Saturday, March 7, 2009

उसने मुझे जीना सिखाया.....

देश के करोड़ों नौजवानों की तरह जब मैं भी रोजगार के लिए संघर्ष कर रहा था..!एक प्राइवेट स्कूल में पढाते पढाते जब मैं कोल्हू के बैल की तरह थक चुका था..और जिंदगी से हार चुका था ..तभी मेरी जिंदगी में एक बच्चा आया जिसने मेरी विचारधारा ही बदल दी!अब वही जीवन मुझे .अच्छा लगने...लगा था..जिससे कभी मैं तंग हो गया था...!हाँ...वह था एक बालक....'पारस'....!सातवीं में पढने वाले बच्चे .ने...मुझे इस तरह से प्रोत्साहित किया की..मैं उन अँधेरी गलियों से निकल कर एकदम से उजाले में आ गया..!जहाँ मेरे सामने बहुत से रास्ते खुल गए थे...!उसने मुझे वो अपनापन दिया.जिसके लिए सब तरसते है..और करोड़ों रुपये .खर्च...करके भी जो .खुशी...खरीदी ना जा सके..वो खुशी मुझे उस बच्चे ने अनायास ही दे .दी..जिससे .मैं फ़िर से एक्साम देने लगा और आज सरकारी सेवा में कार्यरत हूँ....!जब एक आदमी पूरी तरह से टूट जाता है तो उसे जरुरत होती है...नैतिक समर्थन की और मैं आज ये सोच कर हैरान हूँ की उसने .ये कर के दिखाया...!उसने मेरे .वय्कितव....को एक नई दिशा दी...!तभी मैंने जाना की किस प्रकार से एक बच्चा भी हमारा जीवन बदल सकता है...!मैं आज भी .अहसानमंद हूँ....

4 comments:

Shikha Deepak said...

कभी कभी जीवन में कुछ पल, कुछ व्यक्ति या कुछ घटनाएं साधारण हो कर भी हम पर गहरा असर छोड़ जाती हैं और हमारे जीवन की दिशा ही बदल देती हैं।

बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण said...

जो शिक्षक अपने छात्र से सीखने को तैयार हो, उसे महान ही कहा जाएगा, विशेषकर भारतीय संदर्भ में।

आप ब्लोग अच्छा लगा, बस फोंट थोड़ा छोटा होने के कारण और झुके हुए होने के कारण पढ़ने में थोड़ी दिक्कत हुई। क्यों न फोंट को सीधा किया जाए, और दो-एक पोइंट बड़ा किया जाए?

और हां, शीर्षक भी हिंदी में ही रखें।

RAJNISH PARIHAR said...

धन्यवाद ..आपके सुझावों के अनुसार परिवर्तन कर दिये है.....सहयोग बनाए रखियेगा...

mark rai said...

rajnish jee ... aapaki yah soch mujhe kaaphi prabhaawit kiya hai .....shayad us dour se gujar raha hoon.... jisaka aap pahale samana kar chuke hai lekin mai bhi optimist hoon. ek darwaaja band ho gaya to kya hua dusara darwaja khulega....