Sunday, April 5, 2009

आपकी.. माँ...हमारी माँ....

माँ ....अपने आप .पूर्ण शब्द है जिसके आगे कुछ नही बचता...!सम्पूरण विशव में सबसे लोकप्रिय शब्द भी शायद यही है...!दुःख के वक्त सबके मुहँ से निकलने वाला नाम भी "माँ" ही होता है..!कहा भी गया है की...पूत कपूत हो सकता है पर माँ कभी भी कुमाता नहीं हो सकती है!सभी माँ को अपने अपने बच्चे प्रिया होते है!माँ की ममता के सामने सभी रिश्ते पीछे रह जाते है.माँ कभी भी तेरी मेरी नहीं होती है....!माँ सभी के लिए एक समान होती है...वो किसी एक की नहीं होती है...!माँ के लिए सभी पुत्र .समान होते है..!लेकिन देखिये अब इतने अच्छे रिश्ते का भी मजाक बना दिया गया है...!कुछ दिनों से श्रीमती मेनका गांधी और सुश्री मायावती इस को लेकर गुस्से में है...!मेरे को समझ में नही आता की राजनीती के मैदान में ममता को क्यूँ घसीटा गया...!मेनका जी कहती है की मायावती जी माँ का दर्द नहीं जानती...!जबकि मायावती का कहना है की वरुण को सही ...शिक्षा नही मिली...!ये सब जानते है की संतान के बिना नारी अधूरी ही रहती है....मात्र्तव के बिना ममता के भाव कैसे अनुभव हो सकते है???और कोई माता अपने बच्चे को बिगड़ना नहीं चाहती है...सभी अपने बच्चे को आगे बढ़ते देखना चाहती है...!कोई माँ कभी भी अपने बच्चों के ख़िलाफ़ नहीं होती है...!मायावती जी इस ममता को समझ सकती है लेकिन शायद इस दर्द को नहीं समझ पाएगी...!इसलिए इस बात को राजनीती से परे रखना चाहिए...!ये तो राजनीती का मामला था सो सब को पता है ..बाकि सब जानते है की..."माँ" कभी भी ,किसी की भी ...कहीं भी....ऐसी ही होती है...होनी चाहिए भी...!

4 comments:

mark rai said...

dukh ke samay me maa shabd sabse pahle aata hai ...yahi maa ki mahanta ko pradarshit kar deta hai ... mai akele delhi me hoon aapaki rachna padhkar ghar ki yaad aa gayi aur maa ki bhi yaad aa gayi ..

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत बढिया...ये मायावती जी की गलती है,कि उन्होंने एक नेत्री के ’मां’के रूप को चुनौती दी है.उससे भी बडी गलती ये की है, कि उन्होंने अपनी तुलना मदर टेरेसा से कर डाली है..

Rajesh Tanwar said...

वाह भैया आपका जूता पसंद आया

Rajesh Tanwar said...

मायावती को पहले माँ बनना पड़ेगा क्यों की माँ की पीडा एक माँ ही समज सकती है है