Tuesday, March 22, 2011

अनिवार्य शिक्षा अधिकार या शिक्षा का बंटाधार....


अनिवार्य शिक्षा अधिनियम एक अप्रैल से पूरे देश में  लागू हो रहा है !इसके अंतर्गत ६ से १४ वर्ष के प्रत्येक बच्चे को अनिवार्य रूप से प्राथमिक शिक्षा देने की व्यवस्था की गयी है !मोटे तौर पर देखें तो ये अधिनियम बहुत ही महत्वपूरण और क्रन्तिकारी प्रतीत होता है ..लगता है जैसे शिक्षा जगत में इससे आमूल परिवर्तन आ जायेगा ,पर दुर्भाग्यवश ऐसा नही है !
क्या है खामियां .....
आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी हम अभी तक शिक्षा का आधारभूत ढांचा विकसित नही कर पाए है ...जैसे क़ि आवयशक शाला भवन ,प्रशिक्षित अध्यापक , स्थानीय भाषा में प्राथमिक शिक्षा और सबसे जरूरी शिक्षा का स्तर..! शिक्षा के अधिकार को लागू करने से पहले हमे ये देखना होगा क़ि क्या हम इसके लिए तैयार है ?इसमें निजी विद्यालयों में २५ % स्थान गरीब तबके के बच्चों हेतु आरक्षित है !पर क्या वास्तव में ऐसा हो पायेगा? इसके अनुसार कक्षा आठ तक किसी  बच्चे को फेल नही करना है [इसके लिए आठवी बोर्ड को भी भंग कर दिया गया है ] बच्चों को पीटना नही है ,फेल नही करना है तो फिर उनका मूल्याङ्कन कैसे होगा ?भय बिना प्रीत न होए....इसके साथ ही बच्चे को उसकी उम्र के आधार पर कक्षा दी जाएगी अर्थात  बच्चा १० साल का है तो उसे सीधा कक्षा ४ में प्रवेश दिया जा सकेगा !ये कैसी प्रणाली है ?इससे शिक्षा में कैसा सुधार आएगा ?गाँवों में मुफ्त पोषाहार देकर भी सरकार सभी बच्चों को शाला से नही जोड़ पाई तो अब वे कैसे जुड़ पाएंगे....?कितना अच्छा होता यदि पहले इसके लिए उचित वातावरण बनाया जाता !निजी विद्यालयों पर अभी सरकार का कोई नियंतरण नही है ,ऐसे में वहां इसे कैसे लागू किया जायेगा ? 
 ६ से १४ वर्ष तक के हजारों बच्चे आज भी विभिन्न व्यवसायों में कार्यरत है ,जबकि ये अधिनियम इसकी इज़ाज़त नही देता !ऐसे में इन बच्चों को शिक्षा से कसे जोड़ा जायेगा ?
जरूरी है संशोधन ....
इस अधिनियम को लागू करने से पहले सभी वर्गों से सुझाव लिए जाने चाहिए थे !हालाँकि राज्य अभी भी इस पर वादविवाद कर रहे है ,पर फिर भी इस पर व्यापक बहस की जरूरत है ....ताकि इसे उचित संशोधन के साथ लागू किया जा सके ...
इस अधिकार के बारे में विस्तार से जानने हेतु यहाँ क्लिक करें !

4 comments:

डॉ टी एस दराल said...

बेशक परेशानियाँ तो आएंगी । यहाँ शिक्षा प्रदान करना इतना आसान नहीं है ।
लेकिन एक शुरुआत तो है । संशोधन के लिए भी तैयार रहना चाहिए ।

Unknown said...

pahle sudhaar ki jrurat hai....

Patali-The-Village said...

पहले सुधर की जरुरत है| धन्यवाद|

कुमार राधारमण said...

व्यवसायों में लगे बच्चों के लिए ब्रिज स्कूलिंग की एक व्यवस्था श्रम और रोज़गार मंत्रालय द्वारा देश भर में चलाई जा रही है।
साक्षरता अथवा शिक्षा एक अनिवार्यता है। इसकी सफलता के लिए नागरिक व्यक्तिगत स्तर पर भी सक्रिय हों,तो एक बड़ी क्रांति आ सकती है।