आज के समय में जितने टी वी .चैनल बढे है उतने ही विवाद भी !हर चैनल हर रोज ये नए शो लेकर आ रहा है जिनका मकसद हमारे मनोरंजन से ज्यादा अपनी टी आर पी को बढ़ाना होता है!हर कोई नई चीज़ पेश करने के चक्कर में हमें घनचक्कर बना रहा है जैसे की हमने अपनी फरमाइश पर इन्हे बनवाया हो..!ये बार कहते है आपकी भारी मांग पर इसे पुनः टेलीकास्ट कर रहे है जबकि हम तो इन्हे एक बार भी नहीं देखना चाहते...!एक सीरीयल आता है ...."इस जंगल से मुझे बचाओ"...भाई हमने कब कहा था की जंगल में जाओ,जो अब हम सब काम छोड़ कर आपको बचाएं...!!इसी तरह "सच का सामना"में तथाकथित सच बोलने वाले हमें बिना मतलब बच्चों के सामने शर्मिंदा कर रहे है....सच बोल कर..!अगर ये सच इतना ही बोझ बना हुआ था तो .मन्दिर...,मस्जिद या गुरूद्वारे में जाकर गलती मानो,स्वीकार करो या अपने घर वालों के सामने आँख उठा कर बात करो ...हमें नाहक ही क्यूँ परेशान करते हो ?इधर राखी सावंत अपना अलग ड्रामा चला के बैठी है.....सब को पता है ..ये शादी नहीं करेगी...पर कईयों की करवा जरूर देगी ..!कुछ लोग कहते है की आप देखते क्यूँ हो ?टी वी बंद कर दो ?अरे .भाई...पहली बात तो बच्चे रिमोट को छोड़ते नही और ..दूसरे आप इतनी इतनी बार रीपीट काहे करते हो भाई?इधर नयूज वाले सारे दिन कहते है देखिये क्या होगा राखी का?कौन बनेगा दूल्हा?एक चैनल ने तो ख़बर चला दी ...राखी के सवयम्बर .का रिजल्ट आउट!!!!!और ऊपर से .सारे दिन आते ये ........ऐड...!!!क्या करे दर्शक????मैं पूछना चाहता हूँ की इन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?ये समाज को क्या देना चाहते है...?विदेश में परिवेश अलग है ..वहां के हिट शो यहाँ भी हिट होंगे .....ये जरूरी तो नहीं?फ़िर इनकी भोंडी नक़ल करने का क्या तुक?????हमारे अपने देश में ऐसे अनेक विषय है जिन पर हजारों शो बन सकते है...फ़िर ये बेतुका प्रदर्शन क्यूँ????मुझे याद है दूरदर्शन के वो दिन ..जब एक पत्र के लिखने से कार्यकर्म बदल जाता था.....!उन दिनों आन्मे वाला सुरभि नामक सीरीयल तो लोग आज भी याद करते है .......!और एक ये सीरीयल है जिनसे हर कोई बचना चाहता है....!.केवल हल्ला करने से कोई सीरीयल हिट नहीं होता है और ना ही ये लोकप्रियता का कोई पैमाना है !आख़िर समाज के प्रति कोई जवाब देही भी होनी चाहिए?? [फोटो-गूगल से साभार]
Monday, August 3, 2009
इन सीरीयल्स से हमें बचाओ....?
आज के समय में जितने टी वी .चैनल बढे है उतने ही विवाद भी !हर चैनल हर रोज ये नए शो लेकर आ रहा है जिनका मकसद हमारे मनोरंजन से ज्यादा अपनी टी आर पी को बढ़ाना होता है!हर कोई नई चीज़ पेश करने के चक्कर में हमें घनचक्कर बना रहा है जैसे की हमने अपनी फरमाइश पर इन्हे बनवाया हो..!ये बार कहते है आपकी भारी मांग पर इसे पुनः टेलीकास्ट कर रहे है जबकि हम तो इन्हे एक बार भी नहीं देखना चाहते...!एक सीरीयल आता है ...."इस जंगल से मुझे बचाओ"...भाई हमने कब कहा था की जंगल में जाओ,जो अब हम सब काम छोड़ कर आपको बचाएं...!!इसी तरह "सच का सामना"में तथाकथित सच बोलने वाले हमें बिना मतलब बच्चों के सामने शर्मिंदा कर रहे है....सच बोल कर..!अगर ये सच इतना ही बोझ बना हुआ था तो .मन्दिर...,मस्जिद या गुरूद्वारे में जाकर गलती मानो,स्वीकार करो या अपने घर वालों के सामने आँख उठा कर बात करो ...हमें नाहक ही क्यूँ परेशान करते हो ?इधर राखी सावंत अपना अलग ड्रामा चला के बैठी है.....सब को पता है ..ये शादी नहीं करेगी...पर कईयों की करवा जरूर देगी ..!कुछ लोग कहते है की आप देखते क्यूँ हो ?टी वी बंद कर दो ?अरे .भाई...पहली बात तो बच्चे रिमोट को छोड़ते नही और ..दूसरे आप इतनी इतनी बार रीपीट काहे करते हो भाई?इधर नयूज वाले सारे दिन कहते है देखिये क्या होगा राखी का?कौन बनेगा दूल्हा?एक चैनल ने तो ख़बर चला दी ...राखी के सवयम्बर .का रिजल्ट आउट!!!!!और ऊपर से .सारे दिन आते ये ........ऐड...!!!क्या करे दर्शक????मैं पूछना चाहता हूँ की इन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?ये समाज को क्या देना चाहते है...?विदेश में परिवेश अलग है ..वहां के हिट शो यहाँ भी हिट होंगे .....ये जरूरी तो नहीं?फ़िर इनकी भोंडी नक़ल करने का क्या तुक?????हमारे अपने देश में ऐसे अनेक विषय है जिन पर हजारों शो बन सकते है...फ़िर ये बेतुका प्रदर्शन क्यूँ????मुझे याद है दूरदर्शन के वो दिन ..जब एक पत्र के लिखने से कार्यकर्म बदल जाता था.....!उन दिनों आन्मे वाला सुरभि नामक सीरीयल तो लोग आज भी याद करते है .......!और एक ये सीरीयल है जिनसे हर कोई बचना चाहता है....!.केवल हल्ला करने से कोई सीरीयल हिट नहीं होता है और ना ही ये लोकप्रियता का कोई पैमाना है !आख़िर समाज के प्रति कोई जवाब देही भी होनी चाहिए?? [फोटो-गूगल से साभार]
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10 comments:
एक ही उपाय है कि हम टीवी देखना बंद करे,
रजनीश आपकी बात से सहमत हूँ ,पर कॉमर्शियल युग में भावनाओं की भी बिक्री होती है इन सेठ लोगो के द्वारा . इन्हें पब्लिक से क्या लेना देना ! अपना पेट भरें बस इसी बात की फिकर रहती है .
रिमोट का सेल निकाल के फेंक दो
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1. चाँद, बादल और शाम
2. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
रिमोट हमारे हाथ होता है......खुद को खुद बचाना है , जो परोसा जा रहा है,उसकी trp क्यूँ बढ़ रही है,इस पर भी गौर करना होगा...
very nice blog.....
rajneesh ji , aapne bahut acchi baat kahai hai aur ye TV dekhana ab sardard bante jaa raha hai .. mujhe to doordarshan yaad aaata hai bhai...
aabhar
vijay
pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com
जब कुछ लोग तर्क देने की कोशिश करेंगे तो आप शिक्षक लोग उन्हें कुतर्क कहते देर नहीं लगाते !
वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! पर कोई उपाय भी तो नहीं टीवी तो देखना ही पड़ेगा!
जब कुछ मिलता ही नहीं तो लोग क्या करें ............. मजबूर हैं वाही देखने के लिए जो परोसा जाता है....... जानते हैं सब की गलत है पर पहल कैसे हो ...........
जी हां, यह बड़ा ही ज्चलंत सवाल है, लेकिन इसके उत्तर नहीं खोजे जा रहे। अगर टीवी चैनल वालों की मनमानी चलती रही तो पता नहीं समाज कहां जायेगा। पिछले दिनों द पब्लिक एजेंडा मैग्जीन ने इस सवाल को शिद्यत से उठाया था।
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