Tuesday, August 25, 2015

डेंगू का आयुर्वेदिक इलाज़....

डेंगू  का  उपचार :
१/. यदि आपके आस-पास किसी को यह रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो सर्वप्रथम निम्नलिखित चार चीज़ें रोगी को दें :
अ) अनार का रस
ब) गेहूँ के जवारे का रस
स) पपीते के पत्तों का रस
द) गिलोय/अमृता/अमरबेल सत्व
-अनार जूस तथा गेहूँ के जवारे रस नया खून बनाने के लिए तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए होता हैl अनार जूस आसानी से उपलब्ध हो ही जाता हैl लेकिन यदि गेहूँ के जवारे का रस ना मिले तो सेबफल का रस भी दिया जा सकता हैl
- पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकालकर करीब 200-250 मि.ली. मात्रा प्रति बार के हिसाब से मरीज़ को दिन में 2 से 3 बार दें, एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संख्या बढ़ने लगेगीl
- गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में 2-3 बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढ़ती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है, शरीर का ताप तेजी से सामान्य होता है तथा कई रोगों का नाश होता हैl यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर "गिलोय घनवटी" ले आएँ जिसकी एक-एक गोली रोगी को दिन में 3 बार देंl
-यदि बुखार 1 दिन से ज्यादा रहे तो खून की जाँच अवश्य करवा लेंl
-यदि रोगी बार बार उल्टी करे तो सेब के रस में थोडा नीम्बू मिलाकर रोगी को दें, उल्टियाँ बँद हो जाएँगीl
-यदि रोगी को अँग्रेजी दवाईयाँ दी जा रही हैं तब भी ये चीज़ें रोगी को बिना किसी डर के दी जा सकती हैंl
-डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आए उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होता हैl
२/. सर्पगंधा के कन्द (फल) का चूर्ण, कालीमिर्च, डिकामाली घोड़बच और चिरायता के चूर्ण को एक साथ अच्छी तरह पीस मिलाकर बनी मिश्रित औषधि में से 1 से 2 ग्राम मात्रा को सुबह-शाम लेने से डेंगू के बुखार में लाभ मिलता है।
३/. ईश्वर मूल (रूद्रजटा) के चूर्ण की लगभग आधा ग्राम से 2 ग्राम की मात्रा, सुबह-शाम सेवन करने से डेंगू ज्वर दूर हो जाता है।
४/. डेंगू बुखार तेज होने पर रोगी के माथे पर ठंड़े पानी की पट्टियाँ रखी जा सकती हैं। हीमोरैजिक डेंगू होने पर ध्यान देने वाली बात यह है कि रोगी को किसी भी प्रकार की दर्द दूर करने वाली एलोपैथिक दवा नहीं देनी चाहिए कारण यह कि इन दर्द निवारक दवाओं से रोगी में खून के बहने का डर बना रहता है। इस दौरान शरीर में पानी की मात्रा और रक्तचाप को नियंत्रित करना भी जरूरी होता है।
५/. 3 ग्राम अंकोल की जड़ के चूर्ण को 2 ग्राम मीठी बच या सौंठ के चूर्ण के साथ चावल के माण्ड में पकाकर सेवन करने से डेंगू के बुखार में तात्कालिक लाभ हो जाता है। यह फ्लू में भी लाभकारी है। साथ ही साथ लगभग एक ग्राम से कम मात्रा में अंकोल की जड़ की छाल को घोड़बच या सौंठ के साथ चावल के माण्ड में उबालकर रोजाना नियमित रूप से सेवन करने से डेंगू ज्वर में लाभ मिलता है। इसके पत्तों को पीसकर जरा-सा गर्म करके दर्द वाले अंग पर बाँधने से भी लाभ होता है।
६/. 5 से 10 बूँद चंदन के तेल को बताशे पर डालकर सुबह-शाम दो बार सेवन करने के बाद ऊपर से पानी पीने से बुखार कम हो जाता है।
७/. लगभग एक ग्राम से कम की मात्रा में यवाक्षार को नीम के पत्ते के रस या नीम के काढ़े के साथ सुबह-शाम लेने से पसीना वाला बुखार कम होता जाता है और साथ ही साथ शरीर का दर्द भी मिटता जाता है।
8/. कर्पूरासव की 5 से 10 बूँद, बताशे पर डालकर सुबह-शाम लेने से खून की नसें फैलती हैं, पसीना आकर बुखार, दाह (जलन) और बेचैनी कम होते जाते हैं।