Wednesday, November 11, 2009

हिन्दी है हम.......


अब इस गाने को गुनगुनाने पर भी "मनसे" को आपत्ति हो सकती है !क्योंकि इससे पहले हम मराठी,पंजाबी ,राजस्थानी या कुछ और है !देश को एक सूत्र में पिरोनी वाली हिन्दी आज अपने हाल पर आंसू बहा रही है!हर देश की .एक ..भाषा होती है जिस पर पूरे देश को गर्व होता है क्योंकि यही हमारी पहचान भी होती है !परन्तु हमारे देश में देखिये किस तरह से हिन्दी का अपमान किया जा रहा है...!हिन्दी फिल्मों से पहचान बनाने वाले कलाकार भी किस बेशर्मी से अंग्रेजी में साक्षात्कार देते है!क्यों?किसलिए?जो लोग आपकी फिल्में देखते है वे हिन्दी जानते समझते है ,फ़िर दूसरी भाषाक्यों?यही हाल नेताओं और खिलाड़ियों का भी है!ये अंग्रेजी बोल कर ही खुश होते है!आजकल सभी सरकारी कार्यालयों और बैंक आदि में हिन्दी में काम करने का लिखा होता है,लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है?दरअसल हिन्दी का अपमान हम स्वंय ही कर रहे है !

जब दूसरे देशों के .नेता भारत आते है तो .वे अपनी भाषा में ही बोलते है,और एक हमारे नेता है जो अपने देश में भी हिन्दी बोलने से हिचकिचाते है!आख़िर क्यों??यहाँ तक की स्कूली बच्चे भी इस नियम का बखूबी पालन करते दीखते है!और करे भी क्यूँ ना ,जब उनके सब बड़े ऐसा ही कर रहे है!बाज़ारों में सभी साइन बोर्ड अंग्रेजी में मुंह चिढाते दीखते है !आजकल .हिन्दी में अन्य भाषाओँ के बहुत से शब्दों को अपना लिया गया है ...फ़िर बोलने में कठिनाई क्यों?हम जब एक जगह से दूसरी जगह जाते है तो हिन्दी ही हमें आपस में जोड़ती है !ऐसी जगह जहाँ बहुत से प्रदेशों के लोग हो ,वहां हिन्दी ही उन्हें आपस में घुलने मिलने में मदद करती है!.फ़िर हिन्दी से ऐसा बर्ताव क्यों?और इस बार तो विधान सभा में ही हिन्दी का अपमान बहुत ही इज्ज़त से कर दिया गया!लेकिन सब खामोश है क्यों?क्यों नही दोषियों पर .राष्ट्र भाषा के अपमान का मामला चलाया गया?इस तरह तो देश एक दिन पुनः छोटे छोटे टुकडों में बंट जाएगा !इस देश को एक रखने के लिए हमें हिन्दी को .समुचित सम्मान देना ही होगा,जिसकी वो हक़दार है !हिन्दी को .इन राजनेताओं की राजनीती बनने से .रोकना होगा!हिन्दी जन जन की भाषा है और हमेशा रहेगी..!हमें इसका अपमान नहीं बल्कि सम्मान करना होगा!ये हमारी मजबूरी नहीं बल्कि नैतिकता है.....!जय हिन्दी!!!!जय .हिन्दुस्तान!!!!

9 comments:

mark rai said...

हिन्दी जन जन की भाषा है और हमेशा रहेगी..
haan sir ye jan jan ki bhaasha bani rahegi ....

रश्मि प्रभा... said...

हिन्दी.....सबकी जुबान का अमृत है,सरल, व्यापक, ........जय हिंद

Creative Manch said...

जय हिन्दी !!!
जय हिन्दुस्तान !!!




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क्रियेटिव मंच

अर्कजेश Arkjesh said...

सही है । हिन्‍दी को घटिया राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है ।

AJEET SINGH said...

हिंदी के साथ शुरू से ही दोयम दर्जे का व्यहवार होता आया है ,जिसके लिए जिम्मेवार हमारे नेता है....जो इसे आज तक उचित सम्मान नहीं दिला पाए..

Urmi said...

बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है और हम सबको हिन्दी भाषा पर गर्व है! राजनीती में हिन्दी जैसे इतने सुंदर भाषा का दुरुपयोग किया जा रहा है जिसे देखकर बहुत दर्द होता है!

jayanti srivastava said...

हमारे देश में क्या हो रहा है ? हमारे देश के नेता ऐसा क्यों कर रहे है जिस से हमारा देश जिस अखंडता और एकता के लिए जाना जाता है वो ख़त्म होता जा रहा है

gazalkbahane said...

इसका छोटा सा कदम हम उठाएं तो शुरूआत हो
जितने क्रिकेटर अंग्रेजी में बोलते हैं टी.वी पर उन्हे चिठी पोस्ट कार्ड लिखे मेल करें कि अगर हिन्दी मे साक्षातकार न दोगे तो तुम्हे देखना बन्द कर देंगे यानि क्रिकेट देखना बन्द कर देंगे इससे उन्के पेट पर लात लगेगी इसी तरह जो सिनेमा नायक-नायिका या चरित्र अभिनेता ऐसा कर रहा हो उसको भी चिट्ठियों की बाढ़ से आपल्ल्वित करें -खुद ब खुद रास्ते पर आजाएंगे कमाई कोई छोड़ता नहीं यह सीधे से उनकी दुखता रग पकड़ने का काम है ।एक बार अभिनेता और क्रिकेटर रास्ते पर आगये ,हिन्दी बोलने लग गये तो नेता खुद रास्ते पर आजाएंगे।शायद आपको याद हो देवगौड़ा ने प्रधान मन्त्री बनते ही हिन्दी सीखनी आरम्भ कर दी थी।सोनिया गांधी ने हिन्दी सीखी।और ये प्रशासनिक अधिकारी दक्षिण के हो या बंगाल उड़ीसा के दिल्ली पोस्टिंग चाहते हैं सत्ता के करीब रहने के लिये और इसलिये हिन्दी सीखते हैं।

Neeraj Singh said...

हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है और इसका सम्मान होना ही चाहिए. मैं तो हिंदी में ब्लॉग लिख रहा हूँ, ये मेरी तरफ से एक छोटा सा प्रयास है, हिंदी को बढ़ावा देने का.