Saturday, May 1, 2010

ये है हिंदी के दुश्मन.....

जयपुर में धमाका...
केरला में मानसून आया...
दसवीं में ८० फीसदी पास...
ये कुछ उदाहरण है जो मैंने पिछले दिनों कई टी वी चेनलों पर देखे...!आज बहुत से अन्य भाषी शब्दों को हिंदी में अपना लिया गया है!आज के लोग जिस हिंदी अंग्रेजी मिश्रित भाषा का उपयोग करते है,उसे हिंगलिश कहा जाता है!लेकिन ये छूट    केवल आम जन में प्रयोग के लिए है!इसे किसी भी स्तर पर मान्यता नही दी गयी है !लेकिन ऊपर दिए गए सभी शब्दों के विकल्प उपलब्ध है,फिर ऐसा क्यूँ???जैसे 'धमाका "को विस्फोट ,"केरला" को केरल ."पास "को उतीर्ण और "फीसदी" को प्रतिशत लिखने में कहाँ  परेशानी है?
                                                 इसी प्रकार हिंदी फिल्मों से आजीविका चलाने  और नाम कमाने वाले  अभिनेता आखिर हर जगह अंग्रेजी क्यूँ बोलते है? हमारे नेता जहाँ भी विदेश में जाते है वहां अंग्रेजी में ही बोलते है!मेरे कहने का मतलब ये नही है क़ि हम कलिष्ट हिंदी का प्रयोग करें पर कम से कम उपलब्ध शब्दों का तो प्रयोग कर ही सकते है!आखिर हिंदी ही है जो विविध भाषाओँ के होते हुए भी पूरे राष्ट्र को एक बनाये हुए है!जब हम एक राज्य से दुसरे राज्य में जाते है तो हिंदी ही संपर्क भाषा का काम करती है!
                                                    तो आइये हिंदी को यथोचित सम्मान देने क़ि शुरुआत करें!!!!!

12 comments:

Sachi said...

आपका पेज बहुत सुन्दर है| बहुत तरीके से सजाया गया है|

Urmi said...

आपने बहुत बढ़िया लिखा है! बिल्कुल सही कहा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!

Dev said...

बहुत दुःख होता है ....हिंदी का ये हश्र देख कर .

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

उम्दा प्रस्तुती!

Shekhar Kumawat said...

sahi he janab

Amit Sharma said...

उम्दा प्रस्तुती!

आपका पेज बहुत सुन्दर है| बहुत तरीके से सजाया गया है|

kshama said...

Shayad koyi nyungand hota jis karan log aisa karte hain..

हरकीरत ' हीर' said...

:):):)

लोकेन्द्र सिंह said...

sundar blog sundar prastuti....

hem pandey said...

आजकल तो हिन्दी के समाचार पत्र भी हिन्दी की दुर्दशा करने में लगे हैं :-

हिन्दी को बचाने के लिए हिन्दी ब्लोगर क्या करें

jogeshwar garg said...

ब्लॉग की सजावट बहुत अच्छी है. किन्तु प्रस्तुत विचार उससे भी अच्छे हैं. बधाई !

jogeshwar garg said...

भैया रजनीश जी !
मैं एक मदद चाहता हूँ. मुझे आपके ब्लॉग की सजावट बहुत अच्छी लगी. मैं एक नया ब्लॉग शुरू करना चाहता हूँ जो अपनी मायड भाषा राजस्थानी में और सिर्फ राजस्थानी के लिए होगा. वह ब्लॉग राजस्थानी भाषा की सम्पन्नता और समृद्ध साहित्यिक परम्परा को उजागर करने वाली एक सम्पूर्ण इ-पत्रिका हो तथा जिसके माध्यम से स्वाभाविक रूप से राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता के आन्दोलन को आगे बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सके.
क्या आप उस ब्लॉग की सजावट कर या करवा सकते हैं ? सजावट ऐसी हो जो उपरोक्त थीम के अनुरूप हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करने वाली हो. आपका अनुकूल उत्तर मिला तो आगे की चर्चा करूंगा अन्यथा जय रामजी की !