़ दिया है!साथ ही में टी वी पर अचानक सब कुछ मिलावटी दिखने लगा है,जी हाँ नकली मीठी,नकली मावा,नकली घी आदि आदि !असल में ये सब मिठाई के प्रति बेरुखी पैदा करने हेतु किया जा रहा है!हमारे देश में हर मौके पर मिठाई खाने और खिलने का रिवाज़ है!अब अचानक मिठाई को ..गरिष्ठ..गन्दी,मिलावटी और .बीमारियाँ...उत्पन करने वाली के तौर पर प्रचारित किया जा रहा .है...!मिठाई से बी पी ,शुगर और ना जाने क्या क्या होना बताते है!अब भारतीय लोगों और व्यापारियों को भी सचेत हो जाना चाहिए....!जिस तरह से चीनी पटाखे और अन्य आइटम बाज़ार में पैठ कर चुके है,उसी तरह चीनी मिठाइयां और चोकलेट भी बस आने को है!हम सालों से मिठाई खाते आ रहे है ..अब भी खायेंगे!!!इसलिए किसी अच्छी दूकान से मनपसंद मिठाई लीजिये और मस्त होके खाइए!!!!आपके लिए हर तरह की स्वादिष्ट और शुगर फ्री मिठाई भी हर जगह उपलब्ध है....

Monday, October 5, 2009

ये है हमारी नागरिक सुविधाएँ....









आप भी देखिये..अपने शहर में-टूटी फूटी सड़कें,सड़क पर विचरते आवारा पशु...,क्रूरता की हद लांघती पुलिस !क्या आप इससे खुश है?कम से कम मैं तो नहीं!हमारा बीकानेर एक हेरिटेज शहर है,पर जब मैं सड़क पर ये नज़ारे देखता हूँ तो शर्मा जाता हूँ!आख़िर मैं क्यूँ शर्मिंदा हूँ?जबकि मैं एक अच्छे नागरिक की .भांति सब टेक्स भरता हूँ तो फ़िर ऐसा क्यूँ?आख़िर क्यूँ मुझे विदेशियों .के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है...!स्थानीय प्रशासन को चाहिए की वो सब ठीक रखे!मैं सारे टैक्स भरने के अलावा क्या कर सकता हूँ?यहाँ आने वाले पर्यटक मुझसे पूछते की आप शिकायत नहीं करते?अब मैं उनको क्या बताऊँ की यहाँ किसी के कानों में कोई .में कुछ सुनाई नहीं पड़ता!चारों और फैली गन्दगी,आवारा पसु,अनियंत्रित ट्राफिक ,.भिखारी उनके लिए नई चीज़ें है!वे विदेश में जाकर भारत की क्या छवि पेश करेंगे,ये हम समझ सकते है!पर क्या करें...आप ही बताएं....

Friday, October 2, 2009

शास्त्री जी हम शर्मिंदा है...?


हाँ सच में हम बहुत शर्मिंदा है!हम आप को कभी भी वो सम्मान नहीं दे पाये जिसके आप हक़दार थे!अब देखिये ना आज ही आपका जन्मदिन है और सभी बस गांधी जी के गीत गा रहे है!बापू से हमें भी बहुत प्यार है!पर सरकार है की सभी कार्यक्रमों में आपको भूलती जा रही है!अब हम क्या करें ..जो आज ही दोनों का जन्म दिन है!आप दोनों को हम कैसे भूल सकते है?पर माफ़ करना शास्त्री जी आपको किसी पार्टी ने अपना आइडियल नहीं .माना तो..!गांधी जी को तो कांग्रेस ने अपना लिया है !हर सरकारी दफ्तर में उन्हें स सम्मान पहुँचा दिया गया है ,पर आपको हम घर घर नहीं पहुंचा पाए!आपके महान आदर्श हम भूले नहीं है,पर गांधी जी आप पर जरूर भारी पड़े है !उनके विशाल व्यक्तितव के सामने आप फ़िर .बौने साबित हुए!माफ़ करना ये हम नहीं कह रहे!आप आज के अखबार देख लीजिये,न्यूज चैनल देख लीजिये...हर जगह आप को बौना साबित किया जा रहा है !पर हाँ एक जगह है ,जहाँ आज भी आप को ,आप के आदर्शों को बड़ी .शिद्दत से याद किया जाता है......वो है हमारे दिल ..जहाँ आज भी आप रचे बसें है..!हमें आज भी आप की एक एक बात दिल से याद है !चाहे वो रेल दुर्घटना के बाद आपका इस्तीफा हो या युद्घ के समय आपका सहायता का आह्वान ,हम बिल्कुल भूले नहीं है!हमें आज भी आपकी शहादत पर गर्व है !हर हिन्दुस्तानी के दिल में आज भी आप जिन्दा है.....!पर जी गलती हुई उसके लिए दिल से सॉरी....

Sunday, September 27, 2009

इकोनोमी क्लास का ढोंग क्यूँ?

लो जी थरूर साहब भी केटल[इकोनोमी]क्लास में सफर को राजी हो गए!होते भी क्यूँ नहीं महारानी और युवराज़ जो ऐसा चाहते है!लेकिन इससे क्या होगा ?विमान तो अपने गंतव्य तक जाएगा ही ...!फ़िर किसके और कैसे .paise... बचेंगे ?ऊपर से सुरक्षा बलों ने कुछ सीटें और खाली करवा ली!सोनिया जी और राहुल के ऐसा चाहने से किसी का भला होने वाला नहीं है!अगर वास्तव में ही खर्चा कम करना है तो जनता के गाढे पैसे की बर्बादी रूकनी चाहिए!आज कोसा विधायक,मंत्री या कोई नेता ऐसा है जो अपने वेतन से काम चला रहा है?आज एक अदना सा आदमी अपने मासिक वेतन से घर नहीं चला सकता,उसे तो जैसे तैसे जीने की आदत पड़ चुकी है !और एक ये नेता जी है जो अपने वेतन से इतना कमा लेते है कि इन्हे किसी चीज़ कि कमी नहीं....!बस इसी बात में .सारा रहस्य छिपा है!आपने किसी नेता को भीख मांगते देखा है?मैंने बहुत से राष्ट्रीय खिलाड़ियों,पुरुस्कृत शिक्षकों और सवतंत्रता सेनानियों को रोज़ी रोटी के लिए संघर्ष करते देखा है!वे पूरी जिंदगी में इतना नही कमा सके कि अपना पेट भर सके और एक छोटा सा नेता पाँच साल में इतना कैसे कमा लेता है?इस प्रशन में ही सारे उत्तर .छिपे है!

Thursday, September 24, 2009

थरूर का गरूर....

थरूर साहब ने सही फरमाया....इकोनोमी क्लास तो सही में केटल क्लास ही है !जब हवाई यात्रा करने ही लग गए तो इकोनोमी क्लास क्यूँ?इससे क्या फर्क पड़ जाएगा?क्योंकि देश की अधिकांश जनता ने तो हवाई .ज़हाज़ को हवा में उड़ते ही देखा है,बैठे तो कभी है नहीं!उनके लिए तो हवाई यात्रा ही एक सपना है!उन्होंने तो ट्रेन में ही सफर किया है जो केटल क्लास से भी बदतर ही होगा!सवाल ये है कि बिजनेस क्लास या केटल क्लास से जनता का कौनसा भला होने वाला है !वो तो हवाई ज़हाज़ में ही नहीं चढ़ती!प्रधान मंत्री जी को चाहए कि वो नेताओं को ट्रेन में सफर कराये ताकि उन्हें पता चले कि केटल क्लास क्या होती है?.एस टी कि बसों और ट्रेन में सफर करके ही केटल क्लास को समझा जा सकता है!अब थरूर साहब काम का बौझ बता रहे है ,तो फ़िर ट्विटर के लिए टाइम कसे मिल रहा है?शायद उन्होंने ऑफिस में घिसते और पिसते बाबुओं को नहीं देखा,वरना ये शिकायत नहीं करते?जब नेता बन ही गए हो तो पहले देश को जानों.....!इतना दुखी होने से अच्छा है कि नेतागिरी ही छोड़ दे..वरना जनता है ना ये सब जानती है.....

Thursday, September 10, 2009

ताज़ा ब्लॉग पोस्ट की जानकारी कैसे मिले..?

आजकल हर पल ब्लॉग जगत में कुछ ना कुछ ताज़ा लिखा जा रहा है !हमें भी जिज्ञासा रहती है की किसने क्या लिखा?क्या ऐसा कोई विजेट है जो हमें अपने ब्लॉग पर ही ऐसी जानकारी उपलब्ध करवा दे..!इस मामले में यदि कोई जानकारी हो तो कृपया अवगत कराएँ...!

Friday, September 4, 2009

ब्लोगिंग..को युवाओं से जोड़ना जरूरी.....


ब्लोगिंग आज बहुत ही लोकप्रिय होती जा रही है.!इतने अच्छे अच्छे ब्लॉग रोज़ आ रहे है...!लगभग हर विषय पर ब्लॉग लिखे जा रहे है!यहाँ तक की बड़ी बड़ी सेलिब्रिटीज़ भी ब्लॉग का सहारा ले रही है !हर कोई ब्लॉग के जरिये अपने विचार सब के सामने रख रहा है!अकेले चिठा जगत पर ही रोजाना लगभग २५ ब्लॉग रोज़ .रजिस्टर हो रहे है!मुझे इन्टरनेट यूज़ करते आज ५ साल हो गए लेकिन असली संतुष्टि ब्लोगिंग से ही मिली !इसके ज़रिये कितने ही .लोगों से परिचय हुआ है और नई नई जानकारियां भी हुई है!लेकिन मैंने नोट किया है की आज भी अधिकाँश युवा इन्टरनेट पर चाटिंग या फ़िर सोशल नेट्वर्किंग में ही उलझे है !शायद इसका कारण .ब्लोगिंग के बारे में अनभिज्ञता ही है !जो लोग काफ़ी समय से ब्लॉग लिख रहे है,उन्हें चाहिए की इस बारे में वे कुछ प्रयास करे !युवा ही देश का भविष्य है ..यदि वे अपने विचार सबके सामने रखेंगे तो निश्चित तौर पर ब्लोगिंग के लिए एक शुभ संकेत होगा !तो आइये हम सब मिल कर ये कोशिश करें की अधिक से अधिक लोग विशेषत:...युवा इससे जुड़े...!जानकर लोगों को चाहिए की ऐसा कोई मंच प्रस्तुत करें जहाँ इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी मिल सके....

Sunday, August 30, 2009

क्या देश में कोई समस्या नहीं...?

हमारा देश भी अजीब है और अजीब है यहाँ के लोग!ख़ुद की समस्या सुलझती नही और चिंता रहती है पूरे विश्व की!विश्व में कहीं कुछ भी हो जाए,हमें तो .उस पर प्रतिक्रिया देनी ही पड़ेगी!अब देखिये अमेरिका के राष्ट्रपति ने कुछ भी कहा या किया,हमारा मिडिया उस ख़बर को .हाईलाईट करने लगता है !गोया कि भारत में तो कोई समस्या बची ही नही !आस्ट्रेलिया में कुछ भी हो ,ब्रिटिश क्रिकेट टीम ने क्या किया,श्रीलंका में क्या हुआ जैसे मुद्दे अहम् है लेकिन देश में महंगाई बढ़ रही है,इसकी चिंता किसी को नहीं!आजकल बी जे पी के झगडों की खबरें आम है!तो कयास लग रहें है की ये पार्टी तो ख़त्म हो गई !अरे भाई क्या देश में बी जे पी के झगडे से बड़ी कोई समस्या नही?देश आज भी महंगाई,आतंकवाद,बेरोजगारी और नकली नोटों से .परेशान है और हमारे पी .ऍम साहब बी जे पी पर चिंता ज़ाहिर कर रहे है!देश के सामने आज भी बहुत सी चुनौतियाँ है ,जिनका सामना हमें मिल के करना है!सरकार को चाहिए की वो संजीदगी से उनको हल करे!आगे त्योंहारों का मौसम आ रहा है और हमारी सरकार कह रही है की महंगाई और बढेगी!तो अब फ़िर जनता कहाँ फरियाद करे?सरकार का ये फ़र्ज़ बनता है की वो महंगाई कम करने के लिए हर मुमकिन उपाय करे!नेताओं और पार्टियों के झगडे से भी ऊपर है देश हित....की शायद किसी को भी चिंता नहीं है....!

Tuesday, August 25, 2009

म्हारो हेलो सुनो रामा पीर...

आजकल राजस्थान के टीलों में चारों और बाबा रामदेव जी के जयकारे गूँज रहे है.बाबा रामदेव जी को लोकदेवता माना जाता है जिनकी पूजा हिंदू और मुसलमान समान भाव से करते है!हिंदू जहाँ इन्हे देवता मानते है वहीँ मुसलमान इन्हे पीर बाबा के नाम से जानते है!हर तरफ़ पैदल यात्रियों के .जत्थे जयकारे लगाते रामदेवरा की और बढ़ रहे है,वहीँ रस्ते में जगह जगह सेवा दल उनकी खाने पीने के लिए मनुहार कर रहे है..!किसी ने सेवा शिविर में खाने का इंतजाम किया है तो कोई पैदल यात्रियों के घावों पर मलहम लगा रहा है और पैर भी दबा रहा है!हर तरफ़ आस्था का सैलाब दिखता है!रास्ता बहुत कठिन है क्यूंकि इस बार अकाल पड़ गया है,वर्षा भी नहीं हुई..लेकिन आस्था के आगे .कुछ भी नहीं है!पैदल यात्रियों में युवाओं के साथ साथ वृद्ध और बच्चे भी है जो राजस्थान की तेज़ गर्मी की परवाह करे .करे बिना चलते जा रहे है..!कुछ लोग बरसों से संघ बना कर पैदल जा रहे है!मैं ये देख कर हैरान हूँ की ये संघ पंजाब ,हरयाणा और हिमाचल के दूरवर्ती कस्बों से आए है..!अपने संघ और बाबा रामदेव का झंडा लिए हुए इनका उत्साह देखते ही बनता है..!बीकानेर से जैसलमेर जाने वाले पूरे रास्ते पर ये आम दृश्य है..!कुछ यात्री तो महीने भर .पहले ही घरों से चल पड़े थे जो भादवे की दशम [३० अगस्त] को बाबा के दर्शन करेंगे..!उधर रामदेवरा मन्दिर जो कि जैसलमेर के पास स्थित है ,में ७ किलोमीटर लम्बी लाइन लग गई है!फ़िर भी सभी पैदल यात्री दशम से पहले वहां पहुँच जाना चाहते है!यात्रा के दौरान वे ज़मीन पर ही सोयेंगे...और टीलों में बिच्छुओं और अन्य जीवों की कोई कमी नहीं है!लेकिन फ़िर भी बाबा की आस्था सब पर भारी है..और ज़ोर से नारे लगाते लोगों को किसी की भी परवाह नहीं है..!जो लोग पैदल नहीं जा पाए ,वे रास्ते में शिविर लगा कर उनकी सेवा करते हुए उत्साह वर्धन कर रहे है...!जगह जगह यात्रिओं के लिए नहाने,खाने और ठहरने की व्यवस्था की गई है !बीकानेर जैसलमेर हाइवे पर फ़िर भी यात्रिओं की अटूट लाइन चल रही है!.आख़िर वो कोई तो शक्ति है जो सब को रामदेवरा की और खींचे ले जा रही है....कोई यात्री यात्रा बीच में नहीं छोड़ता! ये आस्था है या चमत्कार.....सोचनीय बात है...

Saturday, August 22, 2009

चिंतन से पहले चिंता में ....बी जे पी...


जी हाँ ,आख़िर बी जे पी में वह तूफ़ान आ ही गया जो लोकसभा चुनावों .में हार के बाद आना था!लेकिन उस समय पार्टी सदमे में थी सो सभी नेता अपना अपना चेहरा छुपाने में जुट गए!किसी ने हार के कारणों पर मनन या चिंतन करना उचित नहीं समझा!सब एक दूसरे पर दोषारोपण में व्यस्त हो गए!और देखिये एक बड़ी राष्ट्रीय ..पार्टी की क्या हालत हो गई!लेकिन बड़े नेताओं ने फ़िर भी कोई सबक नहीं लिया!सबसे पहले तो आडवानी जी जिन्हें पूरी तरह से नकार दिया गया,इस्तीफा देते!फ़िर नई टीम बने जाती जो युवा हो ,उर्जावान हो और सबसे बड़ी बात जिन पर जनता भरोसा कर सके!क्योंकि पुराने नेता तो अपना भरोसा खो ही चुकें है!जनता ने पार्टी को नहीं इसके आपस में लड़ते नेताओं को नकारा है,जो देश को ..स्थिर सरकार का विशवास नहीं दिला पाए...!ये नेताओं की असफलता थी,नेताओं की नहीं...!लेकिन देखिये हुआ क्या.......!जिन्ना मुद्दे पर .आडवानी जी इस्तीफा नहीं देते,लेकिन जसवंत सिंह से इस्तीफा माँगा जाता है..!हार पर आडवानी जी इस्तीफा नहीं देते ,लेकिन वसुंधरा से इस्तीफा माँगा जाता है..!कांग्रेस पर आरोप लगाने वाली पार्टी ख़ुद इतनी कमजोर हो गई की क्या कहें..!देश को कुशल .सरकार देने का .वादा करने वाली पार्टी ख़ुद कुशल सेनापति नहीं दे पाई...!सारे के सारे नेता जनता के प्रति अपने कर्तव्य को भूल आपस में लड़ते रहे!और अब जब चिंतन का समय आया तो चिंता में डूब गए....!जिन लोगों ने बी जे पी को वोट दिया वो उससे क्या अपेक्षा करे?हार जीत चलती रहती है लेकिन पार्टी ख़तम होने के कगार पर पहुँच जाए,ये चिंतनीय बात है!क्या बी जे पी का अंत निकट है ?क्या पार्टी आपसी कलह से उबार पायेगी?क्या पार्टी पुराने समय को फ़िर दोहरा पाएगी?इन्ही सवालों के जवाब में ही पार्टी का भविष्य टिका है....

Thursday, August 20, 2009

बिटिया रानी...



घुटनों के बल चलती रहना ,खड़ी ना तुम हो जाना बेटी !!!! छोटी सी ही बनी रहना, जल्दी बड़ी न तुम हो जाना बेटी !!!


Wednesday, August 12, 2009

भारत और इंडिया में बंटता देश.....



पिछले कुछ वर्षों में इस विभाजन को सपष्ट देखा जा सकता है!हमारा देश बहुत तेजी से बदल रहा है...लेकिन इसके दोनों चेहरे बहुत साफ़ साफ़ देखे जा सकते है!.पहला तो वह आधुनिक इंडिया है..जिसमे आसमान छूती इमारते है,साफ़ सड़कें और बिजली से जगमगाते शहर है..!सड़क पर दौड़ती महँगी गाडियाँ विदेश का सा भ्रम पैदा करती है!यहाँ लोग सूट बूट पहने शिक्षित है जो आम बोलचाल में भी अंग्रेज़ी बोलते है...!बड़े बड़े होटल ,माल और .मल्टी प्लेक्स किसी सपने जैसे लगते है..!यहाँ के लोग इंडियन कहलवाना पसंद करते है...!ये हमारे देश का आधुनिक रूप है जो एक सीमित क्षेत्र में दिखाई .देता है...!और इस चका चौंध से दूर कहीं एक भारत बसा है जो अभी भी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है..!यहाँ अभी सड़कें,होटल मॉल नहीं है..बिजली भी कभी कभार आती है...!यहाँ के लोग सीधे सादे है जो बहुत ज्यादा शिक्षित नहीं है,इसलिए इन्हे अपने अधिकारों के लिए अक्सर लड़ना पड़ता है..!इस भारत और इंडिया को देख कर भी अनदेखा करने वाले नेता है जो हमेशा अपना हित साधते रहते है !लेकिन अफ़सोस इस बात का है की हमारी ७० %आबादी गाँवों में रहती है लेकिन इन भारत वासियों के लिए न फिल्में बनती है ना .कार्यक्रम ...!सभी लोग बाकि ३०% आबादी को खुश करने में लगे है....!तभी तो देखिये वर्षा न होने पर जहाँ लोग रो रहे है,सूखे खेतों को देख कर किसान तड़प उठते है...दाने दाने को मोहताज़ हो जाते है ..!वहीं ये इंडियन रैन डांस करने जाते है ..इनके लिए .कृतिम बरसात भी हो जाती है...!क्या कभी पिज्जा खाने वाले लोग उन भारतवासियों के बारे में सोचेंगे जो एक समय आज भी भूखे सोते है????क्या कभी हमारे नेता इन ऊंची इमारतों .के पीछे अंधेरे में सिसकती उन झोपड़ पट्टियों को देख पाएंगे जो इंडिया पर एक पाबन्द की भांति है....!इन में रहने वालों और गाँवों में रहने वालों में कोई अन्तर नहीं है.....!यहाँ बसने वाला ही सही भारत है जिसे कोई इंडियन देखना पसंद नहीं करता,लेकिन जब ये सुखी होंगे तभी इंडियन सुखी रह पंगे..पाएंगे...इस इंडिया और भारत की दूरी को पाटना बहुत जरूरी है....!ये दोनों मिल कर ही देश को विकसित बना सकते है....!

Monday, August 3, 2009

इन सीरीयल्स से हमें बचाओ....?



आज के समय में जितने टी वी .चैनल बढे है उतने ही विवाद भी !हर चैनल हर रोज ये नए शो लेकर आ रहा है जिनका मकसद हमारे मनोरंजन से ज्यादा अपनी टी आर पी को बढ़ाना होता है!हर कोई नई चीज़ पेश करने के चक्कर में हमें घनचक्कर बना रहा है जैसे की हमने अपनी फरमाइश पर इन्हे बनवाया हो..!ये बार कहते है आपकी भारी मांग पर इसे पुनः टेलीकास्ट कर रहे है जबकि हम तो इन्हे एक बार भी नहीं देखना चाहते...!एक सीरीयल आता है ...."इस जंगल से मुझे बचाओ"...भाई हमने कब कहा था की जंगल में जाओ,जो अब हम सब काम छोड़ कर आपको बचाएं...!!इसी तरह "सच का सामना"में तथाकथित सच बोलने वाले हमें बिना मतलब बच्चों के सामने शर्मिंदा कर रहे है....सच बोल कर..!अगर ये सच इतना ही बोझ बना हुआ था तो .मन्दिर...,मस्जिद या गुरूद्वारे में जाकर गलती मानो,स्वीकार करो या अपने घर वालों के सामने आँख उठा कर बात करो ...हमें नाहक ही क्यूँ परेशान करते हो ?इधर राखी सावंत अपना अलग ड्रामा चला के बैठी है.....सब को पता है ..ये शादी नहीं करेगी...पर कईयों की करवा जरूर देगी ..!कुछ लोग कहते है की आप देखते क्यूँ हो ?टी वी बंद कर दो ?अरे .भाई...पहली बात तो बच्चे रिमोट को छोड़ते नही और ..दूसरे आप इतनी इतनी बार रीपीट काहे करते हो भाई?इधर नयूज वाले सारे दिन कहते है देखिये क्या होगा राखी का?कौन बनेगा दूल्हा?एक चैनल ने तो ख़बर चला दी ...राखी के सवयम्बर .का रिजल्ट आउट!!!!!और ऊपर से .सारे दिन आते ये ........ऐड...!!!क्या करे दर्शक????मैं पूछना चाहता हूँ की इन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?ये समाज को क्या देना चाहते है...?विदेश में परिवेश अलग है ..वहां के हिट शो यहाँ भी हिट होंगे .....ये जरूरी तो नहीं?फ़िर इनकी भोंडी नक़ल करने का क्या तुक?????हमारे अपने देश में ऐसे अनेक विषय है जिन पर हजारों शो बन सकते है...फ़िर ये बेतुका प्रदर्शन क्यूँ????मुझे याद है दूरदर्शन के वो दिन ..जब एक पत्र के लिखने से कार्यकर्म बदल जाता था.....!उन दिनों आन्मे वाला सुरभि नामक सीरीयल तो लोग आज भी याद करते है .......!और एक ये सीरीयल है जिनसे हर कोई बचना चाहता है....!.केवल हल्ला करने से कोई सीरीयल हिट नहीं होता है और ना ही ये लोकप्रियता का कोई पैमाना है !आख़िर समाज के प्रति कोई जवाब देही भी होनी चाहिए?? [फोटो-गूगल से साभार]

Wednesday, July 22, 2009

ये देश है मेरा...?


अपनी पिछली पोस्ट में मैंने लिखा था की हमें बेवजह विदेशियों के लिए पलकें पावडे नहीं बिछाना चाहिए !और लो उन्होंने साबित भी कर दिया..!एक विदेशी एयर लाइन ने पूर्व राष्ट्रपति के साथ जो सलूक किया वो हर भारतीय के लिए शर्मनाक है !ऊपर से तुर्रा ये की हम..सब.... से बराबरी का व्यहवार करते है,तो क्या जनाब ओबामा के साथ भी ऐसे,लेकिन अफ़सोस तब नहीं !क्योंकि भारतियों को अपमान सहने की आदत सी हो गई है ना !पहले तो वे अपने अपने देशों में अपमानित करते थे ,अब हमारे देश में भी वे हमारा अपमान करेंगे..!क्या एयर लाइन को विशिष्ट अतिथियों की गाइड लाइन का पता नही?क्या वे पूर्व राष्ट्रपति को जानते नही?क्या सुरक्षा के नाम पर जूते उतरवाए जाते है?साफ़ है की उनका मकसद अपमानित करना ही था...!और हम है की रत लगा राखी है...पधारो म्हारे देश ....!आओ हमारा अपमान करो,बीमारियाँ .फैलाओ...हमें बुरा नहीं लगता..! हमारे देश के नेता बहुत उदार है ,उनकी मोटी चमडी पर कुछ असर नहीं होता..!इसीलिए कभी कुछ नहीं होता !कभी जोर्ज फर्नांडिस तो कभी प्रणब मुखर्जी को जांच के नाम पर कपड़े उतारने पड़ते है..!कभी भी विदेशी नेताओं से हम ऐसा करने की हिमाकत कर सकते है?शायद नहीं.....!हर विदेशी चीज़ को भाग कर अपनाने वाले क्या अपमान करना भी अपना पायेंगे? नहीं...क्यूंकि हम तो अपमान सहना जानते है करना नहीं.....!

Wednesday, July 15, 2009

पधारो म्हारे देश...लेकिन....

जी हाँ..यही हमारे देश की संस्कृति है...~!राजस्थान टूरिजम का तो नारा भी यही है..पधारो म्हारे देश...!पर्यटक हमारे देश के मेहमान है,वे हमारे यहाँ आते है ,खर्चा करते है और हमारे देश से अच्छी यादें लेकर जाते है !यहाँ तक तो ठीक है लेकिन बदले में वे हमें जो नुक्सान पहुँचा रहे है ,उस और ध्यान देना जरूरी है!वे नई नई बीमारियाँ लेकर आ रहे है यहाँ लोगों से घुल मिल कर वे इनका प्रसार कर रहे है !अख़बारों में प्रकाशित रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसी अनेक बीमारियाँ जो भारत में प्रचलित नहीं थी ,इन विदेशी मेहमानों द्वारा आ रही है..!और देखिये हमारी सरकार इनके प्रति कितनी उदार है जो इन्हे बिना जांचे परखे सर आँखों पर बिठा रही है..!आपको याद होगा .की किस तरह आस्ट्रेलिया दौरे पर हवाई अड्डे पर भारतीय खिलाड़ियों के जूते उतरवा लिए गए थे..?और एक बार भारतीय मंत्री जी को नंगे होकर तलाशी देनी पड़ी थी...फ़िर हम क्यूँ इतने उदार बने हुए है?आज जरूरी है की हम पूरी जांच पड़ताल के बाद ही इन मेहमानों का स्वागत करे....!बिमारियों के साथ साथ हमें इनकी सांस्कृतिक बुराइयों से भी बचना होगा...!

Thursday, June 25, 2009

आख़िर हुआ क्या है युवाओं को..?

आजकल जिस तेजी से हमारा समाज और संसार बदलता जा रहा है उससे सबसे ज्यादा विचलित आज के युवा हो रहे है...!वे बदलते परिवेश,तकनीक...और सामाजिक ढांचे से तालमेल नहीं बिठा पा रहे....!सही मायनों में वे अपने आप को .एडजस्ट......नहीं कर पा रहे....!सब कुछ इतनी तेजी से बदल रहा है कि उनकी सोचने समझने कि शक्ति भी कम हो गई...इसलिए उन्हें जो ठीक लगता है ,वो करते है..!यानी उनकी नज़रों में जो सही है,वही सही है..!वे अपनी जिंदगी में किसी कि दखल अंदाजी पसंद नहीं करते..!अपना जीवन वो अपने तरीके से जीना चाहते है..!वे अपनी मर्ज़ी के मालिक है...!अपने ढंग से खाना पीना,रहना और मस्ती करना वे अपना हक मानते है....और इस मामले में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के युवाओं कि एक ही राय है,मत है!!ना जाने ये सारे के सारे किन नियमों को फोलो कर रहे है...!आपके पास से ये मुंह पर कपड़ा बांधे निकल जायेंगे और आप इन्हे पहचान नहीं पाएंगे....यही इनका स्टाइल है...ऐसे ही ये करना चाहते है...!लेकिन ये रास्ता उनको कहाँ ले जा रहा है ये उनको ख़ुद नहीं पता....!इसी राह पर चलते चलते अक्सर ये भटक भी जाते है....फ़िर सब गँवा कर होश में भी आए तो क्या?अपना करियर और जीवन तबाह करके क्या हासिल होगा?आज का युवा अपराध,नशे और अन्य ग़लत कामों से जुड़ता जा रहा है.....उन सब को ये समझ लेना चाहए कि इसका अंत इतना बुरा है ...जो कोई भी इंसान नहीं चाहता...!इन ग़लत ...धंधों में जाने के तो अनेक रस्ते है लेकिन .बाहर...निकलने का एक ही रास्ता है...वो है मौत..!इस लिए आज सभी अभिभावकों की भी ये जिम्मेवारी है कि वो अपने बच्चों को एक दोस्त कि तरह ही समझाये न कि डांट डपट ...कर क्यूंकि एक ग़लत फैसले से उसका भविष्य बरबाद हो सकता है...!

Tuesday, June 16, 2009

हम नहीं बदलेंगे?...


जी हाँ,चाहे सारा जमाना बदल जाए..पर हम नहीं बदलेंगे...!आपने ठीक समझा मैं बी जे पी की ही बात कर रहा हूँ..!चुनाव में लुटिया डूब गई...पर अकड़ नहीं गई...!कोई हार की जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है...!सब अपने अपने खेमे को मजबूत .करने..में लगे है..!हर कोई पार्टी में अपनी हसियत साबित करने पे तुला है..!होना तो ये चाहिए था की पार्टी अपनी हार स्वीकार करके आत्म मंथन करती...पर इसके उलट सब अपनी अपनी डफली बजाने .में..लगे है...!आडवानी जी शुरूआती ना नुकर के बाद फ़िर से पार्टी नेता बन गए है,जबकि उन्हें अब तक समझ जन चाहिए था की अब युवाओं की बारी है...!वे क्यूँ कुर्सी से चिपके रहना चाहते है...?बाकि नेता भी त्यागपत्र त्यागपत्र खेल रहे है....!अरे आप क्यूँ नहीं सामूहिक रूप से इस्तीफे दे देते ताकि .पार्टी नई टीम बना सके..!अब एक आधे त्यागपत्र से कुछ.. नहीं होने वाला,अब तो नई शुरुआत करनी होगी,नया चेहरा प्रस्तुत .करना होगा ..!आप क्यूँ नहीं कुछ करना..चाहते ,जबकि जनता ने आपको नकार दिया है...!अब भी समय है...पार्टी को एक बार फ़िर नए जोश और नए रूप के साथ आगे आना होगा...!आडवानी जी को जिद छोड़ कर युवा पीढ़ी को कमान सौपनी होगी...!द्वितीय पीढी के नेताओं को आगे लाना होगा...!इस में कोई बड़ी बात भी नहीं है ,क्यूंकि आगामी चुनावों से पहले काफ़ी समय है काया कल्प के लिए..!सिर्फ़ हिन्दुत्व और साम्प्रदायिकता के नारे को छोड़ नए नारे ..ढूँढने...... होगे,एक नया माडल पेश करना होगा...!क्या ये सब कुछ बी जे पी कर पायेगी?इसी पर उसका भविष्य टिका है....!

Thursday, June 11, 2009

क्यूँ बदल ग्या इंसान.....?


आज की इस भीड़ भाड़ वाली जिंदगी में हर आदमी व्यस्त है...!किसी के पास वक्त नहीं है ,हर कोई भागा जा रहा है..!लोग क्यूँ भाग रहे है?कहाँ जा रहे है?किसी को कुछ नही पता..!सड़क पार करने के लिए इंतजार करना पड़ता है ..!सड़क पर गाड़ियों का बहाव देख कर ऐसा लगता है जैसे पूरा शहर आज खाली हो जाएगा...!अस्पताल में देखो तो ऐसे लगता है जैसे पूरा शहर ही बीमार हो गया है !चारों और दर्द से कराहते लोग,रोते,चीखते लोग....लगता है जैसे दुनिया में दर्द ही बचा है...!रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर बहुत ज्यादा भीड़ है ,दम घुटने लगता है..!कभी मन बहलाने पार्क में चला जाऊँ तो लगता है ..सारा शहर मेरे .पीछे वहीँ आ गया है....!मैं अक्सर भीड़ देख कर चिंता में पड़ जाता हूँ....जब संसार में इतनी भीड़ है तो भी फ़िर इंसान अकेला क्यूँ है?अकेलापन अन्दर ही अन्दर क्यूँ ..खाने को आता है?आज इस भरी भीड़ में भी हमें कोई अपना सा क्यूँ नहीं लगता.....~!अभी कुछ समय पहले की तो बात है जब शहर जाते थे तो पूरा गाँव स्टेशन पर छोड़ने आता था ..बहुत होंसला होता था...लगता ही नहीं था की हम अकेले है...!फ़िर गाड़ी में भी लोग अपनत्व की बातें करते थे !कब शहर आ जाता था...महसूस ही नहीं होता था...!फ़िर .शहर में किराये के कमरे में रहते हुए कभी नहीं लगा की मैं बाहर रह रहा हूँ...!पूरा मोह्ह्ल्ला मेरे साथ था..सब लोगों के घर आना जाना था...!कोई .चाचा...... कोई ताऊ और कोई बाबा होते थे....जो अपनों से ज्यादा प्यार करते थे...!मैं भी भाग भाग कर सबके काम कर देता था....!स्कूल हो या कालेज सभी जगह कोई ...ना कोई जानकार मिल जाता था या बन जाता था........! कुल मिला कर बड़ी मस्ती से दिन निकल जाते थे ...! फ़िर अब इस शहर को क्या हो गया ?किसकी नज़र लग गई?क्यूँ सभी अजनबी से हो गए?अब किसी को देख कर क्यूँ मुंह फेरने लग गए ?इस भीड़ भाड़ वाली दुनिया में हम अकेले क्यूँ पड़ गए?अब दूसरो के दर्द में दर्द और खुशी में खुशी क्यूँ नहीं .महसूस...होती..?क्या .सच में इंसान बदल गया या रिश्ते बदल गए...?

Friday, June 5, 2009

पर्यावरण और हमारा दायित्व....



जी हाँ ,आज पर्यावरण दिवस है...!हमेशा की तरह ही बड़ी बड़ी बातें,भाषण और ढकोसले होंगे !और लो .हो गया..अपना दायित्व पूरा....!लेकिन यदि हम थोड़ा सा भी .संजीदा हो तो बहुत कुछ कर सकते है...!हमें अपने जीवन में छोटी छोटी बातों का ध्यान .रखना है..जैसे की एक पेड़ कम से कम जरुर लगाना है !अब ये बहाना की जगह नहीं है,छोड़ना होगा!अपनी पृथ्वी बहुत बड़ी है..आप कहीं पर भी ये शुभ कार्य कर सकते है...!इसके साथ ही जो पेड़ पहले से ही लगे हुए है उनकी रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है..!आज शहर कंक्रीट के जंगल बन गए है,लेकिन फ़िर भी यहाँ कुछ पार्क आदि अभी बचे है,जिन्हें हम सहेज सकते है..!इसके अलावा खुले स्थानों पर गन्दगी फैलाना,कचरा डालना और जलाना,प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग करना..,भूमिगत जल को गन्दा करना आदि अनेक ऐसे कार्य है जिन पर हम स्वत रोक लगा सकते है!लेकिन हम .ऐसा ना करके सरकार के कदम का इंतजार करते है...!आज हम ये छोटे किंतु महत्त्व पूरण कदम उठा कर पर्यावरण सरंक्षण में अपना .अमूल्य योगदान दे .सकते...है...

Monday, June 1, 2009

धुम्रपान का विरोध जरूरी है....






धुम्रपान को .रोकने..के लिए सरकार ने एक बार फ़िर से पहल की है..!सरकार ने सिगरेट के पैकेट पर डरावने चित्र प्रदसित करने का फ़ैसला किया है...जो एक उचित निर्णय है..!लेकिन क्या इतना भर करने से लोग धुम्रपान करना छोड़ देंगे..??हरगिज नहीं...!इसके लिए हमें कुछ ठोस कदम उठाने होंगे...!सबसे पहले तो धुम्रपान का महिमंदन बंद करना होगा ..!आज सभी जगह धुम्रपान करना एक फैशन की तरह हो गया है....!सिगरेट पीने वालों को कम .आयु के लोग एक आदर्श मानने लग जाते है...!वे अपने आप को धुम्रपान करते समय बड़ा समझने लग जाते है..!बालीवुड फिल्मों में भी हीरो और विलेन सिगरेट के कश लगाते नज़र आते है...जिससे भी युवाओं पर बुरा असर पड़ता है...!इसके बाद सिगरेट पर टैक्स इतना बढ़ा देना चाहिए की महँगी होने की वजह से हर कोई इसे नहीं पी सके !साथ ही में सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान .न करने के नियम की भी कडाई से पालना होनी चाहिए...!सभी जगह धुम्रपान के विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए...!इस सब से धुम्रपान का प्रचार प्रसार कम होगा और कम से कम नए लोग इस और आकर्षित नहीं होंगे...!बाकी पीने वाले भी कुछ सबक जरूर लेंगे !धुम्रपान विरोधी अभियान के लिए बच्चों का साथ लेना भी एक अच्छा प्रयास हो सकता है...!बस .आव्सय्कता है एक उचित पहल करने की...

Sunday, May 17, 2009

किसकी सरकार है ये..?

पूरे देश के चुनाव परिणाम घोषित ओ गए है और एक दो दिन में नई सरकार का गठन भी हो जाएगा..!लेकिन यहाँ एक सवाल उठता है की ये सरकार क्या सब जनता का .प्रतिनिधितव करती है..?क्यूंकि एक मामूली सी बैठक के लिए भी कोरम पूरा होना जरूरी होता है!जबकि यहाँ तो आधे लोगों ने तो वोट ही नहीं दिया..!जो भी सांसद जो आधे से भी कम लोगों की .पसंद..हो,वो क्या हमारा नेता हो सकता है?ये बात विचार करने योग्य है की कैसे वो सांसद .सब लोगों की पसंद बन .पायेगा..जब उसे .२० परतिशत...मत मिले हो?निश्चित तौर पर ये हमारी ...व्यवस्था....की खामी है जिस पर ध्यान देना आवयश्क है....आज यह समय की मांग है की या तो मतदान अनिवार्य करें या फ़िर जीतने के लिए कम से कम ३६ प्रतिशत वोट प्राप्ति की अनिवार्यतया लागू करें?जब एक विद्यार्थी ३६ प्रतिशत से कम अंक लाने पर फ़ैल हो जाता है तो फ़िर नेता २० प्रतिशत अंक लाकर भी कैसे पास हो जाता है ?एक सुझाव ये भी है की मतदान करने वालों को प्रोत्साहित किया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग मतदान में भाग ले..!करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी यदि सरकार ४० से ५० प्रतिशत .मतदान करवा पाये तो उसमे भी जीतने वाले को कितने प्रतिशत मिले?ये आप भी सोचिये...!

Sunday, May 10, 2009

माँ तुझे सलाम.....


माँ...कितना अद्भुत और सम्पूर्ण शब्द है ..जिसकी कोई तुलना ही नहीं है..!सभी भाषाओँ में ये शब्द सबसे लोकप्रिय है..!जब भी कोई व्यक्ति दुखी होता है तो उसके. मुंह से यही शब्द निकलता है..!माँ होती भी ऐसी है..तभी तो बच्चा माँ की उपस्थिति मात्र से चुप हो जाता है..!उसके आँचल और सानिध्य में ही वह सुरक्षित महसूस करता है..!कहा भी गया है पूत ,कपूत हो सकता. है पर माता कभी कुमाता नहीं हो सकती..!वह स्वंय.. भूखी रह कर भी बच्चे को खिलाती है,स्वंय. गीले में सोकर भी उसे सूखे में सुलाती है..ऐसी होती है..माँ!कहते है की एक अकेली माता अपने सभी बच्चों को प्यार से पाल लेती है,लेकिन वही बच्चे सारे मिल कर भी एक माँ को नहीं पाल सकते..!माँ सभी के लिए ममता लुटाती है...उसे अपने सभी बच्चे समान .रूप से..प्रिय होते है..! बच्चे कोई भूल कर दे तो भी वह बच्चों को भूलती नहीं है.!......पन्ना धाय जैसी माँ को कौन भूल सकता है...?हँसते हँसते अपने बेटों को युद्घ भूमि में भेजने वाली माँ की क्या तुलना करें?हे माँ तू हर रूप में महान है...!सात बार जन्म लेकर भी हम माँ का क़र्ज़ नहीं उतार सकते..."मदर्स डे" पर मैं माँ को बारम्बार नमन....करता हूँ..!

Saturday, May 2, 2009

ये बेलगाम बोलते नेता....

सभी कहते है की ये चुनाव कुछ अलग है..!जी हाँ मैं भी कहता हूँ की ये अलग है,कई मायनो में अलग है..!एक दूसरे पर कीचड उछलने वाले नेता वही है..पर इस बार उनकी भाषा अलग है..!हो सकता है तेज़ गर्मी इसकी वजह हो पर बात कुछ अलग है..!इस तरह की बेकार भाष,शब्दावली मैंने पहले कभी नहीं सुनी,ये चीज़ अलग है..!सभी परशन के नेता जिस प्रकार की छिछोली भाषा पर उतर आए है वो हैरान करता है..!सुबह कुछ कह कर शाम को मुकर जन आम सी बात हो गई है..!लालू ,राबडी के बोलने पर इसे गाँव की भाषा कह कर नजरंदाज़ किया जाता था...पर अब अनुभवी और शिक्षित नेताओं के क्या हो गया?वे क्यों इस तरह से बोलने लगे..?और बोले तो भी जनता क्यूँ सुने ये ?आज भी हमारे देश में व्यक्ति पूजा हावी है..हम बहुत जल्दी ही किसी को अपना आदर्श मानने लग .जाते है..!जब ये आदर्श ही .असभ्यता पर...उतर आए तो फ़िर आम जनता क्या करे?.चाहे नेता हो या अभिनेता या खिलाड़ी हम उनका अनुशरन्न क्यूँ करें?हमारे बच्चे क्या सीखेंगे उनसे?यदि .हम उनकी बकवास नहीं सुनेंगे तो वो भी संभल कर बोलेंगे...इस तरह से वे अभद्रता नहीं कर पाएंगे...!अश्लील श्रेंणी की पिक्चर को "अ'सर्टिफिकेट दिया जाता है ताकि नाबालिग़ उसे ना देखे फ़िर इन नेताओं को क्यों सुने...!असभ्य भाषा बोलने वाले नेताओं को भी "अ" सर्टिफिकेट दिया जाना चाहिए..!पुन..गलती करने पर भाषण देने पर रोक भी लगाई जा सकती है....

Tuesday, April 28, 2009

खुशबू बिखेरती..बेटियां..


घर भर को जन्नत बनाती है बेटियाँ॥! अपनी तब्बुसम से इसे सजाती है बेटियाँ॥ ! पिघलती है अश्क बनके ,माँ के दर्द से॥! रोते हुए भी बाबुल को हंसाती है बेटियाँ॥! सुबह की अजान सी प्यारी लगे॥, मन्दिर के दिए की बाती है बेटियाँ॥! सहती है दुनिया के सारे ग़म, फ़िर भी सभी रिश्ते .निभाती है बेटियाँ...! बेटे देते है माँ बाप को .आंसू, उन आंसुओं को सह्जेती है .बेटियाँ...! फूल सी बिखेरती है चारों और खुशबू, फ़िर .भी न जाने क्यूँ जलाई जाती है बेटियाँ...

Saturday, April 25, 2009

दो बच्चों की मौत से कुछ सीखें हम....

शहरों में जो बड़े बड़े नामी स्कूल है,जिनका शिक्षा में बड़ा नाम है....आज दो घटनाओं से उनकी असलियत सामने आ गई...!पहली घटना में तो एक मासूम बच्ची समय पर इलाज़ ना मिलने से मारी गई जबकि दूसरी घटना में एक बच्ची बस दुर्घटना में मारी गई!बहुत अफ़सोस हुआ इन मामलो में स्कूल प्रबंधकों का रअविया देख कर ..!माँ बाप घर से बच्चों को स्कूल संचालकों के भरोसे भेजते है लेकिन उन्होंने क्या किया?जब बच्चे की तबियत खराब हुई तो तत्परता दिखाने .की जगह स्कूल वालों ने ढिलाई बरती जिसके कारण एक बच्चे की जान चली गई!दूसरी और बस दुर्घटना का .कारण था..ड्राईवर की जगह ..खलासी का बस चलाना...!ऊपर से ये कहना की बच्चों की जिम्मेदारी माँ बाप की होती है?फ़िर आप इतनी फीस काहे की लेते हो भाई....?क्या आपकी कुछ जिम्मेवारी नहीं?जब कोई बच्चा मेरिट .में आता है तो येही स्कूल वाले पूरे पेज का ऐड देते है क्यूँ?और विपदा की हालत में आप बच्चे को फर्स्ट ऐड तक नहीं दे सकते?.क्या ये दोहरा मापदंड नहीं है?और भी बहुत सी बातें है जिन पर ये खरे नहीं उतरते....लेकिन क्या करें ..बच्चों को पढाना भी तो है...!इन स्कूलों में ज्यादा फीस,पीने का पानी न होना, कबाडा बसें आदि कई अन्य रोग भी है जिन पर अब ध्यान देना जरूरी हो गया है....

Sunday, April 19, 2009

क्यों बढ़ रहे है वृद्ध आश्रम...?


हमारे समाज और देश में बूढों की हालत देख कर जी भर आता है.पिछले कुछ वर्षों में देश में जिस तेजी से वृद्ध आश्रम बढे है...वो सारी कहानी ख़ुद ही बयान कर देते है..!भारत जैसे देश में जहाँ माता पिता को देव तुल्य समझा जाता है...वहां इस तरह की बेरुखी सतब्ध करती है..!क्या वाकई में हम इतने आगे बढ़ गए है की आज ये बूढे हमारे लिए बोझ बन गए है?जिस घर को इन्होने अपने खून पसीने से सींचा ..उसी घर के एक बाहरी कोने में इन्हे पड़े देख कर दिल पर चोट सी लगती है..?पूछने पर आज की संतान कहती है इन्होने नया क्या किया?सभी माँ बाप अपने बच्चों के लिए ये सब करते है...!लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूँ की क्या संतान भी ऐसा ही कर पाती है...?आख़िर माँ बाप भी तो उम्मीद करते है की उनकी .संतान उनके बुढापे की लाठी बने...!पर ऐसा कहाँ होता है...!बूढे अपनी मूक नज़रों से ये सब होते हुए भी क्या चाहते है..सिर्फ़ इज्ज़त के साथ दो वक्त की रोटी ?क्या ये भी उन्हें नहीं मिलनी चाहिए?अगर नहीं तो फ़िर क्यूँ हम दान के नाम पर इधर उधर चंदा देते .फिरते है ?ताकि सोसायटी में हमारी इज्ज़त बनी रहे...?मैं ऐसी मानसिकता वाली सभी संतानों से कहना चाहता हूँ की जिन्होंने आपके सुख के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया..आप भी उन्हें कुछ समय .दे...!देश में वृधाश्रम की नहीं स्कूल की जरुरत है जो संतानों को सही संस्कार दे सके..... !मेरा मानना है की इस दिशा में कुछ न कुछ करना आवश्यक है....

Friday, April 17, 2009

प्रतिभा पलायन क्यों....?

पुराने जमाने में भारत को सोने की चिडिया कहते थे..ये हम सब जानते है...!अंग्रेज भी जानते थे ...पुर्तगाली भी जानते थे तभी वे इतनी दूर तक आ गए...!आज के .वर्तमान...भारत को पूरा विशव ज्ञान की चिडिया के रूप में जानने लगा है!समस्त विशव में भारतीयों ने अपने ज्ञान का डंका बजाया है तभी तो हर जगह भारतीय लोग छा..गए है...!अमेरिका में तो राष्ट्रपति ओबामा का आधा स्टाफ ही भारतीय है..!अपने ज्ञान के दम पर भारतीय लोगों ने पूरे संसार में अपनी एक अलग पहचान बनाई है...!लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है...!भारत ने इसकी कीमत भी चुकाई है....प्रतिभा पलायन के रूप में...!आज देश की प्रतिभा देश में नहीं बल्कि विदेश में अपना भविष्य देखती है..!देश अपने संसाधन लगा कर एक प्रतिभा को तैयार करता है और वो अपना ज्ञान देती है विदेशों को...!उसके ज्ञान और अनुभव से देश वंचित हो जाता.. है...!आखिर क्यूँ होता है..ऐसे...?जवाब ज्यादा जटिल नहीं है...इसका कारण है ..हमारी व्यवस्था....,लाल फीताशाही..और काम ना करने की आज़ादी..!यहाँ से अच्छा माहोल और पैसा उन्हें विदेशों में आकर्षित करता है....!अब देखिये ना हमारी सरकार गांधी जी की कुछ वस्तुओं ,कोहिनूर हीरे और कुछ अन्य अनुपयोगी वस्तुओं के लिए तो मगजमारी करती है जबकि प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए कोई पहल नहीं करती..!अगर ये प्रतिभाएं देश को अपना ज्ञान देती तो आज हम हर मामले में विकासशील देशों से आगे खड़े होते !जहां हर राष्ट्र अपनी भाषा,संस्कृति और शिक्षा का संरक्षण करता है वहीँ हम.. इनका त्याग कर रहे है..ऐसे में देश का क्या होगा...! हमारे यहाँ योग्यता से ज्यादा महत्व व्यक्ति को दिया जाता है जो गलत है..!...आज .विदेश में रखे काले धन पर तप सब की नज़र है...पर विदेशों में बसे प्रतिभाशाली लोगों का क्या????क्या उन्हें कोई .पॅकेज देकर वापस नहीं लाया जा सकता...?क्यूँ सभी पार्टियाँ खामोश है?क्या देश का उन पर अब कोई हक नहीं रहा या आज उनकी यहाँ कोई जरुरत नहीं है?सच तो ये है की सब वापस आना चाहते है लेकिन कोई शुरुआत करें तो सही...!एक अच्छी और दिल से की गई शुरुआत देश का भविष्य बदल सकती है....

Thursday, April 16, 2009

बेटियां.....

पग पग संघर्ष करती है बेटियां... अजन्मी ही मरती है आज बेटियां... । कुछ न पाने की चाह में फूल सी खिली... आजन्म खुशबू बिखेरती है बेटियां.... बेटों की अभिलाषा में जीने वालो... बेटों से बढ़ कर होती है बेटियां... घर की या बहार सकी हो दुनिया,, विभिन् रंगों से संवरती है बेटियां॥ । पत्नी से माता बन,भाई की बन के बहना॥ । सभी रूपों में दर्द को सहजती है.बेटियां... चुनोतियों के हार पहन,ना हारने वाली... वक्त के हर साँचें में ढलती है बेटियां...

Wednesday, April 15, 2009

क्या है चुनावी मुद्दा...?

चुनावी माहोल में नेता लोग शायद देश की वास्तविक समस्याओं को भूल गए है!तभी तो सब एक दूसरे पर टीका टिप्पणी करने लगे है...!इनकी बातें सुन कर तो ऐसे लगता है जैसे देश में कोई मुद्दा ही नहीं है..!मोदी .कांग्रेस को बूढी बता रहे है तो कांग्रेस वाले बी जे पी को ?चलो दोनों .बूढी नहीं है...युवा है...पर ये तो बताइए युवा जन के लिए आपकी क्या योजना है....युवा वर्ग को क्या तोहफा देंगे आप?आज पूरे विशव में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है....युवाओं की नोकरियाँ जा रही है...!कुछ दिनों के अन्दर ही लाखों युवा बेरोजगार हो गए है...!हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है...!क्या हम बचा पाएंगे?मिलेगी नोकरी...?दूर होगी आर्थिक मंदी?इसके अलावा महंगाई भी सुरसा की तरह मुह बाए खड़ी है...?कीमते आसमान छू रही है...और नेताओं को मसखरी सूझ रही है....!क्या देश में अब कोई मुद्दा नहीं रहा...जो ने३त फालतू की बहस छेड़े .बैठे है....अब आप देखिये किस तरह ये लोग एक दूसरे पर कीचड उछालते फ़िर रहे है...?गडे मुर्दे उखाड़ने से या धर्म की ठेकेदारी करने से .क्या होगा...?युवा लोग आपसे उम्मीद लगायें बैठे है....उन्हें होंसला दीजिये...?आर्थिक मंदी दूर करने का ठोस प्रबंधन कीजिये....?

Tuesday, April 7, 2009

जूता नहीं है...ये...

चूड़ी नहीं है...दिल है... देखो ...ये गीत तो आपने सुना ही होगा..!ठीक वही आजकल जूतों के बारे में हो रहा है..!आजकल अभिव्यक्ति का नया मध्यम बन गया है...ये जूता..!जिसे देखो वो फेंक रहा है!लेकिन जूता फेंकने के पीछे भावना कुछ और ही होती है..!जैसे की बुश साहब पर जूता इराकी निति के कारण पड़ा जबकि मंत्री जी सफाई जरनैल सिंह जी को पसंद नही आई...!लेकिन एक बात जरूर अलग है वो ये की जरनैल जी शायद केवल एक संदेश देना चाहते थे .नहीं तो...कुछ भी हो सकता था...!जबकि बुश साहब पर तो जूते पूरे .वेग से .और दो बार फेंके गए थे...!पर एक बार फेंको चाहे दो बार...धीरे फेंको चाहे जोर से...मतलब की बात ये है की ऐसा हुआ क्यों???नाराजगी की बात तो ठीक है पर इसे जायज़ नहीं ठहराया जा सकता...!अन्तराष्ट्रीय समुदाय में देश की किरकरी होगी..सो अलग...!इसलिए तो कहा गया की भावनाओं पर .कंट्रोल.....रखना सीखो...नहीं तो कहीं ऐसा नहीं हो की अगली बार प्रेस कांफ्रेस में सभी को नंगे .पाँव..ही बुलाया जाए....[

Monday, April 6, 2009

ये हमारे नेता जी....

जिस तरह मेले का नाम लेते ही बच्चे उछल पड़ते है उसी तरह चुनाव की घोषणा होते ही नेताओं में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है..!अब देखिये जैसे ही आम .चुनाव का एलान हुआ वैसे ही सब नेता उठ खड़े हुए...जैसे की देव उठनी ग्यारस को देवता उठते है...!जो जहाँ था वहीं से बयानबाजी कर रहा है..!सब को बस टिकट चाहिए..!इसके लिए वे सब भूल गए है या की भूल जाना चाहते है...!कल तक जो एक दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाते थे वे अब गलबहियां डाले टी वी पर दिख रहे है..!टिकट के लिए मेंढक की तरह एक से दूसरी पार्टी के पोखर में फुदक रहे है..!सालों की दोस्ती और दुश्मनी को भुला कर रोज नए नए समीकरण बनाये जा रहे है..!एक अदद टिकट के लिए जी जान लगा रहें है..!झकाझक सफ़ेद कपडों में सजे धजे नेता हर गली मोहल्लों तक पहुँच गए है..!जिस तरह खंभे को देख कर कुत्ता पैर उठा देता है उसी प्रकार ये भी वोटर को देखते ही खींसे निपोर कर भाषण .पिला देते है..!मुझे हँसी आती है ये देख कर की....आज के ये नेता कुछ तो उसूल रखते होंगे..?जी हाँ है न ...वोटर को नए नए सपने दिखाना ,वाडे करना,वोट .खरीदना,प्रलोभन देना आदि बातें सब में समान..है..और ये सब इनमे कॉमन है...!इसके अलावा आधी अधूरी .शिक्षा, देश के बारे में अल्प ज्ञान और पुलिस रिकार्ड तो सबका एक है ही...अब आप बताइए किसे .चुनेंगे आप..?और हाँ पार्टी के नाम पर ना जियेगा...क्यूंकि चुनावों के बाद इन सब की एक ही पार्टी होगी...."सत्ता"

Sunday, April 5, 2009

आपकी.. माँ...हमारी माँ....

माँ ....अपने आप .पूर्ण शब्द है जिसके आगे कुछ नही बचता...!सम्पूरण विशव में सबसे लोकप्रिय शब्द भी शायद यही है...!दुःख के वक्त सबके मुहँ से निकलने वाला नाम भी "माँ" ही होता है..!कहा भी गया है की...पूत कपूत हो सकता है पर माँ कभी भी कुमाता नहीं हो सकती है!सभी माँ को अपने अपने बच्चे प्रिया होते है!माँ की ममता के सामने सभी रिश्ते पीछे रह जाते है.माँ कभी भी तेरी मेरी नहीं होती है....!माँ सभी के लिए एक समान होती है...वो किसी एक की नहीं होती है...!माँ के लिए सभी पुत्र .समान होते है..!लेकिन देखिये अब इतने अच्छे रिश्ते का भी मजाक बना दिया गया है...!कुछ दिनों से श्रीमती मेनका गांधी और सुश्री मायावती इस को लेकर गुस्से में है...!मेरे को समझ में नही आता की राजनीती के मैदान में ममता को क्यूँ घसीटा गया...!मेनका जी कहती है की मायावती जी माँ का दर्द नहीं जानती...!जबकि मायावती का कहना है की वरुण को सही ...शिक्षा नही मिली...!ये सब जानते है की संतान के बिना नारी अधूरी ही रहती है....मात्र्तव के बिना ममता के भाव कैसे अनुभव हो सकते है???और कोई माता अपने बच्चे को बिगड़ना नहीं चाहती है...सभी अपने बच्चे को आगे बढ़ते देखना चाहती है...!कोई माँ कभी भी अपने बच्चों के ख़िलाफ़ नहीं होती है...!मायावती जी इस ममता को समझ सकती है लेकिन शायद इस दर्द को नहीं समझ पाएगी...!इसलिए इस बात को राजनीती से परे रखना चाहिए...!ये तो राजनीती का मामला था सो सब को पता है ..बाकि सब जानते है की..."माँ" कभी भी ,किसी की भी ...कहीं भी....ऐसी ही होती है...होनी चाहिए भी...!

Thursday, April 2, 2009

देखिये...ये चुनाव है....

.चुनावी..बिगुल बज चुका है......चारों तरफ़ युध्घोश हो रहे है ..इसी के साथ ही कुछ नेता गिरगिट की भाँती रंग बदलने लगे है तो कुछ ने अपना चोगा .उतार फेंका है..!कुछ हिन्दुओं को तो कुछ मुसलमानों को गालियाँ निकाल रहे है....!कुछ जातिवाद को भुनाने में लगे है तो कुछ हमेशा की तरह गरीबों का वोट हथियाना चाहते है....!सब नेताओं ने तरह तरह के मुखोटे पहन लिए है....!वे मेंढक की तरह एक से दूसरी पार्टी में फुदक रहे है....अचानक ही वे हमारे .हमदर्द बन गए है....उन्हें हर हाल में हमारा वोट चाहिए...!इस चुनावी .नदी...को पार करने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते है...!हम सब ये देख कर भले ही हैरान हो लेकिन वे इस खेल के पुराने खिलाडी है....ये उनका पेशा है..!अब हमे चाहिए की हम उनकी बातों में ना आए...!चुनाव आते ही ये जहर उगलने वाले नेता बाद में फ़िर एक हो जायेंगे...इसलिए इनकी बातों में ना आना दोस्तों ...ये तो गरजने वाले बादल है जो बिन बरसे ही गुज़र जायेंगे.....

Sunday, March 22, 2009

पैसे के लिए कुछ भी करेगा...??


क्या हमारा क्रिकेट बोर्ड देश से भी ऊपर हो गया है? शायद हाँ...तभी तो वो आई पी एल को देश से बहार आयोजित करवाने पर .राजी..है..!उसके लिए देश के लोगों का कोई महत्त्व नहीं है...!दर्शक मैच देखना चाहे तो विदेश जाएँ या फ़िर टी वी पर देखें...!बोर्ड के पास इतना पैसा है की ..उसे दर्शकों से होने वाली आमदनी की कोई जरुरत नहीं है....!.इस...से ये सिद्ध हो गया है की ये सब पैसे का खेल है..और यदि सरकार बोर्ड को ना करेगी तो बोर्ड कुछ भी कर सकता है...!अब iस का नाम भले ही .इंडियन .प्रीमियर..लीग हो ये होगा इंडिया से .बाहर...!अब बेचारे नेता तो चाहते थे की ये चुनाव बाद हो क्यूंकि लोग उनका भाषण सुनने नहीं आयेंगे,रैलियों में नहीं आयेंगे...!लेकिन हो गया उल्टा....!अब .चुनाव..भी होंगे और आई पी एल भी होगा..!सरकार और बोर्ड की लड़ाई में देश जाए .पानी में...!पैसे के लिए हम तो कुछ भी करेगा...

Friday, March 20, 2009

किसका कसूर है ये....


अभी कुछ दिन पहले ही मैंने भडास पर पढ़ा की अजमेर में एक नवजात बच्ची लावारिस मिली...जिसकी बाद में अस्पताल में मौत हो गयी...!इस को पढ़ कर मैं रात भर सो नहीं पाया...!आखिर क्यूँ ऐसे हालात.. बन जाते है की माँ बाप को अपनी ही संतान को त्यागना पड़े..?कोई कैसे अपने जिगर के टुकड़े को इस तरह छोड़ सकता है.?और वो माँ तो सबसे ज्यादा बदनसीब है जो ९ महीने तक अपने पेट में पाल कर..उस बच्चे को इस दुनिया में २ मिनट भी न पाल पाए...?वो इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है...?आखिर वो बच्चा उसके लिए एक बोझ.. क्यों बन जाता है...जिसकी एक किलकारी से..सारा जग रोशन हो जाता है!इस पीडा को तो वो माँ बाप बेहतर समझ सकते है..जिनके कोई बच्चा नहीं है..!मात्र एक बच्चे के लिए वो दर दर भटकते है....!वो कोई मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा और मजार जाना नहीं भूलते...बस किसी तरह भगवन उनकी गोद हरी कर दे...!एक संतान की चाहत में न जाने कितने व्रत...रखते है..!कहाँ कहाँ नहीं जाते....!और एक ये माँ थी जिसने ना जाने किस मजबूरी में अपने ही खून को तनहा अनाथ छोड़ दिया...और बच्ची ने.. अपनी जान देकर माँ बाप की गलती की सजा पाई...! ये घटना हम सब को सोचने पर विवश तो करती ही है.साथ में समाज के लिए एक सबक भी है...

Tuesday, March 17, 2009

जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है...?

ये दुनिया भी अजीब है...भगवन किसी को तो बिन मांगे ही सब कुछ दे देता है,और किसी को लाख कोशिशों के .बाद..भी कुछ नहीं मिलता....!ऐसा ही किस्सा है ..गुड्डी और छोटू का...!कोई दिन ऐसा नहीं बीतता जब ये बच्चे प्राथना सभा में पुनीश्मेंट नहीं पाते....क्यूंकि इनके पास ना तो ..युनिफोर्म....होती और न ही किताबें ,पेन,पेन्सिल आदि...!हमारे यहाँ सरकारी स्कूल में किताबें तो फ्री मिल जाती है और फीस भी ना के बराबर है...लेकिन फ़िर भी बच्चों को कापियों आदि की जरुरत पड़ती ही है...!कई बार बुलाने पर एक दिन उनके पिताजी ..आए ..जो लगभग अधेड़ उमर एक गरीब आदमी था..जो हमारे कुछ कहने से पहले ही लगभग रो सा पड़ा.....!वो एक दुखी इंसान था..उसकी पत्नी जन्म..से ही अंधी थी.वह किसी तरह मजदूरी करके घर का खर्च चला रहा था....!पत्नी कुछ काम कर नही पाती थी ..सो बच्चों को नहलाने धुलाने से लेकर खाना बनाने तक के सारे काम उसे ही करने पड़ते थे....!इस चक्कर में वो कई बार काम पर भी नहीं जा पाटा...था...सो वो नुकसान अलग से..!.उस की....कहानी.... सुन कर हमारे स्कूल ..का पूरा स्टाफ बहुत शर्मिन्दा हुआ..!उस दिन से हमने गुड्डी और छोटू को उसी रूप में सवीकार लिया...!हम जहाँ तक सम्भव होता उनकी मदद भी करने लगे....!लेकिन ये भी इश्वर को कहाँ पसंद आया..एक दिन आवारा पशुओं ने उनके पिता की जान ले ली...!और वे अनाथ हो गए...उनका एकमात्र सहारा भी छीन गया...!माँ अंधी थी...इसलिए घर का कामकाज भी रुक सा गया....!गुड्डी और छोटू की पढ़ाई भी छूट गई...और हम चाह कर भी कुछ ना कर सके...!...आख़िर ये कैसा इम्तिहान ले रहा था .भगवान् भी..?????

Thursday, March 12, 2009

जैसा बोया..वैसा पाया....

जो जैसा बोयेगा वो वैसा ही पायेगा...ये बात पकिस्तान पर बिल्कुल फिट बैठती है...!उसने आज तक जो बोया ...उसकी फसल अब कट रही है...!जिन आंतकवादियों को उसने दूसरो के लिए तैयार किया वे अब उसी को नुक्सान पहुंचाने लगे है...!आज पाकिस्तान बारूद के एक ऐसे ढेर पर ..बैठा......है जिसमे कभी भी विस्फोट हो सकता है.और ये विस्फोट उसके पाले हुए आंतकवादी ही करेंगे...!लेकिन ये .सब..भारत के हित में नहीं होगा...!एक कमजोर पाकिस्तान हमारे लिए एक मजबूत दुश्मन साबित हो सकता है...!आज वहाँ के हालात इतने बिगड़ चुके है की सब पार्टियाँ...अपनी अपनी ढफली बजाने में लगी है...पर सेना अब भी आंतकवादियों का समर्थन कर रही है...

Saturday, March 7, 2009

उसने मुझे जीना सिखाया.....

देश के करोड़ों नौजवानों की तरह जब मैं भी रोजगार के लिए संघर्ष कर रहा था..!एक प्राइवेट स्कूल में पढाते पढाते जब मैं कोल्हू के बैल की तरह थक चुका था..और जिंदगी से हार चुका था ..तभी मेरी जिंदगी में एक बच्चा आया जिसने मेरी विचारधारा ही बदल दी!अब वही जीवन मुझे .अच्छा लगने...लगा था..जिससे कभी मैं तंग हो गया था...!हाँ...वह था एक बालक....'पारस'....!सातवीं में पढने वाले बच्चे .ने...मुझे इस तरह से प्रोत्साहित किया की..मैं उन अँधेरी गलियों से निकल कर एकदम से उजाले में आ गया..!जहाँ मेरे सामने बहुत से रास्ते खुल गए थे...!उसने मुझे वो अपनापन दिया.जिसके लिए सब तरसते है..और करोड़ों रुपये .खर्च...करके भी जो .खुशी...खरीदी ना जा सके..वो खुशी मुझे उस बच्चे ने अनायास ही दे .दी..जिससे .मैं फ़िर से एक्साम देने लगा और आज सरकारी सेवा में कार्यरत हूँ....!जब एक आदमी पूरी तरह से टूट जाता है तो उसे जरुरत होती है...नैतिक समर्थन की और मैं आज ये सोच कर हैरान हूँ की उसने .ये कर के दिखाया...!उसने मेरे .वय्कितव....को एक नई दिशा दी...!तभी मैंने जाना की किस प्रकार से एक बच्चा भी हमारा जीवन बदल सकता है...!मैं आज भी .अहसानमंद हूँ....

Friday, March 6, 2009

हम तो खेलेंगे होली.....

आजकल पूरे देश में एक अभियान चल रहा .है...की होली मत ,खेलो...क्यूंकि इससे पानी की बर्बादी होती है..!मैं इससे सहमत नहीं हूँ..क्यूंकि एक तो तायोंहरों का महत्त्व वैसे भी कम हो गया है..और फ़िर रही सही कसर ये अभियान पूरी कर रहे है.!मुझे अच्छी तरह से याद है की ,किस तरह दिवाली पर भी ऐसा ही हुआ था...पटाखे न चलाओ ...प्रदुषण होता है...!तो क्या हम अपने रीति रिवाज़ भूल जाएँ...त्योंहार न मनाए...????तो क्या करें .??क्या..हमारे बच्चे इनके बारे में केवल किताबों में पढेंगे...?पिछले कुछ समय से ये साजिश सी हो रही है....इन त्योंहारों को भुलाने और विदेशी त्योंहारों को हम पर थोपने की.....!क्या आप को याद आता है की किस तरह से velentine.............डे को यहाँ एक बड़ा उत्सव बना दिया गया है ...इसी तरह कभी फादर्स डे तो कभी मदरस डे को महत्त्व दिया जाने लगा है....!इसलिए हमने तो निर्णय लिया है की हम तो खेलेंगे होली...और आप....?????

Wednesday, March 4, 2009

बेटियां.. क्यूँ समझे पराई....



जब भी किसी युवा जोड़े की शादी होती है तो उनकी आंखों में कितने अरमान होते है!जीवन की वास्तविकताओं से उनका पहला सामना तब होता है जब घर में नया मेहमान एक छोटा शिशु आता है!उनके लिए ये कोई मायना नहीं रखता की वह लड़का है या लड़की?वे उसे प्यार करते नही थकते....लेकिन यहीं से सब कुछ बदलना शुरू हो जाता है!यदि शिशु लड़की है तो अचानक बहुत से बुद्धिजीवी आ धमकते है जो माता को बार बार ये अहसास कराते है की ये लड़की है ..ध्यान रखो...!अब माता .पिता को ये लोग गाहे बगाहे ये टेंशन देते रहते है...लड़की को ज्यादा सर न चढाओ,इसके कपडों पर ध्यान दो,आख़िर ये लड़की है,ज्यादा मत .पढाओ......आदि..आदि...!सबसे ज्यादा समस्या तो .तब...खड़ी होती है..जब कोई महिला कार्यक्रम हो!यहाँ तो लड़की के माता पिता को इस तरह से ..दबाया....जाता है जैसे उन्होंने लड़का पैदा ना करके कितनी बड़ी भूल की हो?लड़कियां हमारी शान है..वो वे सब काम करके दिखा रही है,जिन पर कभी पुरुषों का आधिपत्य था....!बोर्ड एक्साम में लड़कियां हमेशा आगे रहती है..इसकी मिसाल के तौर पर बहुत लम्बी लिस्ट है..!बुढापे में जब माँ बाप को सब छोड़ जाते है...जब सब लड़के मिल कर भी उन्हें pआल नहीं सकते..तब लडकियां पराया धन होते हुए भी माँ बाप से जुड़ी रहती और उन्हें खुशी देने का भरसक प्रयत्न करती है....फ़िर क्यूँ समझे उन्हें .पराई....?क्यों?..क्यों?...क्यों जनम से ही उन पर पराई का ठप्पा लगा दिया जता है.....क्यों उन्हें बार बार लड़की होने का एहसास दिलाया जाता है..!क्या किरण बेदी,कल्पना चावला,इंदिरा गांधी या..लक्ष्मी बाई.के लड़की होने का हमे अफ़सोस है?????यदि नहीं तो फ़िर अपने घर में लड़की होने पर थाली क्यों न बजाये....!क्यों न हम उन्हें वे सब सुविधाएँ देन जो लड़कों को देते है क्यूंकि एक लड़की ही तो किसी की माँ,बहिन,भांजी,भतीजी,भाभी या फ़िर प्रेमिका बनेगी ...क्या इन रिश्तों के बिना जीना .सम्भव है...?फ़िर क्यूँ समझे इन्हे पराई..... !


Tuesday, March 3, 2009

दिल ढूंढता है.....




दिल ढूंढता है.......
दिल ढूंढता है....... वो बचपन का ज़माना.....जब सब बच्चे मिल कर उछल कूद करते हुए स्कूल जाते थे...रस्ते में आने वाली हर चीज़ का भरपूर लुत्फ़ उठाते हुए...!फ़िर शुरू होता स्कूल का कार्यकर्म ..कब शाम हो जाती पता ही नहीं चलता था...!सब अध्यापक कितने अपनेपन से पढाते थे...कभी उनको हमने या उन्होंने हमे पराया नही समझा....!फ़िर शाम को गाँव के रेतीले धोरों पर देर तक खेलना..आज भी याद है जब माँ हाथ पकड़ कर ले जाती थी तो ही खेलना बंद करते थे..!रात को दादा-दादी के सानिध्य में पढ़ते पढ़ते सो जाते थे...वो रातें कितनी अच्छी थी...!अलसुबह सब बच्चों को उठा दिया जाता था...फ़िर सबके साथ चाय पीना और मस्ती करना....!नहा धोकर गाँव के मन्दिर में जाना कहाँ भूलते थे हम....और मंगलवार को तो शाम का खेल छोड़ कर भी मन्दिर के बहार बैठे रहते थे....प्रसाद जो लेना होता था...कोई किसी प्रकार की टेंशन या भेदभाव नहीं था....रात को देर तक गाँव की गलियों में घुमते हुए कभी हमे डर नहीं लगा...!कभी कभी जब दूर निकल जाते तो कोई भी बुजुर्ग अपने बच्चों की तरह ही हमें दांत देता...कभी किसी को बुरा नहीं लगा...!किसी के घर भी जब कोई शादी होती तो वहीँ सब खाना खाकर सो जाते..कभी काम से परेशान नहीं हुए ...!आज सब कुछ है लेकिन वो चैन वो आराम वो शान्ति नहीं है.........उसकी तलाश में यहाँ वहां भटकते है...पर तनाव है की पीछा ही नहीं छोड़ता.....इसीलिए तो किसी ने क्या खूब कहा है..... शायद फ़िर से वो तकदीर मिल जाए, जीवन का सबसे हसीं वो पल मिल जाए, चल फ़िर से बनाए वो .रेत..का महल,शायद वापस अपना वो बचपन मिल जाए.... [yeduniyahai.blogspot.com]

Monday, March 2, 2009

अब कुछ करे भी .पाकिस्तान...

मुंबई हमलों को इतना समय हो चुका है पर .पाकिस्तान...है की कुछ करना ही नहीं चाहता...आख़िर कब तक?हम यूँ ही उसके.सामने.झुकते...रहेंगे...वह ना समझा है ना समझेगा !अगर वाकई में उसे समझाना है तो भारत को कुछ ठोस कक्दम उठाने होंगे.!सबसे पहले तो हमे अपनी सुरक्षा को मजबूत करना होगा.फ़िर पाकिस्तान .के..आंतकी ठिकानों को निशाना बनाना होगा..अन्यथा वो हमें बार बार परेशान करता ही रहेगा...!अमेरिका में एक हमले के बाद दुबारा हमला नहीं हो सका क्यूंकि वे हमेशा के लिए सचेत हो गए...जबकि हम अभी तक आंतकवादियों से लड़ने की योजना ही बना रहे है...

Sunday, March 1, 2009

आखरी ख़त...

आखरी ख़त.....
आज कहीं पर एक रचना पढ़ी...अच्छी लगी इसलिए आप सब के सामने प्रस्तुत कर .रहा..हूँ.................................. पहचान को कोई नाम .ना...दो,स्वार्थ की ..seedhhi....................चढ़े रिश्ते,कभी आकाश की ख़बर नहीं रखते,चाय के प्याले में नहीं घुलेगी,हमारे दिलों की मेल,तेरा साथ एक ..नकली...सिक्के के अलावा कुछ भी नहीं,जो हर जगह जलील करता है,पथ के मुसाफिर जरूरी नहीं है,एक ही मंजिल के राही हो!तेरे ख़त के जवाब में बस इतना ही लिख रहा हूँ....!.

Saturday, February 28, 2009

पुराने खण्डहर...सहेज कर रखें....

.किसी...ने...सच..ही कहा है की...ओल्ड इज गोल्ड!.पर....आज हमारे घरों में .बूढे..माता पिता की .क्या...हालत हो गई है!सही देखभाल न होने से वे भी खंडहरों की माफिक हो गए है.पर क्या करें आज के वक्त का, जो हम इन्हे सहेजने की बजाय .भार...समझने लगें है!ये कैसी विडम्बना है की जिन लोगों ने अपना सरस्व न्योछावर कर .दिया...हमें अपने पैरों पर खड़ा .करने में..! वे ही लोग आज हमारे लिए बेकार .समान...की तरह हो गए है जिन्हें हमने घर के एक कोने में .पटक...रखा है!क्या ये उनके साथ अन्याय नहीं है...क्या आज उन्हें हमारे सहयोग की जरुरत नहीं? फ़िर क्यूँ नही हम उनको सहेजते?वे भी हमसे देखभाल मांगते है..जो उन्होंने बरसों तक हमारी की.उन्होंने हमे एक छोटे पादप से .वृक्ष...बनाया....तो हम भी तो उन्हें छाया .दे....लेकिन अब जमाना बदल गया है...आज खंडहरों की शायद यही कीमत रह गई है...

थोड़ा समय निकाले .बच्चों...के लिए....

आज की इस भागम भाग वाली जिंदगी में सब बस भागते चले जा रहें है...एक होड़ सी मची है आगे निकलने की!लेकिन इस मारामारी में जो पीछे cह्होत्ता जा रहा है..उसकी चिंता कोई नहीं कर रहा है!इस आपाधापी भरे युग में हमने बच्चों को बिल्कुल अकेले छोड़ दिया है!कहाँ तो सयुंक्त परिवार में सब कुछ ज्ञान बच्चों को स्वतः ही मिल जाता था..और कहाँ अब एकल परिवार में माँ बाप का प्यार तक भी नसीब नहीं हो पा रहा है..!माँ बाप दोनों के कमाने की ललक ने बच्चों से उनका बचपन छीन लिया है..!आज ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में हमारे बच्चे अकेलापन महसूस करते हुए हमसे दूर होते जा रहें है!इसलिए संभालिये...इससे पहले की दूरी बहुत बढ़ जाए...उनसे वापस रिश्ता कायम करिए...और अपनों को दूर ना होने दीजिये....

Wednesday, February 25, 2009

रिश्ते निभाइए......

अपने सुख की खातिर रिश्तों को बदनाम ना करें....
जब से दुनिया बनी है तब से ही हम न जाने कितने रिश्तों को निभाते आयें है या यूँ कहिये कुछ को तो बस नाम के लिए ही बनाए रखते है....और जब रिश्ते .बौझ....बनने....लगे तब आवय्क्सकता पड़ती है नए रिश्तों की.और अब तो ये .फेशन....सा बन गया है.इसी आपाधापी में लोग किसी से कुछ भी रिश्ता बना लेते है जो किसी ना किस्सी सवार्थ से .बंधा....होता है....ये रिश्ते अपने काम को निकालने के लिए ही बनाए जाते है इसलिए इनमे .गंभीरता....बहुत कम रह पाती है.इन रिश्तों की आड़ में लोग असली रिश्तों को भूल जाते है या भुलाने की चेष्टा करते हैजिससे कई तरह की समस्याएँ खड़ी हो जाती है....कोई किसी का भी भाई बना बैठा है तो किसी ने चार चार भाइयों के होते हुए भी किसी अन्य को भाई बना रखा है.फ़िर ऐ धीरे इन की आड़ में अनैकिकता का घिनोना खेल शुरू हो जाता है तो फ़िर इन रिश्तों की मर्यादा ख़तम हो जाती है...ये तथाकथित भाई बहन जहाँ असली रिश्तों को कलंकित कर रहे है वहीँ समाज में भी अनातिकता फैला रहें है

नए ब्लोगर ध्यान.दे.....

नए नए ब्लोगेर के सामने बहुत सी परेशानियाँ आती है....उनसे निजात पाने के लिए .हिन्दी ब्लॉग टिप्स पर संपर्क किया जा सकता है। जहाँ आपकी हर समस्या का जवाब मिलेगा.....

Saturday, February 21, 2009

कब सुधरेंगे हम.....

आज की ताज़ा ख़बर ये है की...अमेरिका में सभी लोग भारतियों को .सल्म्दोग कहने लगें है। ये तो होना ही था क्यूंकि विदेशों में यही सब तो बिकता है.उन्हें यहाँ की गरीबी,गन्दगी,झुग्गी झोपडियां और हमारा अपमान ही तो .सुहाता....है.वे कभी भी नहीं भूलते की यही भारत ..है.....गाहे बगाहे वे .हमें...अहसास कराते रहते है की तुम बस यही कुछ हो.हमारे यहाँ की ऐसी बातें उन्हें बहुत पसंद आती है तभी तो भारत की बढ़िया से .बढ़िया...फ़िल्म उन्हें निराश करती है जबकि सलाम दोग उन्हें आकर्षित करती है....इसे वे सभी सम्मान मिल जाते है जिनके लिए बड़े से बड़े निर्माता निर्देशक तरसते रहते है...लेकिन ये सब हमारे लिए निसंदेह शर्मनाक है...हमारी बेचारी बेबसी को बेच कर कोई हमें लज्जित करे ये हमें नहीं .पसंद...पर क्या करें ...पोपुलर होने....की चाह में हम सब भूलते जा रहे है....
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Wednesday, February 18, 2009

और दिल टूट गया....

आजकल ....जिसे ..वो...यही कह रहा है -मेरा तो दिल ही टूट गया,उसने मेरा दिल तोड़ दिया...गोया दिल न हो कोई खिलौना हो गया!अभी कुछ दिन पहले तो मैं ये सुन कर हैरान रह गया जब .एक छोटे से बचे ने कहा...क्या अंकल आप तो मेरा दिल ही तोड़ देते हो...मैंने पूछा कैसे तो उसने कहा की जब भी मैं पिक्चर के लिए कहता हूँ आप .मना....कर देते हो...इससे मेरा दिल टूट जाता है...लो सुनो अब इनका भी दिल टूटने लगा..तो फ़िर युवा लोगों की तो बात ही छोडो.....इस तरह से मुझे लगता है की आजकल पूरा साबुत दिल किसी के पास नहीं है....तो फ़िर दिल लेने देने की तो बात ही बेमानी है...इसलिए ध्यान रखियेगा कहीं आपकी बातों से किसी का दिल ना टूट जाए...

Monday, February 16, 2009

पाप और पुन्य....

"बाबू जी"...घर से निकलते ही मेरे कानों में फ़िर .वही...आवाज़ .टकराई...!आज भी वह .बूढा....पेड़ के नीचे बैठा मुझे पुकार रहा था!बाबू जी एक रोट्टी का सवाल.......!मैं हमेशा की तरह बात पूरी सुने बिना ही आगे बढ़ गया!पिछले दो तीन दिनों से यही हो रहा था!मैं हमेशा की तरह किले के पास पहुँचा और कबूतरों को दाने चुगाने लगा फ़िर मन्दिर की तरफ़ निकलते हुए कुत्तों को रोटी भी .खिला दी!यही मेरा नित्य का नियम था!आत्थ बजते बजते वापस घर पहुँच गया!तैयार होकर जैसे ही आफिस के लिए निकला वैसे ही आवाज़ आई..."बाबूजी"!लेकिन ये आवाज़ उस .बूढे...की नहीं थी बल्कि कुछ अन्य लोगों की थी जो उसके अन्तिम संस्कार के लिए चन्दा इक्कठा कर रहे थे![दैनिक सीमा संदेश.लघु कथा प्रतियोगिता में पुरुस्कृत]

Sunday, February 15, 2009

प्रतिभा किसी की बपौती नहीं.....

यह ख़बर उन सब लोगों के लिए है जो शहर के सबसे मंहगे स्कूल में अपने ओं को पढाना चाहते है.केवल मंहगे स्कूल में भेजने से कुछ नहीं होता.बचों में पढ़ाई की लगन पैदा करना जरूरी है.हमारे यहाँ .गाँव में एक .बच्चा....है...राधाकिशन..जिसकी पढ़ाई की लगन काबिले तारीफ़ है.घर में इतनी गरीबी की पूछो मत,कोई भी पढ़ा लिखा नहीं फ़िर भी उसका जज्बा देख कर हैरानी होती है.कक्षा में प्रथम आना तो कोई बड़ी बात नहीं लेकिन स्कूल की सभी गतिविधियों में उसका भाग लेना और प्रथम आना मुझे हैरान करता है.जबकि शहरी बचों को मिलने वाली कोई सुविधा उसके नसीब में नहीं है.इस पर भी उसे कोई शिकायत नहीं है..बस वो अपना काम बखूबी करता जा रहा है...किसी भी चीज़ की कमी उसे नहीं खलती....इसी से पता चलता है की प्रतिभा का फूल तो कहीं भी ख्गिल सकता है बशर्ते उसे उचित तापमान मिल जाए। जे हो...

अब तो समझे हम....


आज के समाज में भी इतने विकास के बाद भी कन्या जनम को पाप .माना..जाता है.लड़कियों की संख्या घटती जा रही है फ़िर भी लोग समझ नहीं रहे है.आज ऐसा कोई काम नहीं है जो लड़कियां नहीं कर रही हो .फ़िर भी उनके साथ दोगला वयवहार किया जाता है.हम सब को पता है की जहाँ लड़के इतने लाड प्यार के बाद भी .बुढापे....में जहाँ .माँ...बाप को अकेला छोड़ देते हैं वहीं लड़कियाँ शादी के बाद भी माता पिता के संपर्क .में..रहती है और ताउम्र उनकी खिदमत में लगी रह्र्रहती है फ़िर भी उसे माना तो पराई ही जाता है क्यूं .काश इस पीड़ा को हमने समझा होता.अगर म लड़कियों की परवरिश भी लड़कों की भाँती करें तो वो भी लड़कों से कम नहीं होगी बस बात तो नजरिया बदलने की है.....