
पिछले काफ़ी समय से महाराष्ट्र एक राज्य नहीं बल्कि राष्ट्र की भांति .व्यहवार कर रहा है .इसे जानबूझ कर बढ़ावा भी दिया जा रहा है.अब ये मात्र एक भाषा का मामला नहीं है.महाराष्ट्र के कुछ नेता अनर्गल प्रलाप करते है तो बाकी सारे उनका आँख मींच कर समर्थन करते है.अब ये अनायास नहीं बल्कि सोच समझ कर किया जा रहा है.देखिये पहले उन्होंने हिन्दी पर हमला बोला,अब अपने राज्य के लिए क्षेत्रीय आधार पर नौकरियों में .आरक्षण मांग रहे है...गैर मराठियों पर गाहे बगाहे हमला बोल देना उनकी आदत बन चुकी है.इन सब से सपष्ट है कि अब उन्हें एक राष्ट्र कि भांति दिखना पसंद आने लगा है.पहले बाल ठाकरे और अब राज ठाकरे से लेकर मुख्यमंत्री तक को एक राष्ट्राधयक्ष की तरह प्रदर्शित करना बहाने लगा है,तभी तो इनके तेवर हमेशा चढ़े ही रहते है.लेकिन महाराष्ट्र से चली ये आग यदि पूरे देश में फ़ैल गई तो क्या होगा?आज़ादी से पहले जिस तरह देश अलग अलग टुकड़ों में बंटा था ,ठीक वैसी ही .परिस्थितियां फ़िर से पैदा की जा रही है.और इन सब के लिए जिम्मेवार हमारे नेता अपनी राजनीती चमकाने में लगे है.पहले राज ठाकरे को उकसाने वाली कांग्रेस अब ख़ुद उसकी भाषा बोलने लगी है...अपनी खोई साख बनने के चक्कर में बाल ठाकरे फ़िर से ज़हर उगल रहे है ,और बाकि तमाम लोग आँखें मींचे चुपचाप ये पाप होते देख .रहे है...ना जाने इस देश का क्या होने वाला है???