जी हाँ ,आज पर्यावरण दिवस है...!हमेशा की तरह ही बड़ी बड़ी बातें,भाषण और ढकोसले होंगे !और लो .हो गया..अपना दायित्व पूरा....!लेकिन यदि हम थोड़ा सा भी .संजीदा हो तो बहुत कुछ कर सकते है...!हमें अपने जीवन में छोटी छोटी बातों का ध्यान .रखना है..जैसे की एक पेड़ कम से कम जरुर लगाना है !अब ये बहाना की जगह नहीं है,छोड़ना होगा!अपनी पृथ्वी बहुत बड़ी है..आप कहीं पर भी ये शुभ कार्य कर सकते है...!इसके साथ ही जो पेड़ पहले से ही लगे हुए है उनकी रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है..!आज शहर कंक्रीट के जंगल बन गए है,लेकिन फ़िर भी यहाँ कुछ पार्क आदि अभी बचे है,जिन्हें हम सहेज सकते है..!इसके अलावा खुले स्थानों पर गन्दगी फैलाना,कचरा डालना और जलाना,प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग करना..,भूमिगत जल को गन्दा करना आदि अनेक ऐसे कार्य है जिन पर हम स्वत रोक लगा सकते है!लेकिन हम .ऐसा ना करके सरकार के कदम का इंतजार करते है...!आज हम ये छोटे किंतु महत्त्व पूरण कदम उठा कर पर्यावरण सरंक्षण में अपना .अमूल्य योगदान दे .सकते...है...
Friday, June 5, 2009
पर्यावरण और हमारा दायित्व....
जी हाँ ,आज पर्यावरण दिवस है...!हमेशा की तरह ही बड़ी बड़ी बातें,भाषण और ढकोसले होंगे !और लो .हो गया..अपना दायित्व पूरा....!लेकिन यदि हम थोड़ा सा भी .संजीदा हो तो बहुत कुछ कर सकते है...!हमें अपने जीवन में छोटी छोटी बातों का ध्यान .रखना है..जैसे की एक पेड़ कम से कम जरुर लगाना है !अब ये बहाना की जगह नहीं है,छोड़ना होगा!अपनी पृथ्वी बहुत बड़ी है..आप कहीं पर भी ये शुभ कार्य कर सकते है...!इसके साथ ही जो पेड़ पहले से ही लगे हुए है उनकी रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है..!आज शहर कंक्रीट के जंगल बन गए है,लेकिन फ़िर भी यहाँ कुछ पार्क आदि अभी बचे है,जिन्हें हम सहेज सकते है..!इसके अलावा खुले स्थानों पर गन्दगी फैलाना,कचरा डालना और जलाना,प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग करना..,भूमिगत जल को गन्दा करना आदि अनेक ऐसे कार्य है जिन पर हम स्वत रोक लगा सकते है!लेकिन हम .ऐसा ना करके सरकार के कदम का इंतजार करते है...!आज हम ये छोटे किंतु महत्त्व पूरण कदम उठा कर पर्यावरण सरंक्षण में अपना .अमूल्य योगदान दे .सकते...है...
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16 comments:
Every one take serious step about enverionment.
जन्मदिन आदि पर यदि पौधे भेंट में दिए जाने लगें, और उन्हें सही जगह रोपा जाए, तो काफी हरियाली हमारे शहरों में आ सकती है।
पर्यावरण दिवस पर मेरे इन लेखों को भी अवश्य देखें -
कुदरतनामा
बाल जयहिंदी
अब इस क्षेत्र में सतत गंभीर रहने की
जरुरत है . बढ़िया सचित पोस्ट. बधाई.
दिनों की बस यही महत्ता रह गई है,बड़ी बातें,बड़े-बड़े दिखावे,वादे,बस .....
kaphi achchha post likha hai aapne...ab hame chet jana chaahiye...pani sar se upar ja raha hai...
bahut badiya prerk lekh hai pata nahin aadmi kab hosh me aayega aabhar
आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है।
आप की स्टाइल अन्य सबसे थोड़ा हट के है...
आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी.
बधाई स्वीकारें।
आप मेरे ब्लॉग पर आए और एक उत्साहवर्द्धक कमेन्ट दिया, शुक्रिया.
आप के अमूल्य सुझावों और टिप्पणियों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...
Link : www.meripatrika.co.cc
…Ravi Srivastava
वाह! रजनीशजी, इतना प्यारा ब्लॉग आपका! मज़ा आ गया. अब तो रोज विजिट होगी इस ब्लॉग पर. घणा-घणा रंग आपनै. म्हारी अरज- मायड़ भाषा राजस्थानी सारु भी काम करो. आपां राजस्थानी जे आपणी मायड़ री कदर नीं करस्यां तो कुण करसी?
सत्यनारायण सोनी, प्राध्यापक-हिंदी, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, परलीका(हनुमानगढ़) 335504
कानाबाती-09602412124
आज सबको ये संकल्प लेने की जरूरत है........तभी कुछ सुदार हो सकता है
पर्यारण दिवस हो या कुछ और...इन्हें कागजों में मनाने की परम्परा सी हो गयी है ..
din aaya aur chalaa gaya...abhi aapke blog par ye lekh padhke dhyaan aaya ki parvaaran diwas tha...par ek general awareness chahiye.aise din usme kuchh yogdaan zaroor kar sakte hai....lekin badhti jansankhyaa ke saath kuch samjhaute ab anivaary ban chuk ehai
बहुत छोटी-छोटी मगर महत्त्वपूर्ण बातें बतायी आपने.....आपकी बातें सुनकर मुझे अपने बारहवीं के एक गुरूजी की याद आ गयी....उनका कहना था कि कोई ज़रूरी नहीं कि हम कोई बड़ा काम ही करें, अगर हम छोटे-छोटे कामों को भी पूरी लगन एवं ईमानदारी से करें, तो बहुत बड़ी बात है.....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
mere cartoon par apne mahtwpoorn vichar bhejene ke liye BAHUT-BAHUT DHANYAWAD..........
बहुत बहुत शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए! मेरे दूसरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने और आपके पोस्ट के दौरान पता चला पर्यावरण दिवस के बारे में!
पर्यारण दिवस को आपने बखूबी मनाया ....!!
रजनीश जी,
बहुत बढ़िया लेख....
समकालीन ग़ज़ल पत्रिका का प्रकाशन हो गया है...आप के सुझावों की बहुत आवश्यकता है।स्तम्भ कैसे हैं ?जरूर बतायें....
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