Saturday, September 11, 2010

नशे के जाल में गुम युवा वर्ग....


भारतीय समाज हमेशा से ही पूरे विश्व के लिए एक आदर्श और कौतुहल रहा है !सयुइंक्त परिवार में रहने वाले बच्चे बहुत  ही संस्कारशील होते है !इसी करण हमारे युवा काफी समय तक कुरीतियों से दूर रहे और अपने आप को नशे से बचाए रखा....परन्तु अब ऐसा नही रहा!सयुंक्त परिवार टूटने लगे है..बच्चे पढने और करियर बनाने बड़े शहरों में जाने लगे है !इन महानगरों में वे अपना सामजस्य नही बना सके,यहाँ की व्यस्त जीवन शैली ने उन्हें तोड़ के रख दिया!
ऐसे में वे विभिन्न प्रकार के नशों के जाल में उलझ कर रह गए !अनुभव की कमी और पहले के कड़े अनुशासन  में रहे ये युवा अब अचानक आज़ाद हो गए!शहर की एकल जीवन शैली ने भी इन्हें बढ़ावा दिया जिसके चलते ये नशे की गिरफ्त में फंसते चले गए !अपने व्यस्त कार्यालय समय के बाद वे नशे को ही आराम समझने लगे !आज का युवा परम्परागत नशे नही करता...क्यूंकि शराब बीयर आदि की महक इनकी पोल खोल देती है,इसलिए इन्होने नए नशे तलाश लिए जो आसानी से उपलब्ध है और जिनके सेवन का किसी को पता भी नही चलता....जैसे-आयोडेक्स ,विक्स वेपोरब,व्हाइटनर,दीवारों के पेंट और कफ सिरप! ये नशे हर जगह और कम कीमत में मिल जाते है !इसके बाद नंबर आता है दावा की दुकानों पर मिलने वाली विभिन्न टेबलेट्स जो कई नामों से बेचीं जाती है !ये गोलियां बिना डाक्टर की पर्ची के सब जगह मिल जाती है !केमिस्ट भी कभी तनाव दूर करने तो कभी एकाग्रता बढ़ने के नाम पर इन्हें बेचते है !मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढाई करने वाले अधिकांश बच्चे इन्हें इस्तेमाल करते है !
                                                                                   इन छोटे मोटे नशों को करते करते ये नशे की उस अंधी दुनिया में पहुँच जाते है जहाँ से वापिस आना नामुमकिन है !शहर वसे दूर फार्म हॉउस में होने वाली रेव और कोकटेल पार्टियाँ इनकी मनपसंद जगह बन जाती है !शौक शौक में शुरू हुआ ये खेल अब इनकी आदत बन जाता है !नशे का बढ़ता प्रभाव आखिर एक दिन जान लेकर छोड़ता है !
इन सब से बचने का एकमात्र रास्ता है बच्चों को शुरू से ही नशे के दुष्प्रभाव बताये जाएँ ,टी वी पर नशे से सम्बंधित दृश्य और विज्ञापन प्रतिबंधित किये जाएँ !लगभग सभी शराब कम्पनियां  सोडे के नाम पर शराब बेचती है !स्कूलों और कालेज में नशों की जानकारी के बारे में शिक्षा दी जाए तथा जरूरत पड़ने पर नशा मुक्ति केंद्र की भी व्यवस्था हो.......वरना युवाओं को नशे से बचाना मुश्किल हो जायेगा.....!

17 comments:

JanMit said...

बढ़िया जानकारी दी आपने.....
आभार !
एवं
1 हरितालिका तीज ,
2.नवाखाई .........
3.इदुल फितर......
4 गणेश चतुर्थी एवं ..
5.आपके जन्मदिन ......
इन सभी पावनपर्वो की ....
आपको ढेर सारी बधाई .......
एवं शुभकामनाए ...........

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत गंभीर बात रजनीश जी। नशे के कारण युवा पीढी बरबाद हो रही है। जिससे देश को नुकसान हो रहा है। अल्पायु में ही जवानी को घुन खा रहा है।
जब मैं स्कूल में पढता था तो मेरा एक दोस्त नींद की गोलियाँ खाता था। एक दिन में 40 गोलियाँ चबा जाता था। एक वर्ष में ही उसकी मृत्यु हो गयी।

बड़े अफ़सोस की बात है कि सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।

दी्वारों पर किए जाने वाले पेन्ट से नशा मैने आपसे ही सुना है पहली बार।

रायपुर स्टेशन पर मैंने 10 साल के बच्चों को बोनफ़िक्स सुंघते तो देखा है। जि्से वे चाट भी लेते हैं और दिन भर नशे में रहते है।

बड़ा दु्ख होता है-यह सब सुन-देख कर
एक जागरुकता लाने वाली पोस्ट के लिए आपका कोटिश आभार

गणेश चतुर्थी और ईद की शुभकामनाएं।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

जरुरी महत्वपूर्ण बाते बतायी आपने... युवाओं को समय रहते समझना होगा.

~~

रजनीश जी
आप को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और त्योहारों की शुभकामनाएं !!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बेहतरीन लेखन के लिए बधाई और शुभकामनाएं

संडे का फ़ंडा-गोल गोल अंडा

ब्लॉग4वार्ता पर पधारें-स्वागत है।

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi saargarbhit baaten kahte ho

Akshitaa (Pakhi) said...

नशा तो ख़राब चीज है...अच्छी बात बताई आपने.
_____________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है...

Urmi said...

बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई! कोई भी नशा हो आखिर वो खतरनाक साबित होता है और सेहत के लिए हानिकारक!

दीपक 'मशाल' said...

आज आपका ब्लॉग चर्चा मंच की शोभा बढ़ा रहा है.. आप भी देखना चाहेंगे ना? आइये यहाँ- http://charchamanch.blogspot.com/2010/09/blog-post_6216.html

ओशो रजनीश said...

बहुत ही बढ़िया लेख .... युवा देश का भविष्य है .....

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सारगर्भित पोस्ट है..... इस देश के भविष्य की यह दिशा होगी तो देश की दशा क्या होगी ?

Udan Tashtari said...

विचारणीय..युवा वर्ग में बढ़ते इस प्रचलन पर लगाम लगनी ही चाहिये और यह सिर्फ समझ देकर ही किया जा सकता है,

कडुवासच said...

... saarthak post ... nashe ke kaaran yuvaa apanee dishaa bhool rahe hain, behad dukhad sthiti ho gai hai !!!

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

नमस्कार,
जन्मदिन की शुभकामनायें हम तक प्रेम, स्नेह में लिपट पर पहुँचीं.
मित्रों की शुभकामनायें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देतीं हैं.
आभार

मैं बोलूंगी खुलकर said...

सच कहा रजनीश जी ये जीवन है और जीवन में समाज का बहुत महत्व होता है . समाज मतलब परिवार और परिवार के सदस्य. इन्ही सदस्यों को संजोकर रखने से एक स्वच्छ समाज की खूबसूरत माला की रचना हो सकती है.

Satish Saxena said...

कुछ अलग हट के लगा यह ब्लाग और लेख भी लगता है समाज को काफी कुछ देने का जज्बा है आपमें ! मेरी हार्दिक शुभकामनायें !

SATYA said...

अच्छी बात बताई आपने


यहाँ भी पधारें:-
ईदगाह कहानी समीक्षा

संजय भास्‍कर said...

र महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई