अभी हमने अपना गंणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया..!पर क्या हम वास्तव में जनता के लिए लोकतंत्र स्थापित कर पाए?शायद नहीं....!६० वर्षों बाद भी आज सही मायनो में लोकतंत्र स्थापित नहीं हो पाया..!हमारे देश का कानून चंद लोगों के हाथ की कठपुतली बन कर रह गया है!पूरी सत्ता कुछ लोगों के हाथों में सिमट कर रह गयी है!इन वर्षों में हमने अनेकों उपलब्धियां भी हासिल की है,पर नाकामियों के सामने ये बौनी साबित हो गयी है!लोकतंत्र का मतलब मनमानी करण हो गया है!ये हमारे लोकतंत्र की कमियां ही है क़ि अमीर और अमीर और गरीब और गरीब होता जा रहा है!डॉ. भीम राव आंबेडकर ने जिस समाज क़ि कल्पना क़ी थी वो अभी तक स्थापित नहीं हो पाया!देश अभी भी जात पात और विभिन्न वर्गों में बँटा है! जितना समृद्ध हमारा संविधान था ,उतना हम उसको लागू नहीं कर पाए!देश आज भी कभी भाषा तो कभी क्षेत्रीयवाद को लेकर बँटा नज़र आता है!
इजराइल ने ३० सालों में अपने कब्ज़े वाले क्षेत्र में जनसँख्या संतुलन बदल दिया,जबकि हम आज भी कश्मीर को दिल से देश में नहीं मिला पाए!आज भी वहां एक हिन्दुस्तानी ज़मीन नहीं ले सकता!आखिर क्यों?पूर्वोतर राज्यों में भी अलगाव वादी भावनाएं सक्रिय है ,आखिर क्यों?दक्षिणी राज्य भारत का अभिन्न अंग होते हुए भी क्यों क्षेत्रीयवाद से पीड़ित है?हम देश में एकता क़ी भावना क्यूँ नहीं विकसित कर पाए?
इतना मजबूत संविधान होते हुए भी क्यूँ अक्सर नेता इतने घोटाले करके भी आज़ाद है जबकि एक गरीब दाने दाने को मोहताज़ है?२६ जनवरी को राजपथ क़ी झांकियों में असली भारत देश कहीं नज़र नहीं आता! देश क़ी अस्मिता पर हमला करने वाले सरकार के अथिति बने हुए है ,जबकि हजारों निर्दोष पडोसी देश क़ी जेलों में सड़ रहे है!देश पर जान न्योछावर करने वालों के परिजन रोटी रोटी को मोहताज़ है ,जबकि मुंबई का गुनाहगार कसाब जेल में भी सरकारी कवाब खा रहा है!एक लोकतंत्र के मुंह पर इससे बड़ा तमाचा और क्या हो सकता है?
आस्ट्रलिया में हजारों भारतियों पर हमलों के बाद भी हम बेशर्मी से उनके खिलाडियों को आमंत्रित कर रहें है!क्या हमारा कोई स्वाभिमान नहीं?कोई राष्ट्रीय अस्मिता नहीं?एक महान और मजबूत देश का ऐसा अपमान ...सोच नहीं सकते!एक अमेरिकन नागरिक विश्व में कहीं मारा जाए तो वो हल्ला मचा देते है,और हमारे पूर्व राष्ट्रपति के वो कपडे उतार लें तो कुछ नहीं?अजीब लोकतंत्र है ये?
आज़ादी के इतने सालों बाद भी आम जनता महंगाई से त्रसत है ,और सरकार सांत्वना देने क़ी जगह और महंगाई बढ़ने क़ी धमकी देती है!तो फिर किसकी सरकार है ये?आम जनता किससे फ़रियाद करें? क्या इसी लोकतंत्र क़ी हमने कल्पना क़ी थी?आखिर कब मिलेगा हमें सही लोकतंत्र जब एक आम आदमी जोर से बोलेगा भैया आल इस वेल!!!! क्या ये सब कभी बदलेगा?