Sunday, October 30, 2011

मिठाई पर साजिश ....का साया....

मैंने पिछली पोस्ट में बताया था की किस प्रकार त्योंहारों पर मिठाइयों के खिलाफ साजिश की जाती है !नकली और दूषित का हौवा खड़ा करके चौकलेट को मिठाई का रूप दिया जा रहा है ,ये बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की सुनियोजित साजिश है ..अब देखिये ये रिपोर्ट क्या कहती है.....

Saturday, October 22, 2011

मिठाई निशाने पर क्यूँ ?

त्योंहारों का मौसम आते ही नकली मिठाई ,नकली मावा और नकली घी की ख़बरें टी वी पर आने लगती है .सभी  अख़बारों में ये मुद्दा छाया हुआ है .माना कि नकली मिठाइयाँ आदि बन रही है और पकड़ी भी जा रही है ,लेकिन अभी शोर क्यूँ ?पूरे साल क्यूँ नही पकड़ी जाती ?ऊपर से ये मामला सीधा दिखाई देता है,लेकिन वास्तव में ये सब बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की साजिश है .
पिछले काफी समय से ये चोकलेट को मिठाई बनाने पर लगी हुई है ...अब देखिये न वो एड "मीठा है खाना..आज पहली तारिख है"...अब बताइए हमारे देश में ऐसे कितने लोग है जो ख़ुशी के मौके पर चोकलेट से मुंह मीठा कराते है .हमारे देश का प्रचलन ही ऐसा है की शुभ और ख़ुशी के मौके पर मिठाई ही खिलाई जाती है .यहाँ तक की अब "शुगर फ्री " मिठाइयाँ भी आ रही है ताकि कोई इस ख़ुशी से वंचित ना रहे .पर ये चोलेट कम्पनियां हमारी इन्ही खुशियों को छिनने पर तुली है .कुछ दिन पहले एक नामी ब्रांड की चोकलेट में कीड़े मिले थे ,उसे किसी ने नहीं छपा ,क्यूँ ???इसी तरह इन नामी कम्पनियों की मीठी गोलियों में भी फंगस पाया गया ,पर ये भी किसी अख़बार की हेडलाइन नही बनी !
                                   सपष्ट है निशाना मिठाइयों को ही बनाया जा रहा है !इतने बड़े देश में जहाँ करोड़ों की आबादी है ,कौन अपना बाज़ार नही बनाना चाहेगा ?इसी निति के चलते ये सब किया जा रहा है !लेकिन हमें भी चाहिए की जब भी ख़ुशी का मौका हो तो -कुछ मीठा हो जाये...पर चोकलेट नही !!!हाँ मिठाइयाँ खरीदते समय कुछ बैटन का ध्यान जरूर रखे जैसे -मिठाई अच्छी दुकान से ही ले ,मिठाई जांच परख कर ही ले ,सस्ती और हानिकारक रंगों से प्रयुक्त मिठाइयाँ न खरीदें !!!

Sunday, September 25, 2011

बहाना...


परिंदे  लौट   आये  हैं  घरों  को 
उसे  भी  लौट  आना  चाहिए  था 
 भला  ऐसे  भी  कोई  रूठता  है 
उसे  तो  बस  बहाना  चाहिए  था ..!!

Monday, June 13, 2011

देश के नए नायक.....


जब से अन्ना और रामदेव जी ने अनशन शुरू किया है पूरे देश में जैसे एक उत्साह की लहर है !अन्ना का अनशन संक्षिप्त था और बाबा रामदेव का आकस्मिक ,फिर भी दोनों अपने उद्देश्य में पूर्ण रूप से सफल रहे !जनता को पहली बार लगा की देश में कुछ ऐसे लोग भी है जो देश के लिए कुछ कर गुजरना चाहते है !इन दोनों ने ही भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में एक लहर पैदा कर दी है !आज हर गली मोहल्ले में बस  यही चर्चा है !
जिन नेताओं का करोड़ों रुपैया विदेशो में ज़मा है ,ज़ाहिर है उनको ये अभियान पसंद नही आया !अन्ना और रामदेव पर तरह तरह के आरोप लगा कर ध्यान बांटने की कोशिश की गयी !किन्तु आज हाईटेक जमाना है ,जनता सब जानती है !अन्ना जमीन से जुड़े नेता है जिनके पास सम्पति के नाम पर धेला भी नही है !बाबा रामदेव ने योग शिविर और आयुर्वेदिक दवाइयों से रुपैये कमाए है ,लेकिन वो सारा धन देश में ही है उसकी जांच हो सकती है !
मूल मुद्दा विदेशो में जमा काले धन का था ...जिस पर गंभीरता  से चर्चा होनी चाहिए ना की इसे उठाने वालो को परेशान किया जाये !सरकार को चाहिए की वो कला धन देश में लेन के लिए आवयशक कदम उठाये और इस मामले में अपना रूख सपष्ट करे !!
देश में निचे से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार फैला है ,कोई भी काम बिना पैसा दिए नही होता !ऐसे में एक आपातकालीन  फ्री हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए जहाँ जनता अपनी शिकायत दर्ज करवा सके !बच्चो को  नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने वाली शिक्षा दी जाये....हर आफिस में एक रिश्वत विरोधी कक्ष हो जहाँ शिकायत की जा सके !तभी अन्ना और बाबा का आन्दोलन सफल हो पायेगा.......

Friday, April 22, 2011

इतनी जल्दी नही हारेगा भ्रष्टाचार.......

अन्ना हजारे ने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन शुरू किया था तो उन्हें भी अंदाज़ा नही था कि इतनी परेशानिया आएगी !दरअसल लोग इतने तंग आ चुके है कि वे बहुत जल्दी बहुत ही उम्मीदे लगा बैठते है !अन्ना ने सब लोगों में एक आशा कि किरण सी ज़गा दी ....सब मान बैठे कि अब भ्रष्टाचार ख़त्म...अब नेता लोग मनमानी नही कर पाएंगे...अब सही काम के लिए बेवजह परेशान नही होना पड़ेगा..आदि...आदि...
पर हम एक बात भूल गये वो है...हमारी राजनीती..और भ्रष्ट व्यवस्था ...!यहाँ राजनीती में कोई किसी का दुश्मन नही है .एक दुसरे के सामने चुनाव लड़ने वाले चुनावों के बाद आपस में हाथ मिला लेते है ..!एक पार्टी को छोड़ते ही दूसरी सारी पार्टियाँ . ...उस नेता को हाथों हाथ अपनाने को तैयार हो जाती है !एक दुसरे को गालियां निकलने वाले नेता जाने कब गले मिलने लगते है...जनता को कुछ पता नही चलता...!राजनीतिज्ञों के भिछाये चक्रव्यूह को तोडना हर किसी के बूते कि बात नही है !
अब देखिये न ,इधर अन्ना का अनशन टूटा और उधर इस आन्दोलन कि हवा निकलने कि तैयारियां शुरू हो गयी !पहले कमेटी में कौन होगा विवाद ,फिर कौन नही है विवाद ,फिर मोदी कि प्रशंसा विवाद ,फिर अन्ना कि सम्पति का विवाद ,फिर आन्दोलन का खर्चा किसने उठाया विवाद और अब ये सी.डी. विवाद...!अब क्या सही है क्या नही है ये सोचने कि जरूरत नही ...जरूरत ये है कि इस  आन्दोलन को फ्लॉप होने से कैसे  रोका जाये.....
अगर ये आन्दोलन फ्लॉप हुआ तो हमारे देश में भी मिश्र,यूनान जैसे हालात पैदा हो सकते है !तंग आई हुई जनता के नायक बन कर उभरे अन्ना का कोई भी अपमान एक क्रांति के रूप में प्रकट हो सकता है !पर बेचारे अन्ना को क्या पता कि ये रास्ता कितना जटिल है ,ये नेता इस मामले को उलझा कर इतना विवादस्पद बना देंगे कि कभी सुलझे ही नही !विश्वाश नही होता तो इतिहास देख लीजिये ...कितने ही अनसुलझे मामले आज भी मुंह बाए खड़े है !अन्ना के खिलाफ जिस तरह का माहोल खड़ा किया जा रहा है उससे तो यही लगता है....अब आगे ना जाने क्या होगा....!मोटी चमड़ी वाले नेता इस आन्दोलन को अपने भ्रष्ट तरीकों से हराने का हर संभव प्रयास करेंगे...!बुराई पर हमेशा अच्छाई कि जीत होती है,बुरे हमेशा हारती है ...पर भगवन करे ऐसा न हुआ तो.....शायद बहुत बुरा होगा....

Tuesday, March 22, 2011

अनिवार्य शिक्षा अधिकार या शिक्षा का बंटाधार....


अनिवार्य शिक्षा अधिनियम एक अप्रैल से पूरे देश में  लागू हो रहा है !इसके अंतर्गत ६ से १४ वर्ष के प्रत्येक बच्चे को अनिवार्य रूप से प्राथमिक शिक्षा देने की व्यवस्था की गयी है !मोटे तौर पर देखें तो ये अधिनियम बहुत ही महत्वपूरण और क्रन्तिकारी प्रतीत होता है ..लगता है जैसे शिक्षा जगत में इससे आमूल परिवर्तन आ जायेगा ,पर दुर्भाग्यवश ऐसा नही है !
क्या है खामियां .....
आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी हम अभी तक शिक्षा का आधारभूत ढांचा विकसित नही कर पाए है ...जैसे क़ि आवयशक शाला भवन ,प्रशिक्षित अध्यापक , स्थानीय भाषा में प्राथमिक शिक्षा और सबसे जरूरी शिक्षा का स्तर..! शिक्षा के अधिकार को लागू करने से पहले हमे ये देखना होगा क़ि क्या हम इसके लिए तैयार है ?इसमें निजी विद्यालयों में २५ % स्थान गरीब तबके के बच्चों हेतु आरक्षित है !पर क्या वास्तव में ऐसा हो पायेगा? इसके अनुसार कक्षा आठ तक किसी  बच्चे को फेल नही करना है [इसके लिए आठवी बोर्ड को भी भंग कर दिया गया है ] बच्चों को पीटना नही है ,फेल नही करना है तो फिर उनका मूल्याङ्कन कैसे होगा ?भय बिना प्रीत न होए....इसके साथ ही बच्चे को उसकी उम्र के आधार पर कक्षा दी जाएगी अर्थात  बच्चा १० साल का है तो उसे सीधा कक्षा ४ में प्रवेश दिया जा सकेगा !ये कैसी प्रणाली है ?इससे शिक्षा में कैसा सुधार आएगा ?गाँवों में मुफ्त पोषाहार देकर भी सरकार सभी बच्चों को शाला से नही जोड़ पाई तो अब वे कैसे जुड़ पाएंगे....?कितना अच्छा होता यदि पहले इसके लिए उचित वातावरण बनाया जाता !निजी विद्यालयों पर अभी सरकार का कोई नियंतरण नही है ,ऐसे में वहां इसे कैसे लागू किया जायेगा ? 
 ६ से १४ वर्ष तक के हजारों बच्चे आज भी विभिन्न व्यवसायों में कार्यरत है ,जबकि ये अधिनियम इसकी इज़ाज़त नही देता !ऐसे में इन बच्चों को शिक्षा से कसे जोड़ा जायेगा ?
जरूरी है संशोधन ....
इस अधिनियम को लागू करने से पहले सभी वर्गों से सुझाव लिए जाने चाहिए थे !हालाँकि राज्य अभी भी इस पर वादविवाद कर रहे है ,पर फिर भी इस पर व्यापक बहस की जरूरत है ....ताकि इसे उचित संशोधन के साथ लागू किया जा सके ...
इस अधिकार के बारे में विस्तार से जानने हेतु यहाँ क्लिक करें !

Tuesday, March 1, 2011

राष्टीय खेल या राष्ट्रीय शर्म ?

क्या आपको पता है की हमारे राष्ट्रीय खेल इस बार कहाँ हुए ?इन खेलों में किसने सबसे अधिक पदक प्राप्त किये ?और इन खेलों का शुभंकर [प्रतीक ] क्या था ?
शायद अधिकांश सवालों का जवाब न ही होगा ,क्यूंकि हम में से कोई भी इनमे रूचि नही लेता !यहाँ तक  की सरकार भी !कई बार टलने के बाद ये खेल अभी विश्व कप क्रिकेट के तूफ़ान के बीच शांति से हो गये और किसी को पता भी ना  चला !मिडिया भी इन खेलो को महत्त्व देने की बजाय विश्व कप क्रिकेट के पुराने आंकड़ो के जाल में उलझा रहा !
किसी भी देश की एक खेल निति होती है ,जिस पर चल कर ही राष्ट्रीय खिलाडी तैयार किये जाते है !विदेशों में तो मिडल स्तर के स्कूल से ही खिलाडियों को उनकी खेल रूचि के हिसाब से छाँट लिया जाता है ,फिर वे उसी खेल में महारत  हासिल करते है !हमारे यहाँ ऐसा कुछ नही है ...कुछ खिलाडी तो अपने स्तर पर ही तैयारी  करते रहते है !स्कूल और कॉलेज स्तर की खेल प्रतियोगिताएं महज खानापूर्ति के लिए होती है !इस सब का नतीजा ये होता है क़ि खिलाडी अपने खेल से दूर होता जाता है !प्रोत्साहन और मौके ना मिलने के कारण उसका प्रदर्शन गिरता ही जाता है !
राष्ट्रीय खेलों को सरकार किस गंभीरता से लेती है इसका अंदाजा इसी बात से चलता है क़ि इन खेलों को तीन बार तलने के बाद अनमने ढंग से अभी झारखण्ड में कराया गया !एक अच्छा आयोजन होने के बावजूद सरकार और मिडिया क़ि उपेक्षा के चलते ये यथोचित सम्मान नही पा सका !आज दुःख क़ि बात है क़ि हम से अधिकांश लोग इन खेलों से दूर रहे क्यूंकि इन्हें हाईलाईट किया ही नही गया !और रही सही क़सर क्रिकेट के  विश्व कप ने पूरी कर दी !देश के लिए खेलने वाले हजारों खिलाडियों के लिए ये खेल एक मजाक बन कर रह गए ...पैसा तो दूर ,उन्हें तो उचित सम्मान तक नही मिला ,जो क्रिकेट खिलाडियों को अक्सर खराब प्रदर्शन के बावजूद मिल जाया करता है ! 
यह हमारी रूचि क़ि ही बात है क़ि हमे ये तो पता है क़ि अगला विश्व कप फुटबाल और क्रिकेट या फिर ओलम्पिक कहाँ होंगे ?पर ये पता नही है क़ि अगले राष्ट्रीय खेल कहाँ होंगे ?इसी उपेक्षा के चलते राष्ट्रीय खेल अपना मुकाम हासिल नही कर सके !

Sunday, February 13, 2011

जुबान संभाल के...

.किसी ने सच ही कहा है कि हर किसी को अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए वरना अनर्थ हो सकता है !सबसे ताज़ा उदाहरण  हमारे विदेश मंत्री कृष्ण जी का है !सयुंक्त राष्ट्र में ऐसी जुबान फिसली कि पुर्तगाल वाले  मंत्री जी का भाषण ही पढ़ गए ,ये तो भगवान भला करे उन अधिकारी का जो समय रहते उनको चेता गए!
                                                                                  अभी कुछ दिनों पहले ही राजस्थान सरकार के एक मंत्री जी बोल गए थे कि इंदिरा जी का खाना पकाते पकाते प्रतिभा जी राष्ट्रपति बन गयी !जब मुख्यमंत्री जी ने इस्तीफा माँगा तब जाके जुबान की कारस्तानी पर गुस्सा आया !यहाँ के शिक्षा मंत्री भी अक्सर जुबान से फिसल जाते है !एक बार कह दिया किया गाँवों में नर्सों की छोटी अब आपके हाथों में है ,पकड़ के रखो !अब कह दिया कि भोंकने वाले भोंकते रहते है ...हाथी चलता रहता है....!दरअसल एक शिक्षक संगठन ने शिक्षा मंत्री जी गलती कि और इशारा कर दिया था ,बस ये मंत्री जी को नागवार गुजरा....!इन्ही मंत्री जी ने पहले भी एक बार शिक्षकों पर आपतिजनक टिप्पणी कि थी जिस पर उन्हें माफ़ी भी मंगनी पड़ी थी !पर जबान है कि फिसल ही जाती है...

                                              ऐसे ही कई बार नितिन गडकरी तो कई बार बाला साहेब कि जुबान ने भी फिसल कर आग लगाई है ,पर वेक बेचारा आम आदमी है जो सब सुनने का आदि है क्यूंकि ये जो पब्लिक  है ,वो सब जानती है.....

Thursday, February 3, 2011

भागो....कि जनता आती है....

.अरब देशों में फैला आन्दोलन लम्बे समय से जनता कि उपेक्षा करने का परिणाम है !ट्यूनीशिया, मिश्र और अन्य देशों में पिछले काफी समय से एक ही सरकार चलती आ रही थी ,और वो भी जनता को सुशासन नही दे पायी !नेता खुद ऐश करते रहे और जनता पिसती चली गयी ..और हालात यहाँ तक बिगड़ गए कि रोजगार ना मिलने पर युवा आत्मदाह करने लगे !बस यहीं से सरकार विरोधी आग भाद्क्नी शरू हुई जो अब बेकाबू हो चुकी है ...
इस पूरे प्रकरण में चिंता कि बात ये है कि लगभग ऐसे ही हालात भारत सहित बहुत से पडोसी देशों में है और अगर ये आग अन्य जगहों पर भी फैली तो इससे बचना मुश्किल हो जायेगा !हमारे देश में देखिये कितने ही मामले ऐसे है जिसमे दोषी करार दिए जाने पर भी नेताओं को सजा नही मिली ,पर जनता सब देख रही है !अगर ये आक्रोश वोटों तक ही सिमित रहा तो ठीक ..पर यदि जनता जाग गयी तो समझो यहाँ भी हालात बिगड़ते समय नही लगेगा !आज जरूरत इस बात कि है कि हमारी न्यायिक प्रणाली को सुधार कर सरकार कि जिम्मेवारी तय की जाये और सरकार जनता के प्रति जवाबदेह हो ...!