ये तो होना ही था!राज ठाकरे ने जो .आग लगाई थी,वो तो बढ़नी ही थी !अब मध्यप्रदेश में भी शिवराज सिंह उसी राह .पर चल पड़े है! जब राज क्षेत्रीयवाद को भुना सकते है तो फ़िर शिवराज क्यों नहीं? महाराष्ट्र में राज की पीठ थपथपाने वाली कांग्रेस यहाँ विरोध कर रही है! ये देश की राजनीती में ..एक नया तूफ़ान .है इस तरह तो सभी राज्य अपनी अपनी डफली बजाने लगेंगे,जिसका सीधा नुक्सान देश की एकता को पहुंचेगा!क्षेत्रीय वाद की ये आंधी धीरे धीरे बढती ही जायेगी...!पर नेताओं को इससे क्या...स्व हित को देश हित से बड़ा मानने वाले ये नेता कभी भी ,कुछ भी कह सकते है! अभी कुछ दिनों पहले दक्षिणी राज्यों में भी हिन्दी .के खिलाफ खूब जहर उगला गया था,वंदे मातरम पर भी विवाद चल ही रहा हैआखिर हम देश को कहाँ ले जाना चाहते है?ये नेता लोग आख़िर कब .समझेंगे ?शायद कभी नहीं.....!जब पूरे देश में लोग मिल जुल कर रहते आए है और रह रहें .है तो फ़िर ये नेता क्यों सबको लड़ाने पर तुले है ....ये अपनी समझ से बाहर है.....
6 comments:
सारे टुच्चो से भरी पडी है ये धरती, वो चाहे राज हो या फिर शिवराज , बीजेपी हो या फिर कौंग्रेस, बिहारी हो या फिर मराठी !
क्षेत्रीयवाद कब तक , यह बन्द होना चाहिये
ye neta hi hai jo sabko ladaate rahte hai,tabhi to inki rotiyan sikegi.....
bilkul sahi kaha aapne raj thaakere ki aag ke karan hi ye sab ho raha hai..ye asambaidhaanik hai..ispar kade kadam uthana chahiye...
sahi kaha rajnish ji
netagan ko desh ki unnati me nhi svayam ki unnati me ruchi he
billia ladti rehti h aur bandar roti kha jata he
राजनीती के बारे में मुझे ज़्यादा जानकारी नहीं है पर आपने जो भी लिखा है बिल्कुल सही है! सारे नेता एक जैसे होते हैं और आपस में एक दूसरे के साथ लड़ पड़ते हैं!
मेरे इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
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