जरा इन बातों पर गौर फरमाएं....
बिग्ग बॉस के शो में अश्लीलता का तड़का......राखी सावंत के शो में लात घूंसे चले....राखी सावंत के नामर्द कहने पर एक ने आत्महत्या की..!
जी हाँ ये तो कुछ उदाहरण मात्र है ..जो इन दिनों टी वी पर देखने को मिल रहे है !इनके अलावा भी किसी ना किसी बहाने अश्लीलता परोसी जा रही है !टी वी का सीधा दखल हमारे घर में है,फिर भी ना जाने क्यूँ किसी को भी कोई शिकायत नहीं है !किसी फिल्म के मामूली से सीन पर भड़क उठने वाले संगठन भी खामोश है ....क्यूँ ??अभी एक सियाल में तो प्रतियोगी के प्रेमी अथवा प्रेमिका को कैमरे पर रंगे हाथों पकड़ने का ड्रामा हो रहा था !सभी न्यूज चैनल गोवा में धोनी और उनकी पत्नी के अन्तरंग दृश्य बड़ी शान से दिखा रहे थे..क्यूँ ?जवाब साफ़ है ...टी आर पी तेरे लिए....!मुझे सबसे ज्यादा आश्चर्य इस बात का है कि ये सब क्या सरकार को दिखाई नही देता ?क्या टी वी के लिए कोई सेंसर बोर्ड नही है ?आखिर कब तक ये भौंडा प्रदर्शन जारी रहेगा और क्यों ?
टी वी पर दिखये जा रहे विज्ञापनों कि तो और भी बुरी स्थिति है ,किसी प्रकार कि कोई रोक टोक इन पर नही है !आज बच्चे टी वी पर क्या देख रहे है और क्या सीख रहे है ,ये सोचने कि फुर्सत किसी को नही है !क्या हम पानी सर पर से गुजरने का इंतजार कर रहे है ?इस टी आर पी कि लड़ाई में हम अपने संस्कार,संस्कृति और भावनाओं से खिलवाड़ होते कब तक देखते रहेंगे....
9 comments:
@ इस टी आर पी कि लड़ाई में हम अपने संस्कार,संस्कृति और भावनाओं से खिलवाड़ होते कब तक देखते रहेंगे....
जब तक सब मटियामेट न हो जाए!
आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ..... ना जाने कब तक यह चलता रहेगा
सिवा फूहड़ता के कुछ और नहीं परोस रहे यह टीवी चैनल्स.... अफ़सोस
मेरे ब्लॉग पर
इन्साफ से मौत....
इससे भी बुरा दौर आवेगा
जब टी.आर.पी. के चक्कर में खुद ही इंसान अपना लेवल कम कर रहा है तो दूसरे क्या सोचें ? यहीं ब्लॉग जगत में लोग टी.आर.पी. पाने के लिए लोग कुछ भी परोस देते हैं....
बिलकुल सही बात कही है ...बाजारवाद है सब ..
टी आर पी बढ़ाने के चक्कर में संस्कार संस्कृति से ये खिलवाड़ कर रहे है !
मेरे ब्लॉग में.................. उफ़ ये रियेलिटी शो
सार्थक चिंतन है ।
शायद अब भी वक्त है कि इस दिशा में हम कोई ठोस कदम उठायें । नित्य यह टी. वी. हमारी संस्कृति पर प्रहार कर रहा है और हम परोक्ष रूप से इसमें सहयोग ही कर रहे हैं
aise show band hone chahiye....ye aslilta ke saath saath logo ko depress bhi karte hai...
चैनलों को आत्म-नियंत्रण के मौक़े एक सीमा से ज़्यादा दिए जा चुके हैं। अब समय सख़्ती का है।
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