Thursday, June 25, 2009

आख़िर हुआ क्या है युवाओं को..?

आजकल जिस तेजी से हमारा समाज और संसार बदलता जा रहा है उससे सबसे ज्यादा विचलित आज के युवा हो रहे है...!वे बदलते परिवेश,तकनीक...और सामाजिक ढांचे से तालमेल नहीं बिठा पा रहे....!सही मायनों में वे अपने आप को .एडजस्ट......नहीं कर पा रहे....!सब कुछ इतनी तेजी से बदल रहा है कि उनकी सोचने समझने कि शक्ति भी कम हो गई...इसलिए उन्हें जो ठीक लगता है ,वो करते है..!यानी उनकी नज़रों में जो सही है,वही सही है..!वे अपनी जिंदगी में किसी कि दखल अंदाजी पसंद नहीं करते..!अपना जीवन वो अपने तरीके से जीना चाहते है..!वे अपनी मर्ज़ी के मालिक है...!अपने ढंग से खाना पीना,रहना और मस्ती करना वे अपना हक मानते है....और इस मामले में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के युवाओं कि एक ही राय है,मत है!!ना जाने ये सारे के सारे किन नियमों को फोलो कर रहे है...!आपके पास से ये मुंह पर कपड़ा बांधे निकल जायेंगे और आप इन्हे पहचान नहीं पाएंगे....यही इनका स्टाइल है...ऐसे ही ये करना चाहते है...!लेकिन ये रास्ता उनको कहाँ ले जा रहा है ये उनको ख़ुद नहीं पता....!इसी राह पर चलते चलते अक्सर ये भटक भी जाते है....फ़िर सब गँवा कर होश में भी आए तो क्या?अपना करियर और जीवन तबाह करके क्या हासिल होगा?आज का युवा अपराध,नशे और अन्य ग़लत कामों से जुड़ता जा रहा है.....उन सब को ये समझ लेना चाहए कि इसका अंत इतना बुरा है ...जो कोई भी इंसान नहीं चाहता...!इन ग़लत ...धंधों में जाने के तो अनेक रस्ते है लेकिन .बाहर...निकलने का एक ही रास्ता है...वो है मौत..!इस लिए आज सभी अभिभावकों की भी ये जिम्मेवारी है कि वो अपने बच्चों को एक दोस्त कि तरह ही समझाये न कि डांट डपट ...कर क्यूंकि एक ग़लत फैसले से उसका भविष्य बरबाद हो सकता है...!

Tuesday, June 16, 2009

हम नहीं बदलेंगे?...


जी हाँ,चाहे सारा जमाना बदल जाए..पर हम नहीं बदलेंगे...!आपने ठीक समझा मैं बी जे पी की ही बात कर रहा हूँ..!चुनाव में लुटिया डूब गई...पर अकड़ नहीं गई...!कोई हार की जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है...!सब अपने अपने खेमे को मजबूत .करने..में लगे है..!हर कोई पार्टी में अपनी हसियत साबित करने पे तुला है..!होना तो ये चाहिए था की पार्टी अपनी हार स्वीकार करके आत्म मंथन करती...पर इसके उलट सब अपनी अपनी डफली बजाने .में..लगे है...!आडवानी जी शुरूआती ना नुकर के बाद फ़िर से पार्टी नेता बन गए है,जबकि उन्हें अब तक समझ जन चाहिए था की अब युवाओं की बारी है...!वे क्यूँ कुर्सी से चिपके रहना चाहते है...?बाकि नेता भी त्यागपत्र त्यागपत्र खेल रहे है....!अरे आप क्यूँ नहीं सामूहिक रूप से इस्तीफे दे देते ताकि .पार्टी नई टीम बना सके..!अब एक आधे त्यागपत्र से कुछ.. नहीं होने वाला,अब तो नई शुरुआत करनी होगी,नया चेहरा प्रस्तुत .करना होगा ..!आप क्यूँ नहीं कुछ करना..चाहते ,जबकि जनता ने आपको नकार दिया है...!अब भी समय है...पार्टी को एक बार फ़िर नए जोश और नए रूप के साथ आगे आना होगा...!आडवानी जी को जिद छोड़ कर युवा पीढ़ी को कमान सौपनी होगी...!द्वितीय पीढी के नेताओं को आगे लाना होगा...!इस में कोई बड़ी बात भी नहीं है ,क्यूंकि आगामी चुनावों से पहले काफ़ी समय है काया कल्प के लिए..!सिर्फ़ हिन्दुत्व और साम्प्रदायिकता के नारे को छोड़ नए नारे ..ढूँढने...... होगे,एक नया माडल पेश करना होगा...!क्या ये सब कुछ बी जे पी कर पायेगी?इसी पर उसका भविष्य टिका है....!

Thursday, June 11, 2009

क्यूँ बदल ग्या इंसान.....?


आज की इस भीड़ भाड़ वाली जिंदगी में हर आदमी व्यस्त है...!किसी के पास वक्त नहीं है ,हर कोई भागा जा रहा है..!लोग क्यूँ भाग रहे है?कहाँ जा रहे है?किसी को कुछ नही पता..!सड़क पार करने के लिए इंतजार करना पड़ता है ..!सड़क पर गाड़ियों का बहाव देख कर ऐसा लगता है जैसे पूरा शहर आज खाली हो जाएगा...!अस्पताल में देखो तो ऐसे लगता है जैसे पूरा शहर ही बीमार हो गया है !चारों और दर्द से कराहते लोग,रोते,चीखते लोग....लगता है जैसे दुनिया में दर्द ही बचा है...!रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर बहुत ज्यादा भीड़ है ,दम घुटने लगता है..!कभी मन बहलाने पार्क में चला जाऊँ तो लगता है ..सारा शहर मेरे .पीछे वहीँ आ गया है....!मैं अक्सर भीड़ देख कर चिंता में पड़ जाता हूँ....जब संसार में इतनी भीड़ है तो भी फ़िर इंसान अकेला क्यूँ है?अकेलापन अन्दर ही अन्दर क्यूँ ..खाने को आता है?आज इस भरी भीड़ में भी हमें कोई अपना सा क्यूँ नहीं लगता.....~!अभी कुछ समय पहले की तो बात है जब शहर जाते थे तो पूरा गाँव स्टेशन पर छोड़ने आता था ..बहुत होंसला होता था...लगता ही नहीं था की हम अकेले है...!फ़िर गाड़ी में भी लोग अपनत्व की बातें करते थे !कब शहर आ जाता था...महसूस ही नहीं होता था...!फ़िर .शहर में किराये के कमरे में रहते हुए कभी नहीं लगा की मैं बाहर रह रहा हूँ...!पूरा मोह्ह्ल्ला मेरे साथ था..सब लोगों के घर आना जाना था...!कोई .चाचा...... कोई ताऊ और कोई बाबा होते थे....जो अपनों से ज्यादा प्यार करते थे...!मैं भी भाग भाग कर सबके काम कर देता था....!स्कूल हो या कालेज सभी जगह कोई ...ना कोई जानकार मिल जाता था या बन जाता था........! कुल मिला कर बड़ी मस्ती से दिन निकल जाते थे ...! फ़िर अब इस शहर को क्या हो गया ?किसकी नज़र लग गई?क्यूँ सभी अजनबी से हो गए?अब किसी को देख कर क्यूँ मुंह फेरने लग गए ?इस भीड़ भाड़ वाली दुनिया में हम अकेले क्यूँ पड़ गए?अब दूसरो के दर्द में दर्द और खुशी में खुशी क्यूँ नहीं .महसूस...होती..?क्या .सच में इंसान बदल गया या रिश्ते बदल गए...?

Friday, June 5, 2009

पर्यावरण और हमारा दायित्व....



जी हाँ ,आज पर्यावरण दिवस है...!हमेशा की तरह ही बड़ी बड़ी बातें,भाषण और ढकोसले होंगे !और लो .हो गया..अपना दायित्व पूरा....!लेकिन यदि हम थोड़ा सा भी .संजीदा हो तो बहुत कुछ कर सकते है...!हमें अपने जीवन में छोटी छोटी बातों का ध्यान .रखना है..जैसे की एक पेड़ कम से कम जरुर लगाना है !अब ये बहाना की जगह नहीं है,छोड़ना होगा!अपनी पृथ्वी बहुत बड़ी है..आप कहीं पर भी ये शुभ कार्य कर सकते है...!इसके साथ ही जो पेड़ पहले से ही लगे हुए है उनकी रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है..!आज शहर कंक्रीट के जंगल बन गए है,लेकिन फ़िर भी यहाँ कुछ पार्क आदि अभी बचे है,जिन्हें हम सहेज सकते है..!इसके अलावा खुले स्थानों पर गन्दगी फैलाना,कचरा डालना और जलाना,प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग करना..,भूमिगत जल को गन्दा करना आदि अनेक ऐसे कार्य है जिन पर हम स्वत रोक लगा सकते है!लेकिन हम .ऐसा ना करके सरकार के कदम का इंतजार करते है...!आज हम ये छोटे किंतु महत्त्व पूरण कदम उठा कर पर्यावरण सरंक्षण में अपना .अमूल्य योगदान दे .सकते...है...

Monday, June 1, 2009

धुम्रपान का विरोध जरूरी है....






धुम्रपान को .रोकने..के लिए सरकार ने एक बार फ़िर से पहल की है..!सरकार ने सिगरेट के पैकेट पर डरावने चित्र प्रदसित करने का फ़ैसला किया है...जो एक उचित निर्णय है..!लेकिन क्या इतना भर करने से लोग धुम्रपान करना छोड़ देंगे..??हरगिज नहीं...!इसके लिए हमें कुछ ठोस कदम उठाने होंगे...!सबसे पहले तो धुम्रपान का महिमंदन बंद करना होगा ..!आज सभी जगह धुम्रपान करना एक फैशन की तरह हो गया है....!सिगरेट पीने वालों को कम .आयु के लोग एक आदर्श मानने लग जाते है...!वे अपने आप को धुम्रपान करते समय बड़ा समझने लग जाते है..!बालीवुड फिल्मों में भी हीरो और विलेन सिगरेट के कश लगाते नज़र आते है...जिससे भी युवाओं पर बुरा असर पड़ता है...!इसके बाद सिगरेट पर टैक्स इतना बढ़ा देना चाहिए की महँगी होने की वजह से हर कोई इसे नहीं पी सके !साथ ही में सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान .न करने के नियम की भी कडाई से पालना होनी चाहिए...!सभी जगह धुम्रपान के विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए...!इस सब से धुम्रपान का प्रचार प्रसार कम होगा और कम से कम नए लोग इस और आकर्षित नहीं होंगे...!बाकी पीने वाले भी कुछ सबक जरूर लेंगे !धुम्रपान विरोधी अभियान के लिए बच्चों का साथ लेना भी एक अच्छा प्रयास हो सकता है...!बस .आव्सय्कता है एक उचित पहल करने की...