Friday, December 24, 2010

क्या हाल हो गया देश का ?

आजकल  के  हालात  देख  कर  विश्वाश  नही होता कि ये वोही भारत देश है !सब कुछ बहुत तेजी से बदल रहा है..!युवा पीढ़ी तो तेजी से बदल ही रही थी ,अब तो सामाजिक परम्पराएँ और मूल्य भी बदलने लगे है !इनमे से कुछ लाभदायी है तो कुछ हानिकारक भी है !
अब देखिये प्याज हमारी पहुँच से दूर है ,जबकि मोबाइल सिम फ्री मिल रही है !एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड को हम तक पहुँचने में घंटों लग जाते है जबकि 'पिज्जा' आधे घंटे में पहुँच जाता है !जूते आज ऍ .सी शो रूम में मिलते है जबकि सब्जियां फूटपाथ पर मिलती है !गली के हर मोड़ पर शराब मिल जाती है जबकि जरूरत पड़ने पर घायल को खून ढूँढने पर भी नही मिलता ?बाज़ार में मिलने वाले जूस में नीम्बू हो ना हो बर्तन धोने कि साबुन में नीम्बू होने का दावा किया जाता है और वो बिकती भी है !
यहाँ क्रिकेट खिलाडियों को खरीदने के लिए करोड़ों रुपैये खर्च किये जाते है जबकि लाखों करोड़ों लोग भूखे सड़क पर सोते है !क्या आपको मालूम है कि स्वीस बेंक में भारत का इतना पैसा ज़मा है उससे देश का २० सालों  का बज़ट तैयार हो सकता है ?हमारे यहाँ कार के लिए ८  %दर पर लोन मिलता है जबकि शिक्षा के लिए लोन दर १२%है क्यों?यहाँ बिजली से चलने वाले उपकरण सस्ते है जबकि बिजली महँगी है !शायद बदलते देश कि बदलती तस्वीर यही है...

Sunday, November 21, 2010

ऊँट उत्सव पर पधारो म्हारे देश.....

.राजस्थान को रंगीला राजस्थान क्यूँ कहा जाता है ,यदि इसका उत्तर जानना चाहते है तो चले आइये जनवरी में होने वाले ऊँट उत्सव में !अपनी तरह का ये एक अनूठा उत्सव है जहाँ राजस्थान के  अलग अलग  रंग देखने को मिलते है !इस बार ये ऊँट उत्सव १८ और १९ जनवरी को आयोजित हो रहा है !इस कार्यक्रम का उदघाटन बीकानेर में होता है जिसमे आकर्षक ऊंटों  पर सवार रोबीले जवान विभिन्न करतब दिखाते  है!अगले दिन बीकानेर   से ४० किमी दूर लाडेरा गाँव में अधिकाँश कार्यक्रम होते है ,जिनमे ऊँट सज्जा ,ऊँट नृत्य ,ऊँट दौड़ आदि प्रमुख है !ऊँटो का विशाल काफिला भी यहाँ आकर्षण का केंद्र होता है !








यहाँ लगने वाली स्टालों पर बाजरे की रोटी,कढी,सांगरी का साग और अचार आदि खाने का मज़ा ही कुछ और है                                                                                                                                                                 गाँव के
शांत रेतीले धोरों [टीलों] पर रात को होने  वाली सांस्कृतिक संध्या को तो यहाँ आकर ही महसूस  किया जा सकता है !!रेतीले टीलों पर लगे स्विस टेंट में रहने का अपना अलग ही अंदाज़ है!आजकल इस उत्सव में वायु सेना द्वारा भी करतब दिखाए जाते है !धोरों पर खड़े होकर नीची उड़ान भरते हवाई जहाज को देख कर रोमांचक 
 !अनुभव होता है !इसके अलावा पर्यटन विभाग द्वारा अनेक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है !
जलते अंगारों पर नाथ समाज के लोगों द्वारा किया जाने वाला अग्नि नृत्य भी यहाँ का प्रमुख आयोजन है !

Saturday, November 13, 2010

टी वी बदनाम हुआ...टी .आर.पी तेरे लिए......

जरा इन बातों पर गौर फरमाएं....
बिग्ग बॉस  के शो में अश्लीलता का तड़का......राखी सावंत के शो में लात घूंसे चले....राखी सावंत के नामर्द कहने पर एक ने आत्महत्या की..!
जी हाँ ये तो कुछ उदाहरण मात्र है ..जो इन दिनों टी वी पर देखने को मिल रहे है !इनके अलावा भी किसी ना किसी बहाने अश्लीलता परोसी जा रही है !टी वी का सीधा दखल हमारे घर में है,फिर भी ना जाने क्यूँ किसी को भी कोई शिकायत नहीं है !किसी फिल्म के मामूली से सीन पर भड़क उठने वाले संगठन भी खामोश है ....क्यूँ ??अभी एक सियाल में तो प्रतियोगी के प्रेमी अथवा प्रेमिका को कैमरे पर रंगे हाथों पकड़ने का ड्रामा हो रहा था !सभी न्यूज चैनल गोवा में धोनी और उनकी पत्नी के अन्तरंग दृश्य बड़ी शान से दिखा रहे थे..क्यूँ ?जवाब साफ़ है ...टी आर पी तेरे  लिए....!मुझे सबसे ज्यादा आश्चर्य इस बात का है कि ये सब क्या सरकार को दिखाई नही देता ?क्या टी वी के लिए कोई सेंसर बोर्ड नही है ?आखिर कब तक ये भौंडा प्रदर्शन जारी रहेगा और क्यों ?
                          टी वी पर दिखये जा रहे विज्ञापनों कि तो और भी बुरी स्थिति है ,किसी प्रकार कि कोई रोक टोक इन पर नही है !आज बच्चे टी वी पर क्या देख रहे है और क्या सीख  रहे है ,ये सोचने कि फुर्सत किसी को नही है !क्या हम पानी सर पर से गुजरने का इंतजार कर रहे है ?इस टी आर पी कि लड़ाई में हम अपने संस्कार,संस्कृति और भावनाओं से खिलवाड़ होते  कब तक देखते रहेंगे....

Friday, November 5, 2010

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें...



दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें...   सभी ब्लोगर्स साथियों को दिवाली के पावन त्योंहार पर शुभकामनायें !माँ लक्ष्मी आपके घर धन धान्य बरसाए..सुख समृधि लाये ...

Friday, October 1, 2010

अयोध्या :अब जनता की बारी......

आखिरकार अयोध्या मामले पर अदालत का निर्णय आ ही गया !हाई कोर्ट ने बहुत ही सही और संतुलित फैसला सुनाया जिसका स्वागत किया जाना चाहिए !इस मामले में ज़मीन के मालिकाना हक से ज्यादा लोगों की आस्था जुडी थी और राजनितिक पार्टियों के आने से ये और भी महत्त्व पूर्ण हो गया था ,लेकिन न्यायालय ने बखूबी अपनी जिम्मेवारी निभाई और एक एतिहासिक निर्णय सुनाया !क्यूंकि ये मामला बहुत वर्षों से लंबित था और इसमें बहुत सी चीज़ें जुडी थी उसे देखते हुए ये बहुत महत्वपूर्ण हो गया था !
                                                                                            न्यायालय ने तो फैसला सुना दिया ,अब जनता की बारी है कि वो इसका सम्मान करें तथा राजनितिक दलों को दूर रखते हुए खुद भाईचारा कायम रखे!इस फैसले से पूरे विश्व में भारतीय न्यायिक प्रणाली की एक साख बनी है !ये और भी महत्त्व पूर्ण है क़ि न्यायधीशों में भी दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व था !फैसला आने के बाद आम जनता ने संतोष ज़ाहिर किया और अमन चैन  बनाये रखा .......लेकिन असली फैसला अब आएगा जब विभिन्न दलों के नेता अपनी अपनी रोटियां सेकने क़ि कोशिश करेंगे !बस तभी सावधानी रखने की जरूरत है क्यूंकि नेता किसी न किसी तरह इस मामले को जिन्दा रखने की कोशिश करेंगे !
                    भारत देश के लोगों ने जिस साम्प्रदायिक सद्भाव का परिचय दिया है...वो जारी रहना चाहिए ताकि देश में शांति तथा विकास साथ साथ चलता रहे...! हमारे देश का एक लम्बा गौरवशाली इतिहास रहा है जो आगे भी बना रहे ,इसके लिए जनता को ही आगे आना होगा...

Saturday, September 11, 2010

नशे के जाल में गुम युवा वर्ग....


भारतीय समाज हमेशा से ही पूरे विश्व के लिए एक आदर्श और कौतुहल रहा है !सयुइंक्त परिवार में रहने वाले बच्चे बहुत  ही संस्कारशील होते है !इसी करण हमारे युवा काफी समय तक कुरीतियों से दूर रहे और अपने आप को नशे से बचाए रखा....परन्तु अब ऐसा नही रहा!सयुंक्त परिवार टूटने लगे है..बच्चे पढने और करियर बनाने बड़े शहरों में जाने लगे है !इन महानगरों में वे अपना सामजस्य नही बना सके,यहाँ की व्यस्त जीवन शैली ने उन्हें तोड़ के रख दिया!
ऐसे में वे विभिन्न प्रकार के नशों के जाल में उलझ कर रह गए !अनुभव की कमी और पहले के कड़े अनुशासन  में रहे ये युवा अब अचानक आज़ाद हो गए!शहर की एकल जीवन शैली ने भी इन्हें बढ़ावा दिया जिसके चलते ये नशे की गिरफ्त में फंसते चले गए !अपने व्यस्त कार्यालय समय के बाद वे नशे को ही आराम समझने लगे !आज का युवा परम्परागत नशे नही करता...क्यूंकि शराब बीयर आदि की महक इनकी पोल खोल देती है,इसलिए इन्होने नए नशे तलाश लिए जो आसानी से उपलब्ध है और जिनके सेवन का किसी को पता भी नही चलता....जैसे-आयोडेक्स ,विक्स वेपोरब,व्हाइटनर,दीवारों के पेंट और कफ सिरप! ये नशे हर जगह और कम कीमत में मिल जाते है !इसके बाद नंबर आता है दावा की दुकानों पर मिलने वाली विभिन्न टेबलेट्स जो कई नामों से बेचीं जाती है !ये गोलियां बिना डाक्टर की पर्ची के सब जगह मिल जाती है !केमिस्ट भी कभी तनाव दूर करने तो कभी एकाग्रता बढ़ने के नाम पर इन्हें बेचते है !मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढाई करने वाले अधिकांश बच्चे इन्हें इस्तेमाल करते है !
                                                                                   इन छोटे मोटे नशों को करते करते ये नशे की उस अंधी दुनिया में पहुँच जाते है जहाँ से वापिस आना नामुमकिन है !शहर वसे दूर फार्म हॉउस में होने वाली रेव और कोकटेल पार्टियाँ इनकी मनपसंद जगह बन जाती है !शौक शौक में शुरू हुआ ये खेल अब इनकी आदत बन जाता है !नशे का बढ़ता प्रभाव आखिर एक दिन जान लेकर छोड़ता है !
इन सब से बचने का एकमात्र रास्ता है बच्चों को शुरू से ही नशे के दुष्प्रभाव बताये जाएँ ,टी वी पर नशे से सम्बंधित दृश्य और विज्ञापन प्रतिबंधित किये जाएँ !लगभग सभी शराब कम्पनियां  सोडे के नाम पर शराब बेचती है !स्कूलों और कालेज में नशों की जानकारी के बारे में शिक्षा दी जाए तथा जरूरत पड़ने पर नशा मुक्ति केंद्र की भी व्यवस्था हो.......वरना युवाओं को नशे से बचाना मुश्किल हो जायेगा.....!

Saturday, August 21, 2010

वेतन तो बढ़ा लिए ,क्या जिम्मेवारी भी बढ़ाएंगे ??

बहुत ही अच्छे   तरीके से संसद में सांसदों का वेतन बढ़ने का बिल पास हो गया....हो भी क्यूँ ना!!!आखिर खुद से जुड़ा मामला जो है!पर देखिये लालू जी फिर भी नाराज़ है ,उन्हें तो केबिनट सचिव से एक रुपैया ज्यादा चाहिए!हो सकता है उनकी मांग सही हो,पर क्या वे सच में केबिनट सचिव जितना काम करते है?जब आप आये ही जनसेवा के  लिए हो तो फिर कीजिये निस्वार्थ सेवा! क्या सांसदों को जो सुविधाएँ मिलती है ,उनकी आधी भी सरकारी कर्मचारियों को मिलती है? जी नहीं !!
                                              क्या ये माननीय सांसद एक सरकारी कर्मचारी से अपनी तुलना कर सकते है ?आज एक छोटी से छोटी सरकारी नौकरी के लिए भी बारहवीं पास होना जरूरी है ! अब कितने सांसद अशिक्षित है ये आप सोचिये? एक सरकारी आदमी मामूली सी भूल कर दे तो उसे १६ सी सी के तहत नोटिस मिलता है और अकसर सजा भी होती है! और यहाँ हजारों करोड़ों रुपैये डकारने वाले भी खुले घूम रहे है ,है कोई सजा इनके लिए? एक शाला में पढने वाला बच्चा भी जोर से बोलता है तो बहुत सोच कर ...और इनका बोलना तो संसद में सबने देखा ही है!
               वेतन के अलावा इन्हें जो घोषित और अघोषित सुविधाएँ मिलती है वे किसी से छुपी हुई नही है !इसके बाद भी और वेतन बढ़ने कि मांग करना भारत जैसे देश की जनता के साथ अन्याय ही होगा! सबसे बड़ी बात इन नेताओं में जिम्मेवारी की कमी  है....क्या ये कभी जनता के प्रति अपनी जवाबदेही समझेंगे ? क्या ये, नेता को वापिस बुलाने का हक जनता को देंगें? जब एक छोटे से पद के लिए भी शैक्षिक योग्यता और प्रवेश परीक्षा निर्धारित है तो फिर ये बिना किसी योग्यता के कैसे और क्यूँ काम कर रहे है ???? अगर कोई सांसद ठीक से काम नही करता तो उसे वापिस बुलाने का भी अधिकार जनता के पास होना चाहिए....पर ये नेता ऐसा कोई बिल कभी पास नही होने देंगे.....!

Wednesday, August 11, 2010

क्या फूल है हम ????

सारा देश महंगाई से त्रसत है और सरकार कॉमन वेल्थ खेलों में व्यस्त है!क्या जरूरी है ये खेल? अगर हमारे पास उचित   संसाधन नहीं थे तो हमें इस पचड़े में पड़ना ही नहीं चाहिए था!ऐसी झूठी शान किस काम की?और जैसे कोई कमी थी जो इसमें भी घोटाले पर घोटाले!शायद इसी लिए बड़ी रिश्वत देकर इन खेलों का आयोजन लिया गया!गरीबों के खून पसीने और रोटी से बने स्टेडियम आखिर  हमारे किस  काम के?हम अभी तक सब को रोज़गार,रोटी और मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध नही करवा सके, लेकिन यहाँ खेल गाँव बनाये जा रहे है !
                                                                                                           क्या कलमाड़ी जी को पता नही कि हमारे देश में आज भी हजारों लोग फुटपाथ पर सोतें है,जिन्हें भी अक्सर पैसे वाले बिगडैल लोग गाड़ियों से कुचल देते है या फिर पुलिस वाले डंडा मार कर भगा देते है !जब हम उन्हें काम और मकान नही दे सकते तो ये खेल गाँव हमारे किस काम के !ऊपर से इन खेलों के नाम पर हजारों टेक्स जनता पर लाद दिए गए है !
                                                                                                         गलियों से लेकर संसद तक हल्ला होने के बाद भी देश कि प्रतिष्ठा के नाम पर सरकार इनके आयोजन में जुटी  है... आखिर इन खेलो से क्या हासिल होगा? खेल के क्षेत्र में भी कोई फायदा होने वाला नही है क्यूंकि अनेकों नामी गिरामी खिलाडियों ने इन खेलों में आने से इनकार कर दिया है!फिर अपना घर जला कर ये तमाशा किस के लिए?क्या सरकार को जनता के दुःख दिखाई नही देते?शायद नही???क्यों आखिर क्यों???

Tuesday, June 29, 2010

सानिया नहीं सायना कहिये!!!!

जब से सानिया मिर्ज़ा ने शादी करके खेल प्रेमियों का दिल तोडा है तभी से भारत की नयी सनसनी बनके उभरी है सायना नेहवाल!!!अचानक से ही वो करोड़ों भारतियों की एक नयी आशा बन गयी है!संयोग की बात ये भी है की सायना भी हैदराबाद से ही है जहाँ से सानिया मिर्ज़ा थी!
                                                                              सायना के जीवन से पता चलता है क़ि किस तरह से उन्होंने संघर्ष करते हुए अंत में ये मुकाम पाया है!बैंडमिन्टन जैसे खेल में उन्होंने जैसे इतिहास ही रच दिया है!भारत में कुछ पुरुष खिलाडियों ने जरूर नाम कमाया है,पर महिलाओं में ये उपलब्धि हासिल करने वाली वे इकलौती खिलाडी है! वे और ऊँचाइयों को प्राप्त करें,ये हमारी शुभकामना है!!!!  

Thursday, June 10, 2010

दोष एंडरसन का नहीं हमारी व्यवस्था का है...

भोपाल गैस काण्ड एक बार फिर चर्चा में है..मिडिया में एंडरसन के बारे में बहुत कुछ लिखा जा रहा है !अब तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह ने कई नयी बातें सामने रखी है!ये सच है की भोपाल गैस कांड का सबसे बड़ा गुनाहगार एंडरसन है ,पर हमारी व्यवस्था क्या कम जिम्मेवार है?एंडरसन  तो खैर विदेशी था,पर पुलिस,नेता,जांच एजेंसियां,अदालतें तो हमारी थी!किसी ने भी अपना काम ढंग से नही किया!अगर एक भी  एजेंसी अपना काम गंभीरता से करती तो आज सारे गुनाहगार जेल में होते!पर ऐसा नही हो पाया क्यूंकि नेताओं ने इस मामले को इतना कमजोर कर दिया की अदालत भी उन्हें छोड़ने को मजबूर हो गयी!
                                                                                       हमारी व्यवस्था में कमी के चलते ही भोपाल गैस काण्ड के पीड़ित आज भी खून के आंसू पीने को मजबूर है!आज भी वे न्याय के लिए भटक रहें है तो केवल हमारी कमी से! एंडरसन को अपनी सुरक्षा में बाहर निकलने वाली सरकार आज भी यही निति अपनाये हुए है,तभी तो अफजल गुरु और  कसाब   भी सरकारी मेहमान बने हुए है !

Wednesday, May 26, 2010

जाति आधारित जनगणना क्यों ????


हमारे देश की सबसे बड़ी विशेषता है अनेकता में एकता !इसीलिए अंग्रेज कभी भी हमें बाँट नही पाए ,लेकिन आखिर में उन्होंने फूट डालो और राज़ करो का सहारा लिया!आज हमारे नेता फिर उसी रास्ते पर चल रहे है!देश में फिर जाति आधारित जनगणना की बात उठाई जा रही है!पूरे विश्व में कहीं भी जाति को इतना महत्त्व नही दिया जाता,जितना की हमारे देश में!हर जाति का एक अलग संगठन बना है....जैसे ब्रह्मण  समाज,अग्रवाल  समाज,प्रजापत समाज आदि!ये समाज अपनी अपनी जाति के विकास के लिए प्रयत्न करते है ...ठीक है  पर क्या समाज को इस तरह बांटे बिना विकास नही हो सकता? जनगणना को जातीय आधार पर करना बिलकुल उचित नही होगा!इससे पहले से ही विभिन्न वर्गों में विभाजित समाज में और दूरियां बढ़ेगी! आज अलग अलग जातियों को लेकर जिस तरह से पंचायतें हो रही है और आरक्षण को लेकर राजनीती हो रही है,वो इस निर्णय से और बढ़ेगी ये सब हमारे एकीकृत समाज के लिए घातक होगा!
राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए समाज को जातिविहीन करना ही होगा! जनगणना में जाति को शामिल करने से और भी बहुत सी विसंगतियां पैदा हो जाएगी!नेता लोग और खाम्प पंचायतें जातिगत जनगणना का दुरूपयोग करेंगे! देश में पहले ही जाति को लेकर आरक्षण की मांग हो रही है,जो और बढ़ेगी! आज जरूरत इस बात की है क़ि हम समाज की भलाई के लिए इसे जातियों में ना बांटे!विकासशील देश इतना विकास इसी लिए कर पाए क्यूंकि वहां जातिगत राजनीती नहीं है!तो फिर हम क्यूँ अभी भी विभिन्न वर्गों में बँटे रहना चाहते है? !सबको समानता का अधिकार भी सबको समान मानने से ही मिलेगा,विभाजित करने से नही!! जाति आधारित जनगणना किसी भी सूरत में उचित नही है!! 

Friday, May 21, 2010

क्या हमारा खाना ज़हरीला है ??

वडा पाँव  मत खाना !!!समोसे में ज़हर है! पाव भाजी अस्पताल पहुंचा देगी !!!जूस से केंसर हो जायेगा!!!मिठाइयाँ नकली है!!!नल में पानी नही ज़हर आ रहा है!..........जी ये मैं नही कह रहा ,ये तो एक प्रमुख हिंदी समाचार चैनल के शीर्षक है!आप क्या समझे? हम जो सालों से खाते आ रहे है,वो सब अचानक ज़हरीला हो गया है !क्या आपको इसमें कोई बू नही आती? क्या ये बहुराष्ट्रीय कम्पनियों क़ि चाल नही लगती? हो सकता है नही!!! कोई बात नही फिर हम खाएं पीयें क्या?
                   क्या पिज्जा सुरक्षित है? क्या पेप्सी कोका कोला में ज़हर नही है?पेकिंग में मिलने वाली मिठाई या चोकलेट या पेय जल  शुद्ध है? अब कुछ समय पहले क़ि बातें याद कीजिये जब एक रिपोर्ट में इन शीतल पेय की बोतलों में हानिकारक पदार्थ पाए  गए थे!एक प्रसिद्ध ब्रांड [डेरी मिल्क और नेस्ले  ] की चोकलेट में कीड़े पाए गये थे!और फिर  पैकिंग में मिलने वाला 'के ऍफ़ सी' का चिकन और पिज्जा कौनसा सुरक्षित है!आखिर उन पर क्यूँ नही समाचार दिखाए जाते!! साफ़ है क़ि भारतीय बाज़ार पर कब्ज़ा करने क़ि कोशिश हो रही है!धीरे धीरे स्थानीय दुकानों से ग्राहक को रेस्तरां माल में खींचा जा रहा है!
                                                            आप देखिये जैसे ही कोई त्योंहार आने वाला होता है ,टी वी पर नकली मावा,नकली मिठाई,नकली घी आदि के समाचार चलने लगते है!जी हाँ ये सब प्रायोजित खेल है!!हो सकता है कुछ सच्चाई भी हो,पर ज्यादातर खेल बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का ही किया धरा है!!!हमें इस को समझना चाहिए और भारतीय बाज़ार को बचाना चाहिए!

Tuesday, May 18, 2010

अब इंतजार किसका और क्यों?


दंतेवाडा में शहीद जवानों का रक्त सूखा भी नही था क़ि नक्सलियों ने फिर खून बहा दिया है!चिदंबरम जी कुछ समय पहले तक बातचीत का न्योता देते घूम रहे थे ,अब अचानक धमकी देने लगे है!सरकार नक्सलियों को लेकर बहुत गंभीर है!मंत्रिमंडल क़ि आपात बैठक हो रही है...सेना अधिकारी भी राय देंगे...पर हुआ क्या?नक्सली लगातार खून बहा रहें है..!पर सरकार कोई फैसला लेने में असमर्थ है !आखिर क्यों नही कोई ठोस रणनीति बनाई जाती ?हथियार उठाने वाले कभी बातचीत नही करते!जैसे वे हथियार उठा कर सरकार को झुकाना चाहते है ,ठीक उसी तरह उन पर दवाब बना कर ही बातचीत के लिए मजबूर किया जा सकता है!
अमेरिका में ९/११ के बाद कोई हमला नही हो सका,श्रीलंका में लिट्टे का सफाया कर दिया गया!ये सब दृढ इच्छाशक्ति  और मजबूत हौंसलों से ही संभव हो सका!लेकिन क्या हमारे पास है ये सब करने क़ि ताकत..तो इसका जवाब है..हाँ !विश्व की सर्वश्रेष्ट सेना हमारे पास है ,हमारे रक्षा विशेषज्ञ हर रणनीति बनाने में सक्षम है!पर अफ़सोस कोई उनकी सहायता लेने को तैयार ही नही!क्यूंकि यहाँ नक्सल भी एक उद्योग बन गया है,जिससे नेताओं के स्वार्थ या यूँ कहें क़ि हित जुड़े है!तभी तो इतने खून खराबे के बाद भी सरकार कोई कठोर कदम उठाने को राज़ी नही है! आखिर सरकार सेना की सहायता क्यूँ नही लेना चाहती?आप बातचीत भी जारी रखें..लेकिन उन्हें बातचीत के लिए मजबूर भी करें!
पाकिस्तान में हजारों ट्रेनिंग केम्प चल रहे है,अफजल गुरु को सरकारी मेहमान बना कर रखा है,लाखों बंगलादेशी अवैध रूप से देश में घुसे बैठे है.......इन समस्याओं क़ि तरह ही नक्सली समस्या को भी सदा सदा के लिए उलझा दिया जायेगा....और निर्दोषों का खून यूँ ही बहता रहेगा!लेकिन आखिर कब तक?????

Saturday, May 1, 2010

ये है हिंदी के दुश्मन.....

जयपुर में धमाका...
केरला में मानसून आया...
दसवीं में ८० फीसदी पास...
ये कुछ उदाहरण है जो मैंने पिछले दिनों कई टी वी चेनलों पर देखे...!आज बहुत से अन्य भाषी शब्दों को हिंदी में अपना लिया गया है!आज के लोग जिस हिंदी अंग्रेजी मिश्रित भाषा का उपयोग करते है,उसे हिंगलिश कहा जाता है!लेकिन ये छूट    केवल आम जन में प्रयोग के लिए है!इसे किसी भी स्तर पर मान्यता नही दी गयी है !लेकिन ऊपर दिए गए सभी शब्दों के विकल्प उपलब्ध है,फिर ऐसा क्यूँ???जैसे 'धमाका "को विस्फोट ,"केरला" को केरल ."पास "को उतीर्ण और "फीसदी" को प्रतिशत लिखने में कहाँ  परेशानी है?
                                                 इसी प्रकार हिंदी फिल्मों से आजीविका चलाने  और नाम कमाने वाले  अभिनेता आखिर हर जगह अंग्रेजी क्यूँ बोलते है? हमारे नेता जहाँ भी विदेश में जाते है वहां अंग्रेजी में ही बोलते है!मेरे कहने का मतलब ये नही है क़ि हम कलिष्ट हिंदी का प्रयोग करें पर कम से कम उपलब्ध शब्दों का तो प्रयोग कर ही सकते है!आखिर हिंदी ही है जो विविध भाषाओँ के होते हुए भी पूरे राष्ट्र को एक बनाये हुए है!जब हम एक राज्य से दुसरे राज्य में जाते है तो हिंदी ही संपर्क भाषा का काम करती है!
                                                    तो आइये हिंदी को यथोचित सम्मान देने क़ि शुरुआत करें!!!!!

Tuesday, April 27, 2010

आखिर क्या परिणाम रहा आई पी एल का ??


आख़िरकार धूम धड़ाके के  साथ आई पी एल का समापन हो ही गया!लेकिन कौन जीतेगा इससे ज्यादा इंतजार इस बात का था कि ललित मोदी का क्या होगा? आई पी एल से किसने क्या खोया क्या पाया? सट्टेबाजों ने अपनी जेबें गर्म की,नेताओं ने अपने रिश्ते गर्म किये,फ्रेंचाईज़  ने अपनी कमाई डबल कर ली...खिलाडियों ने चोटें खाई..और सबसे बड़ी बात जनता ने धोखा खाया!!!जनता को तो अभी तक पता ही नही की जो मेच देखे वो सच में हुए या फिक्स थे!"बी सी सी आई " को पहली बार बहुत सी नयी बातें पता चली!और थरूर साहब का तो मंत्री पद ही चला गया!पर निराश ना होइए असली खेल तो अभी शुरू हुआ है!हर रोज़ आपको एक नया राज़ जानने को मिलेगा...!
ललित मोदी तीन साल तक अपनी मनमानी करते रहे,उन्हें किसी ने टोकने या रोकने की हिमाक़त नहीं की!और अब ऐसा क्या हो गया क़ि उन्हें निलंबित करने के लिए सुबह होने वाली गोवार्निंग काउन्सिल की बैठक तक का इंतजार नही किया गया!शायद इस जल्दबाजी के पीछे भी कुछ नेता ही है,जिनको अपनी पोल खुलने का डर सता रहा है!ललित मोदी कुछ पोल खोलते इससे पहले ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया!तो पहले क्या सारे सो रहे थे?बी सी सी आई की छोडिये क्या इनकम टेक्स वालों को कभी कुछ गलत नहीं लगा?करोड़ों रुपैये बरस रहे थे और उन्हें भनक तक नहीं लगी?और अब एकदम से सब कुछ जांचा  परखा जा रहा है?दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है?इसका फैसला तो हो ही जायेगा!पर इससे ये जरूर पता चलता है कि क्यूँ ये नेता क्रिकेट संघों के अध्यक्ष बनने हेतु लालायित रहते है ,चाहे क्रिकेट की इन्हें ऍ बी सी ड़ी ना आती हो?? 

Friday, April 16, 2010

आखिर 'आई पी एल 'का सच सामने आया...

पिछले तीन सालों से आई पी एल का सफल आयोजन हो रहा है और इतने कम समय में इस लीग ने अच्छी लोकप्रियता भी हासिल कर ली है!पूरे देश में ही नहीं विश्व भर में इसका जादू सर चढ़ कर बोल रहा है!क्रिकेट का ये रंगीन और हसीन संस्करण लोगों को खूब लुभा रहा है!
पर जिस तरह नकली गहनों क़ी चमक कुछ समय बाद उतरने लगती है ,उसी तरह अब आई पी एल के पीछे का भी सच सामने आने लगा है!कोच्ची टीम को लेकर थरूर और ललित मोदी क़ी जंग से कुछ छुपे राज़ सामने आ गए है!टीमों के मालिकाना हक को लेकर कुछ नए तथ्य सामने आ रहे है!अभी तक फ़िल्मी सितारों को ही टीम के मालिक मन जा रहा था..लेकिन अब जाके पता चला है क़ी वो तो एक चेहरा भर थे!असली मालिक कोई और ही है और पैसा किसी और का लगा है!अब तो ये भी जांच हो रही है क़ी कहीं ये काला धन तो नहीं? कहीं काले धन को आई पी एल क़ी आड़ में सफ़ेद में तो नहीं बदला जा रहा?
वैसे यदि आप टीमों के मालिकाना हक को देखें तो कुछ बातें पहली नज़र में ही संदेहास्पद लगती है!ललित मोदी ने जान बूझ कर असली मालिकों को  कभी सामने नहीं आने दिया!किस टीम में किसका पैसा लगा है,कौन शेयर धारक है ?ये एक राज़ ही रहता ...अगर कोच्ची विवाद नहीं होता..!
और अब एक नया विवाद...
चीयर लीडर्स ,शराब और फूहड़पन के बाद अब फिक्सिंग का साया भी आई पी एल पर पड़ता दिख रहा है!हालांकि ये बात खुल कर सामने नहीं आई है पर दाल में कुछ काला जरूर है!कई टीमों का प्रदर्शन शक पैदा करता है!अब देखने वाली बात ये है कि क्या ललित मोदी आई पी एल को इन मुसीबतों से निकाल पाएंगे?

Wednesday, March 31, 2010

सोनिया गाँधी का य़ू टर्न !!!


सोनिया गाँधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् क़ी अध्यक्ष बन गयी है!नयी बात ये है क़ी चार साल पहले उन्होंने इसी पद को त्याग दिया था और कहा था क़ी वे राजनीती  में केवल सेवा करने आई है ,सत्ता सुख लेना उनका उद्देश्य नहीं है!तब उनकी खूब वाहवाही हुई थी,किन्तु अब ऐसा क्या हुआ जो उन्हें इस पद क़ी जरूरत आ पड़ी!सत्ता पर उनका पूरा नियंत्रण है ही! कांग्रेस में उनकी मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता!प्रधानमंत्री रबड़ स्टंप मात्र है!लेकिन फिर भी कुछ ऐसा है जिससे वे भयभीत है...
                                           दरअसल राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् क़ी कोई ख़ास जरूरत भी नहीं है क्यूंकि प्रधानमंत्री कार्यालय और केबिनत के चलते इसकी कोई विशेष भूमिका नहीं है!परन्तु सोनिया येन केन ,हर हालत में पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहती है!उन्हें ये डर सताता है क़ि मनमोहन तो ठीक है पर कोई अन्य नेता पार्टी या संगठन में हावी ना हो जाये!इसी डर के चलते वे जहाँ राहुल को स्टेप बाई स्टेप आगे बढ़ा रही है ,वंही खुद पार्टी में सर्वेसर्वा बनी हुई है!किन्तु इन सब के चलते उन्होंने जो त्याग और बड़प्पन  दिखाया था ,वो सब पीछे छूट गया है!
         कभी महान नेताओं के लिए जानी जाने वाली पार्टी क़ी ये हालत देख कर तरस आता है!इसमें नेताओं का अकाल सा हो गया है !जो बचे है वो भी किसी तरह अपनी हैसियत बचाने में लगे है!सोनिया राहुल के बाद द्वितीय पंक्ति जैसे ख़त्म सी हो गयी है!राहत क़ी बात ये है कि बी जे पी खुद अपने आप से लड़ रही है!इसीलिए कांग्रेस अपनी नाकामिया छुपाती हुई सोनियामय होती जा रही है..

Thursday, March 18, 2010

यार तुम सोचते बहुत हो?

आजकल ये   हमारे यहाँ खूब चल रहा है!आप कोई भी बात करो अगला यही कहता है!अब मामला चाहे आंतकवादियों का हो या आई पी एल का ..जवाब तैयार है!मैंने कहा आंतकवादियों को पाकिस्तान रोक नहीं रहा,आई पी एल में खिलाडी घायल होते रहे तो वर्ल्ड कप में क्या होगा?बस इतने में तो आ गया जवाब..यार तुम सोचते बहुत हो? अरे मैं नहीं सोचूं ,तुम नहीं सोचो ..तो फिर कौन सोचेगा? नेता तो पहले से ही कुछ नहीं सोचते...सरकार सोचने क़ि इस्थिति में ही नहीं है!विपक्ष सरकार गिराने के अलावा कुछ नहीं सोचता!तो फिर इस देश का क्या होगा?


पता नहीं लोग इतने बेफिक्र से क्यूँ हो गए है !सड़क पर घायल पड़ा है पर कोई नहीं सोचता!महंगाई बढती जा रही है पर कोई नहीं सोचता!पेट्रोल डीज़ल के भाव बढ़ते जा रहे है पर कोई बात नहीं!बम विस्फोट में लोग मारे गए,कोई बात नहीं !मुझे याद है जब मैं छोटा था ..गर्मी के दिनों में जब बिजली काटी जाती थी तो हंगामा हो जाता था!कई बार बिजली विभाग के कर्मचारी पिट भी जाते थे..!आखिर में बिजली बहाल करनी ही पड़ती थी!और अब अगर २ दिन भी बिजली नही आये तो आवाज़ भी नहीं होती!क्यूंकि सब घरों में इनवर्टर लग गए है,जो गरीब नहीं लगा पाए उनकी कोई सुनता नहीं! लेकिन मैं इस देश का नागरिक होने के नाते सोच भी नहीं सकता...????? तो आखिर कौन सोचेगा भाई???/ इस सोचने के चक्कर में हमारे देश का कबाड़ा हो गया है!एक पिद्दी सा पडोसी देश हमें धमकता है,दूसरा आँखे दिखाता है..!कोई कारवाई तो दूर ,हम सोच भी नहीं रहे!आंतकवादियों के पाकिस्तानी केम्पों को तबाह कर देना चाहिए..पर कोई सोचे तो सही!

अब यही हाल क्रिकेट का भी है!कोई भी नहीं सोच रहा..बस खिलाडी खेल रहें है..हम देख रहे है..देश जाये भाड़ में ! आई पी एल के बाद वर्ल्ड कप में रेस्ट कर लेंगे...हार भी गए तो क्या कौन सोचता है यार!!!!पर आप चाहे कुछ भी कहो ..मैं तो जरूर सोचूंगा....

Tuesday, March 9, 2010

कण कण में भगवान...फिर इनका क्या काम?

सभी तरफ इन बाबाओं के चर्चे है!इनकी विलासिता देख कर हैरानी होती है!झांसे देने में ये नेताओं से भी आगे निकल गए है क्यूंकि नेता तो खुद इनके चेले है!गरीबी और बेरोज़गारी के चलते इनका धंधा कभी मंदा नहीं होता!बस एक बात मेरी समझ से बाहर है क़ि आखिर इतना कुछ होने के बाद भी जनता का इनसे मोह भंग क्यूँ नहीं होता!
  पंजाब में आंतकवाद समाप्त होने के बाद तथाकथित ड़ेरों क़ी बाढ़ सी आ गयी थी,और अब ये इतने शक्तिशाली हो गए है कि स्थानीय राजनीती को प्रभावित करने लगे है!शुरू शुरू में लगभग सभी बाबा कथा वाचन से अपना कैरियर प्रारंभ करते है ..और जब भीड़ जुटने लग जाती है तो फिर ये अपनी असली भूमिका में आ जाते है!मुझे याद है किस तरह एक प्रसिद्ध डेरे पर लोग केवल इसलिए जाने लगे थे कि वहां आम जरूरत का सामान बाज़ार से सस्ता मिलता था!लोग २-३ दिन वहां घूमते थे और फिर राशन लेकर आ जाते थे!बाद में ये डेरा भी अनेकों विवादों में फंस गया..
                                                                                                    स्वामी नित्यानंद,भिमानंद अकेले ऐसे नहीं है,ये तो सामने आ चुके है!अभी न जाने कितने नाम सामने आने बाकि है!इस समस्या का समाधान यही है कि जनता इश्वर प्राप्ति के लिए इन ढोंगी बाबाओं का सहारा लेना छोड़ दे ,जो खुद  को भगवान् बताने लगते है!
आज गुरु कि खोज मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव भी नहीं है!असाधारण ज्ञान रखने  वाले अनेको महापुरुष आम जन की तरह ही रह रहे है,बस जरूरत है उन्हें पहचानने की! इन ढोंगियों के कारण कितना नुक्सान हुआ है ,ये सोचने की बात है...  

Sunday, February 28, 2010

उड़न तश्तरी बीकानेर में....अन्य ब्लोगर भी आये...

होली के दिन सबको आश्चर्य चकित करते हुए उड़न तश्तरी अचानक  बीकानेर पहुंची!इसमें चालक समीर लाल जी के साथ साथ संजय बेगानी,नीरज गोस्वामी,मास्टर मकरंद ,मिस रामप्यारी ,रतन सिंह शेखावत,ललित शरमा  और डाक्टर मयंक भी थे!ये सभी महानुभाव रजनीश परिहार के यहाँ होली खेलने आये थे!समय आभाव और वयस्त होने के करण ताऊ समेत बहुत से ब्लोगर आ नहीं पाए,लेकिन उनके शुभकामना सन्देश मिले है!
                     इस अवसर पर बीकानेर क़ी परम्परा के अनुसार खूब हुल्लड़ हुआ और जम कर होली खेली गयी!लगभग दो घंटे के समय का पता ही नहीं चला और फिर विदाई क़ि घडी भी आ गयी!पुनः मिलने के वादे.के साथ सभी ब्लोगर्स को बीकानेरी रसगुल्ले ,भुजिया आदि देकर विदा किया गया....फिर मिलने क़ी आस में..
                                                                                                                                                              [बुरा ना मानों होली है] 

Friday, February 26, 2010

एक भारतीय ,जिसे अमेरिकी भी सलाम करते है...


जी हाँ ये है प्रणव मिस्त्री जिन्होंने प्रत्येक भारतीय का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है!आज सभी पाश्चात्य देश उन्हें अपने यहाँ आमंत्रित कर रहे है!दुनिया  के बड़े वैज्ञानिक  उनके साथ काम करना चाहते है!दरअसल प्रणव ने सिक्स्थ सेन्स नामक उपकरण बनाया है,जिसने इंटरनेट आधारित विज्ञान क़ि भाषा ही बदल दी है!यह एक छोटा सा गले में पहनने योग्य उपकरण है जो कम्प्यूटर से जुड़ा है! इसके साथ ही हाथ क़ि उँगलियों में पहनी रिंग भी महत्त्व पूरण भूमिका निभाती है!इसकी  सहायता से हम बुक स्टोर में किताब पढ़ सकते है,टिकट पर हाथ लगाते ही सारी जानकारी प्राप्त कर सकते है!किसी भी वस्तु को छूते   ही उसकी सारी जानकारी हमें मिल जाती है प्रणव ने इस उपकरण के द्वारा पूरे विश्व में तहलका मचा दिया है![देखें वीडियो]
                                                            अब कंप्यूटर  पर किये जाने वाले सभी कार्य उँगलियों के इशारे मात्र से किये जा सकते है!यहाँ तक क़ि फोटो खींचना,मेसेज भेजना ,काल करना आदि समस्त कार्य चलते फिरते बिना किसी अतिरिक्त उपकरण के किये जा सकते है!इसके प्रयोग से भारी भरकम कंप्यूटर  के सभी काम चुटकियों में किये जा सकते है!सिक्स्थ सेन्स नामक ये उपकरण उन्होंने मात्र ३५० डालर में बनाया है!अभी उनका प्रयोग जारी है और वे इसे नाम मात्र क़ि कीमत पर उपलब्ध करवाना चाहते है!बड़ी बड़ी विदेशी कम्पनियां इस को मनमानी कीमत पर खरीदना चाहती है किन्तु वे इसे आम जनता को समर्पित करना चाहते है!
आखिर कौन है प्रणव?
गुजरात के पालनपुर में १९८१ में जन्मे प्रणव आई आई टी मुंबई के पूर्व छात्र है!बचपन से मेधावी प्रणव ने गुजरात विश्वविद्यालय में अध्यन के दौरान ही अनेक आविष्कार किये और डिजाइनर, इंजीनियर और आविष्कारक के रूप में अपनी सेवाएँ दी!वे कई निजी संस्थाओं से होते हुए फिलहाल एम् आई टी में शौध के छात्र है !सिक्स्थ सेन्स[छठी इन्द्रिय ]क़ि खोज से वे रातों रात मशहूर हो गए!उन्हें युवा अन्वेषक पुरूस्कार और विज्ञानं को  लोकप्रिय बनाने हेतु भी २००९ में सम्मानित किया गया है!फ़िलहाल वे अमेरिका के मैसाचुसेट्स में रह कर अपने प्रयोग पर कार्य कर रहे है!      

Wednesday, February 17, 2010

जनता किससे करे उम्मीद???

आखिर ये महंगाई कहाँ जाकर रुकेगी?इसने सबके जीवन को प्रभावित किया है!गांवों में एक तो फसलें नहीं हो रही,बारिश समय पर होती नहीं,नहरों में पूरा पानी नहीं मिल रहा..और ऊपर से कमर तोड़ महंगाई!!क्या करे इंसान?हर साल फसल होने क़ि उम्मीद में कर्जा बढ़ता जाता है...और किसान टूटता जाता है!हालात ये हो गए है क़ि लम्बी चौड़ी ज़मीनों के मालिक आज "नरेगा" में मजदूरी कर रहे है!


इधर शहरों में भी हालात कम बुरे नहीं है!यहाँ तो नरेगा का भी सहारा नहीं है!गाँव में इधर उधर रहने का ठौर मिल जाता है,सस्ता इंधन मिल जाता है!जबकि शहर में गरीब अपना मकान बनाने क़ि सोच नहीं सकता और किराये पर रहना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है!बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना मजबूरी है क्यूंकि सरकारी स्कूल एक एक कर बंद हो गए है!रोजाना मजदूरी मिलनी मुश्किल है और सस्ते अनाज का कहीं पता नहीं है!सरकार साथ देने क़ि बजाय महंगाई और बढ़ने क़ि बात करती है!आखिर क्या करें ?दो वक़्त क़ि रोटी जुटा पाना मुश्किल हो गया है....!राजनितिक दल अपनी अपनी ढफली बजा रहे है! जनता किससे करे उम्मीद???/

Tuesday, February 16, 2010

हरिभूमि में 'ये दुनिया है"...

  हरी भूमि समाचार पत्र के १५ फ़रवरी के अंक में वेलेंटाइन डे पर लिखे ये दुनिया है के लेख  को प्रकाशित किया गया है!हमारे विचारों से सहमत होने तथा अन्य लोगों तक पहुँचाने के लिए आभार...

Sunday, February 14, 2010

क्यूँ मनाये हम...वेलेंटाइन डे??

प्यार के कितने रूप होते है ये किसी को बताने की आव्सय्कता नहीं है......लेकिन आज इसे केवल प्रेमी और प्रेमिकाओं से जोड़ दिया गया है.हमारे देश में सदियों से प्रेम का इजहार सभ्य तरीकों से होता आया है जिसे समाज की मान्यता भी थी.कभी किसी ने मर्यादा तोड़ने की कोशिश नहीं की चाहे वो देवर भाभी का प्यार हो या कोई और....क्रिशन राधा के प्यार की कोई मिसाल नहीं मिलती....इसी तरह प्रेम के न जाने कितने रूप देखने को मिलते है....फ़िर हमें वैलेंटाइन दिवस की जरुरत कहाँ पड़ती है...क्यूँ मनाये हम इसे....!
                                                                          विदेशों में जहाँ परिवार नाम क़ि संस्था टूट कर बिखर चुकी है,उन्हें ये नित नए दिन सूझते है ताकि कम से कम एक दिन तो वे प्यार से बिता सके!हमारे यहाँ क़ि संस्कृति इस तरह से भोंडेपन का विरोध करती है,तभी तो हमारे समाज में प्यार के सभी रूप विद्यमान है!रक्षाबंधन,भैया दूज आदि में दिखने वाले प्यार को क्या वेलेंटाइन डे में महसूस किया जा सकता है?इसीप्रकार अन्य त्योंहारों में भी सभी रिश्तों का अपना महत्त्व है!फिर क्यूँ हम शालीनता क़ि बजाय बाजारू प्रेम दिवस को अपनाएं? आज जरूरत इस बात क़ि है क़ि हम बच्चों को रिश्ते नाते समझाए,ना क़ि उन्हें पूरे साल का प्यार एक दिन में सिमटाना  सिखाएं!!!

Monday, February 1, 2010

गण से दूर होता तंत्र.....कौन है जिम्मेवार??? .

अभी हमने अपना गंणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया..!पर क्या हम वास्तव में जनता के लिए लोकतंत्र स्थापित कर पाए?शायद नहीं....!६० वर्षों बाद भी आज सही मायनो में लोकतंत्र स्थापित नहीं हो पाया..!हमारे देश का कानून चंद लोगों के हाथ की कठपुतली बन कर रह गया है!पूरी सत्ता कुछ लोगों के हाथों में सिमट कर रह गयी है!इन वर्षों में हमने अनेकों उपलब्धियां भी हासिल की है,पर नाकामियों के सामने ये बौनी साबित हो गयी है!लोकतंत्र का मतलब मनमानी करण हो गया है!ये हमारे लोकतंत्र की कमियां ही है क़ि अमीर और अमीर और गरीब और गरीब होता जा रहा है!डॉ. भीम राव आंबेडकर ने जिस समाज क़ि कल्पना क़ी थी वो अभी तक स्थापित नहीं हो पाया!देश अभी भी जात पात और विभिन्न वर्गों में बँटा है! जितना समृद्ध हमारा संविधान था ,उतना हम उसको लागू नहीं कर पाए!देश आज भी कभी भाषा तो कभी क्षेत्रीयवाद को लेकर बँटा नज़र आता है!
इजराइल ने ३० सालों में अपने कब्ज़े वाले क्षेत्र में जनसँख्या संतुलन बदल दिया,जबकि हम आज भी कश्मीर को दिल से देश में नहीं मिला पाए!आज भी वहां एक हिन्दुस्तानी ज़मीन नहीं ले सकता!आखिर क्यों?पूर्वोतर राज्यों में भी अलगाव वादी भावनाएं सक्रिय है ,आखिर क्यों?दक्षिणी राज्य भारत का अभिन्न अंग होते हुए भी क्यों क्षेत्रीयवाद से पीड़ित है?हम देश में एकता क़ी भावना क्यूँ नहीं विकसित कर पाए?
इतना मजबूत संविधान होते हुए भी क्यूँ अक्सर नेता इतने घोटाले करके भी आज़ाद है जबकि एक गरीब दाने दाने को मोहताज़ है?२६ जनवरी को राजपथ क़ी झांकियों में असली भारत देश कहीं नज़र नहीं आता! देश क़ी अस्मिता पर हमला करने वाले सरकार के अथिति बने हुए है ,जबकि हजारों निर्दोष पडोसी देश क़ी जेलों में सड़ रहे है!देश पर जान न्योछावर करने वालों के परिजन रोटी रोटी को मोहताज़ है ,जबकि मुंबई का गुनाहगार कसाब जेल में भी सरकारी कवाब खा रहा है!एक लोकतंत्र के मुंह पर इससे बड़ा तमाचा और क्या हो सकता है?
आस्ट्रलिया में हजारों भारतियों पर हमलों के बाद भी हम बेशर्मी से उनके खिलाडियों को आमंत्रित कर रहें है!क्या हमारा कोई स्वाभिमान नहीं?कोई राष्ट्रीय अस्मिता नहीं?एक महान और मजबूत देश का ऐसा अपमान ...सोच नहीं सकते!एक अमेरिकन नागरिक विश्व में कहीं मारा जाए तो वो हल्ला मचा देते है,और हमारे पूर्व राष्ट्रपति के वो कपडे उतार लें तो कुछ नहीं?अजीब लोकतंत्र है ये?
आज़ादी के इतने सालों बाद भी आम जनता महंगाई से त्रसत है ,और सरकार सांत्वना देने क़ी जगह और महंगाई बढ़ने क़ी धमकी देती है!तो फिर किसकी सरकार है ये?आम जनता किससे फ़रियाद करें? क्या इसी लोकतंत्र क़ी हमने कल्पना क़ी थी?आखिर कब मिलेगा हमें सही लोकतंत्र जब एक आम आदमी जोर से बोलेगा भैया आल इस वेल!!!! क्या ये सब कभी बदलेगा?  

Tuesday, January 12, 2010

क्यों ना हम अपना राष्ट्रीय खेल बदल दें..?

आज की हॉकी टीम जिन हालात में है उसे देख कर तो ऐसा ही लगता है!जब हम टीम की जरूरतें ही पूरी नहीं कर पा रहे तो फिर कैसा राष्ट्रीय खेल? शायद हमें क्रिकेट को नया राष्ट्रीय खेल घोषित करना चाहिए!क्रिकेट की एक मामूली घटना भी बड़ी खबर बन जाती है जबकि हॉकी की बड़ी खबर भी अखबारों के एक कोने में सिमट कर रह जाती है!सहवाग दो दिन तक दिखे नहीं तो ख़बरों में हलचल मच जाती है जबकि हॉकी खिलाडी तीन दिनों .से हड़ताल पर है ,पता है?जिस देश में राष्ट्रीय खेल का ऐसा अपमान हो की उसे प्रायोजक ही ना मिले?कोई खर्चा उठाने को तैयार नहीं हो?उसे किसी हालत में हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं होना चाहिए !

                                                                                                    जिसतरह ताम्र पत्र से स्वन्त्रत्र्ता सेनानी अपना पेट नहीं भर सकता,उसी प्रकार राष्ट्रीय खेल के नाम मात्र से कोई खिलाडी अपना घर नहीं चला सकता!पर शायद ये बात सरकार को समझ में नहीं आती तभी तो क्रिकेट टीम के एक मैच जीतने पर करोड़ों रुपैये लुटाने वाली कोई कंपनी हॉकी की प्रायोजक बनने को तैयार नहीं है! फिर हम आखिर क्यूँ हॉकी को ढोतें फिरें?क्यों नहीं हम अपना राष्ट्रीय खेल ही बदल दें ताकि हमें रोज़ रोज़ शर्मिंदा ना होना पड़े?आज हॉकी खिलाडी अपने मेहनताने के लिए दर दर भटक रहें है,आखिर क्यों?