दंतेवाडा में शहीद जवानों का रक्त सूखा भी नही था क़ि नक्सलियों ने फिर खून बहा दिया है!चिदंबरम जी कुछ समय पहले तक बातचीत का न्योता देते घूम रहे थे ,अब अचानक धमकी देने लगे है!सरकार नक्सलियों को लेकर बहुत गंभीर है!मंत्रिमंडल क़ि आपात बैठक हो रही है...सेना अधिकारी भी राय देंगे...पर हुआ क्या?नक्सली लगातार खून बहा रहें है..!पर सरकार कोई फैसला लेने में असमर्थ है !आखिर क्यों नही कोई ठोस रणनीति बनाई जाती ?हथियार उठाने वाले कभी बातचीत नही करते!जैसे वे हथियार उठा कर सरकार को झुकाना चाहते है ,ठीक उसी तरह उन पर दवाब बना कर ही बातचीत के लिए मजबूर किया जा सकता है!
अमेरिका में ९/११ के बाद कोई हमला नही हो सका,श्रीलंका में लिट्टे का सफाया कर दिया गया!ये सब दृढ इच्छाशक्ति और मजबूत हौंसलों से ही संभव हो सका!लेकिन क्या हमारे पास है ये सब करने क़ि ताकत..तो इसका जवाब है..हाँ !विश्व की सर्वश्रेष्ट सेना हमारे पास है ,हमारे रक्षा विशेषज्ञ हर रणनीति बनाने में सक्षम है!पर अफ़सोस कोई उनकी सहायता लेने को तैयार ही नही!क्यूंकि यहाँ नक्सल भी एक उद्योग बन गया है,जिससे नेताओं के स्वार्थ या यूँ कहें क़ि हित जुड़े है!तभी तो इतने खून खराबे के बाद भी सरकार कोई कठोर कदम उठाने को राज़ी नही है! आखिर सरकार सेना की सहायता क्यूँ नही लेना चाहती?आप बातचीत भी जारी रखें..लेकिन उन्हें बातचीत के लिए मजबूर भी करें!
पाकिस्तान में हजारों ट्रेनिंग केम्प चल रहे है,अफजल गुरु को सरकारी मेहमान बना कर रखा है,लाखों बंगलादेशी अवैध रूप से देश में घुसे बैठे है.......इन समस्याओं क़ि तरह ही नक्सली समस्या को भी सदा सदा के लिए उलझा दिया जायेगा....और निर्दोषों का खून यूँ ही बहता रहेगा!लेकिन आखिर कब तक?????
7 comments:
कभी ना कभी तो सेना भेजनी ही पडेगी।
bhut bdhiya bilkul sahi likha hai apne lekin ye log kab chetenge
समस्या अगर बनावटी हो तो उसका समाधान मुश्किल होता है ,यह भी समस्या भ्रष्ट लोगों द्वारा सुरक्षा के नाम पद अड्बों के हेरा फेरी से सम्बंधित है ,लेकिन जाँच कौन करेगा, जब सरकार RTI जैसे कानून तक को भी कमजोर करने पे तुली है /
अभी मारने की ।
Spineless leadership.
अफ़सोस यह है कि देश की राजनीति में,सत्ता में और बुद्धिजीवियों के एक वर्ग विशेष में इनके हमदर्द बैठे हैं, जिन्हें इनकी हिंसा, हिंसा नहीं लगती.
अब इन्हें जड़ से उखाड़ फेकने का वक्त आगया है ....
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