रुतबा इतना बड़ा कि हर कोई हैरान हो जाये ....और काम ऐसे कि शर्म भी.शर्मिंदा हो जाए। जी हाँ यही परिचय है इन साहब का। एक छोटी सी बच्ची जो इनकी बेटी कि उम्र की होगी,से छेड़छाड़ का आरोप है इन पर । उन्नीस साल से केस चल रहा था ,लड़की ने शर्मिंदा होकर आत्महत्या कर ली,घर वाले डर कर भूमिगत हो गए,सहेली ने केस लड़ा......और सजा मिली केवल ६ महीने की। ये है कहानी हमारी कानून व्यवस्था की। अगर आरोपी हरयाणा का पूर्व डी जी पी राठौर हो तो यही होगा। हाँ अगर आरोपी हम जैसा कोई आम इंसान होता तो आज भी जेल में सड रहा होता। यही है हमारा कानून,जिसे ये रसूख वाले अपने मन मुताखिब ढंग से .चलाते है और फिर मामूली सजा पाकर बच निकलते है।
इस मामले में सबसे शर्मनाक पल वो था जब ६ महीने की सजा सुन कर राठौर साहब हँसते हुए बाहर निकले। ये हमारी न्यायिक व्यवस्था पर एक व्यंगात्मक चोट थी,जिसे हर एक देशवासी ने महसूस किया। आखिर सबको समान न्याय का सपना कब और कैसे पूरा होगा?आज रुचिका हमारे बीच में नहीं है लेकिन उसकी आत्मा ये सब देख कर जरूर रो रही होगी..और कोस रही होगी हमारी व्यवस्था को..
12 comments:
Sharmnaak.
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अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?
कभी कभी निराशा सी होने लगती है.
दुखद एवं अफसोसजनक!!
बहुत अफ़्सोस जनक और दुखद है.
रामराम.
शर्मनाक ......!!
इस मामले में राठौर से भी बड़े दोषी वे नेता है जो हमेशा उसे बचाते रहे....वरना वो कभी का जेल में होता..
सजा कम ही सही पर शुरूआत तो हुई। एक बार पर कतरने की प्रक्रिया शुरू हो गई तो और भी कई आएंगे लपेटे में।
वैसे उस बच्ची तो अब तक पूरा न्याय तो नहीं मिला, लेकिन नहीं से बेहतर कुछ है। अगर परिवार जंग जारी रखेगा तो और भी सजा दिलवा पाएगा। बाकी अपना सिस्टम है, इसकी रफ्तार कम है सो है...
kya kare inhe dekh to hame sharm aane lagti hai....
kya kare inhe dekh to hame sharm aane lagti hai....
ye daur hee kuch aisa hai saheb, ab dekhiye na 86 ke N D ko... chulu bhar pani bhee bahut hai inke liye fir bhee ...
शुक्रिया कमेन्ट के लिए और धन्यवाद शुभकामनाओं के लिए
aajkal t.v. newspaper inhi khabron se bhare rahete hain jo behad nindaniya hain ,ruchika ki friend zarur hausala afzai ke qabil hai,
KAASH NAYE SAAL MEIN AISE DUKHAD HADSAT NA HON.
अफसोसजनक
गणतंत्र-दिवस की मंगलमय शुभकामना...
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