--- मृत संजीवनी या अपान वायु मुद्रा ---
विधि :-- तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे की गद्दी में लगाएं (वायु मुद्रा) तथा मध्यमा और अनामिका के अग्रभाग अंगूठे के अग्रभाग से मिलाएं (अपान मुद्रा)| सबसे छोटी अंगुली सीधी रखें |
अभिप्राय :-- इस मुद्रा में दो मुद्राएं एक साथ लगाई जाती हैं – वायु मुद्रा और अपान मुद्रा | इसीलिये इसका यौगिक नाम है – अपान वायु मुद्रा | यह हृदयाघात (HEARTATTACK) में अत्यंत लाभकारी होने के कारण इसे मृतसंजीवनी मुद्रा की संज्ञा भी दी गई है | यदि अपान वायु मुद्रा ही कहें तो इस मुद्रा की विधि स्मरण करना आसान हो जाता है – वायु मुद्रा , अपान मुद्रा |
वायु मुद्रा पीड़ानाशक है – स्वाभाविक PAIN KILLER , शरीर में कहीं भी पीड़ा हो , गैस की समस्या हो , वायु मुद्रा उसे ठीक करती है | अपान मुद्रा पाचन शक्ति एवं हृदय को मजबूत करती है | ANGINA PECTORIS हृदय की पीड़ा के लिए तो यह शक्तिशाली मुद्रा है |
लाभ :-- (1) अपान वायु मुद्रा का हृदय पर विशेष प्रभाव पड़ता है | हृदयाघात (HEARTATTACK) रोकने एवं हृदयाघात हो जाने पर भी यह मुद्रा तत्काल लाभ पहुंचाती है | यह मुद्रा सोरबीटेट (SORBITATE) की गोली का कार्य करती है – दो तीन सैकेंड के भीतर ही इस मुद्रा का लाभ आरम्भ हो जाता है , रोगी को चमत्कारिक राहत मिलती है | बढ़े हुई वायु के कारण ही हृदय की रक्तवाहिनियां शुष्क होने लगती है – उनमें सिकुड़न पैदा होने लगती हैं | वायु मुद्रा से हृदय की नालिकाओं का सिकुड़न दूर होता है |
(2) हृदय शूल (ANGINA PECTORIS) दूर होता है |
(3) हृदय के सभी रोग दूर होते हैं |
(4) उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप दोनों ही ठीक होते हैं |
(5) दिल की धड़कन बढ़ जाए या धीमी हो जाए – दोनों ही स्थितियों में दिल की धड़कन सामान्य करती है |
(6) घबराहट (NERVOUSNESS) हो , स्नायु तन्त्र के सभी रोगों में लाभकारी |
(7) फेफड़ों को स्वस्थ बनाती है – अस्थमा में लाभकारी है |
(8) वातरोगों में तुरन्त लाभ – पेट की वायु , गैस , पेट दर्द गुदा रोग , एसिडिटी , गैस से हृदय की जलन सभी ठीक होते हैं |
(9) सिर दर्द , आधे सिर का दर्द (MIGRAINE) , सिर दर्द वास्तव में पेट की खराबी से ही होता है | सिर दर्द में इस मुद्रा का चमत्कारी लाभ होता है | अनिद्रा अथवा अधिक परिश्रम से होने वाले रोग भी ठीक होते हैं |
(10) घुटने के दर्द में आराम – सीढियां चढ़ने से पहले 5 से 7 मिनट अपान वायु मुद्रा लगाने से सीढियां चढ़ते हुए न सांस फूलेगा न ही घुटनों में दर्द होगा |
(11) हिचकी आनी बन्द हो जाती है | दांत दर्द में भी लाभदायक |
(12) आंखों का अकारण झपकना भी रुकता है | हमारी संस्कृति में स्त्रियों की दायीं आंख व पुरुषों की बायीं आंख का फड़कना अशुभ माना जाता है | अपानवायु मुद्रा से इसमें लाभ मिलता है |
(13) वात – पित्त – कफ तीनों दोषों को दूर करती है | रक्तसंचार प्रणाली , पाचन प्रणाली सभी को ठीक करती है |
(14) शरीर एवं मन के सभी नकारात्मक दबाव दूर करती है | इस मुद्रा के लगातार अभ्यास से सभी प्रकार के हृदय रोग दूर होते हैं परन्तु मुद्रा के साथ अपने भोजन , दिनचर्या , व्यायाम आदि पर ध्यान देना भी आवश्यक है | हृदय रोग में यह मुद्रा रामवाण है | एक प्रभावशाली इंजेक्शन से भी अधिक लाभदायक है |
विधि :-- तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे की गद्दी में लगाएं (वायु मुद्रा) तथा मध्यमा और अनामिका के अग्रभाग अंगूठे के अग्रभाग से मिलाएं (अपान मुद्रा)| सबसे छोटी अंगुली सीधी रखें |
अभिप्राय :-- इस मुद्रा में दो मुद्राएं एक साथ लगाई जाती हैं – वायु मुद्रा और अपान मुद्रा | इसीलिये इसका यौगिक नाम है – अपान वायु मुद्रा | यह हृदयाघात (HEARTATTACK) में अत्यंत लाभकारी होने के कारण इसे मृतसंजीवनी मुद्रा की संज्ञा भी दी गई है | यदि अपान वायु मुद्रा ही कहें तो इस मुद्रा की विधि स्मरण करना आसान हो जाता है – वायु मुद्रा , अपान मुद्रा |
वायु मुद्रा पीड़ानाशक है – स्वाभाविक PAIN KILLER , शरीर में कहीं भी पीड़ा हो , गैस की समस्या हो , वायु मुद्रा उसे ठीक करती है | अपान मुद्रा पाचन शक्ति एवं हृदय को मजबूत करती है | ANGINA PECTORIS हृदय की पीड़ा के लिए तो यह शक्तिशाली मुद्रा है |
लाभ :-- (1) अपान वायु मुद्रा का हृदय पर विशेष प्रभाव पड़ता है | हृदयाघात (HEARTATTACK) रोकने एवं हृदयाघात हो जाने पर भी यह मुद्रा तत्काल लाभ पहुंचाती है | यह मुद्रा सोरबीटेट (SORBITATE) की गोली का कार्य करती है – दो तीन सैकेंड के भीतर ही इस मुद्रा का लाभ आरम्भ हो जाता है , रोगी को चमत्कारिक राहत मिलती है | बढ़े हुई वायु के कारण ही हृदय की रक्तवाहिनियां शुष्क होने लगती है – उनमें सिकुड़न पैदा होने लगती हैं | वायु मुद्रा से हृदय की नालिकाओं का सिकुड़न दूर होता है |
(2) हृदय शूल (ANGINA PECTORIS) दूर होता है |
(3) हृदय के सभी रोग दूर होते हैं |
(4) उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप दोनों ही ठीक होते हैं |
(5) दिल की धड़कन बढ़ जाए या धीमी हो जाए – दोनों ही स्थितियों में दिल की धड़कन सामान्य करती है |
(6) घबराहट (NERVOUSNESS) हो , स्नायु तन्त्र के सभी रोगों में लाभकारी |
(7) फेफड़ों को स्वस्थ बनाती है – अस्थमा में लाभकारी है |
(8) वातरोगों में तुरन्त लाभ – पेट की वायु , गैस , पेट दर्द गुदा रोग , एसिडिटी , गैस से हृदय की जलन सभी ठीक होते हैं |
(9) सिर दर्द , आधे सिर का दर्द (MIGRAINE) , सिर दर्द वास्तव में पेट की खराबी से ही होता है | सिर दर्द में इस मुद्रा का चमत्कारी लाभ होता है | अनिद्रा अथवा अधिक परिश्रम से होने वाले रोग भी ठीक होते हैं |
(10) घुटने के दर्द में आराम – सीढियां चढ़ने से पहले 5 से 7 मिनट अपान वायु मुद्रा लगाने से सीढियां चढ़ते हुए न सांस फूलेगा न ही घुटनों में दर्द होगा |
(11) हिचकी आनी बन्द हो जाती है | दांत दर्द में भी लाभदायक |
(12) आंखों का अकारण झपकना भी रुकता है | हमारी संस्कृति में स्त्रियों की दायीं आंख व पुरुषों की बायीं आंख का फड़कना अशुभ माना जाता है | अपानवायु मुद्रा से इसमें लाभ मिलता है |
(13) वात – पित्त – कफ तीनों दोषों को दूर करती है | रक्तसंचार प्रणाली , पाचन प्रणाली सभी को ठीक करती है |
(14) शरीर एवं मन के सभी नकारात्मक दबाव दूर करती है | इस मुद्रा के लगातार अभ्यास से सभी प्रकार के हृदय रोग दूर होते हैं परन्तु मुद्रा के साथ अपने भोजन , दिनचर्या , व्यायाम आदि पर ध्यान देना भी आवश्यक है | हृदय रोग में यह मुद्रा रामवाण है | एक प्रभावशाली इंजेक्शन से भी अधिक लाभदायक है |
सावधानी :-- * इस मुद्रा को दिन में दो बार 15 – 15 मिनट तक ही लगाएं |
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