पिछले कई दिनों से देख रहा हूँ...फेसबुक पर कई तरह से आपत्ति जनक सामग्री परोसी जा रही है !कहीं नेताओं को पशुओं की तरह तो कभी धार्मिक उन्माद बढ़ाने वाले चित्र दिए जा रहे है ! क्या भावना प्रकट करने का ये सही तरीका है ? क्या हमारी ज़िन्दगी में ये सब ही रह गया है ? और हमे कोई समस्या नही है ? ये नेता लोग हुए है किसी के ? आज इस पार्टी में तो कल उस पार्टी में ...क्यूँ ध्यान दे इनकी बातों पर ? और धार्मिक उन्माद फ़ैलाने से क्या होगा ?जिन माँ बापके संतान नही होती ,वे हर जगह शीश झुकाते है ...वे ये नही देखते की वो मंदिर है या मस्जिद ,या फिर गुरद्वारा ,,उन्हें सब जगह एक ही इश्वर नज़र आता है ! हम यात्रा करते समय नही पूछते की चाय वाला कौन है ? फिर हम क्यूँ इन नेताओं के कारण छोटी छोटी बातों पर उत्तेजित हो जाते है ?स्कूल में छोटे बच्चों को देखिये ..सब मिल के रहते है ...फिर बड़े होने पर क्यूँ दुश्मन बन जाते है...!कुछ लोग होते है गलत ,मगर क्या उनके लिए हम सारा सोहार्द बिगाड ले ?क्यूँ ?हम क्यों किसी भी धर्म की निंदा करें ? सब अपने अपने धर्म का पालन करे...और दूसरों को भी करने दे ....अपनी भावनाओं और ज़ज्बातो को काबू में रखे ! देश में फैली कुरीतियों पर चर्चा कीजिये ! अशिक्षा , टूटी सड़कों ,पानी की कमी ,भ्रष्टाचार ,बढती जनसँख्या और बढ़ते अपराधों पर चर्चा कीजिये...देश के विकास की बात कीजिये.....! आज व्यक्ति अन्तरिक्ष से आगे जा रहा है और हम है कि.....अभी भी इन सब में उलझे है !
कुछ समय पहले मैं एक पुस्तक पढ़ रहा था जिसमे ऐसे कितने ही उदहारण भरे पड़े है जब एक समुदाय ने दुसरे समुदाय के परिवार की जान पर खेल कर रक्षा की।..ऐसे कितने ही लोग है जो रामदेवरा [जैसलमेर] में रामदेव जी के मंदिर में हर साल जुटते है ,यहाँ किसी का कोई धर्म नही है ,सब एक ही रंग में रंगे है !मैं खुद अजमेर में दरगाह शरीफ गयाथा ,मुझे किसी ने मेरा धर्म नही पूछा .....! उन्मादी नेताओं ने कुछ रेखाएं खिंची है पर वो अक्सर टूट जाती है ,मिट जाती है।.... ....
1 comment:
फेसबुक पर अक्सर लोग मौज मस्ती ज्यादा करते हैं . इसीलिए सभी तरह की वाहियात सामग्री डाल दी जाती है . कई बार आपत्तिजनक भी .
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