Friday, April 17, 2009
प्रतिभा पलायन क्यों....?
पुराने जमाने में भारत को सोने की चिडिया कहते थे..ये हम सब जानते है...!अंग्रेज भी जानते थे ...पुर्तगाली भी जानते थे तभी वे इतनी दूर तक आ गए...!आज के .वर्तमान...भारत को पूरा विशव ज्ञान की चिडिया के रूप में जानने लगा है!समस्त विशव में भारतीयों ने अपने ज्ञान का डंका बजाया है तभी तो हर जगह भारतीय लोग छा..गए है...!अमेरिका में तो राष्ट्रपति ओबामा का आधा स्टाफ ही भारतीय है..!अपने ज्ञान के दम पर भारतीय लोगों ने पूरे संसार में अपनी एक अलग पहचान बनाई है...!लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है...!भारत ने इसकी कीमत भी चुकाई है....प्रतिभा पलायन के रूप में...!आज देश की प्रतिभा देश में नहीं बल्कि विदेश में अपना भविष्य देखती है..!देश अपने संसाधन लगा कर एक प्रतिभा को तैयार करता है और वो अपना ज्ञान देती है विदेशों को...!उसके ज्ञान और अनुभव से देश वंचित हो जाता.. है...!आखिर क्यूँ होता है..ऐसे...?जवाब ज्यादा जटिल नहीं है...इसका कारण है ..हमारी व्यवस्था....,लाल फीताशाही..और काम ना करने की आज़ादी..!यहाँ से अच्छा माहोल और पैसा उन्हें विदेशों में आकर्षित करता है....!अब देखिये ना हमारी सरकार गांधी जी की कुछ वस्तुओं ,कोहिनूर हीरे और कुछ अन्य अनुपयोगी वस्तुओं के लिए तो मगजमारी करती है जबकि प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए कोई पहल नहीं करती..!अगर ये प्रतिभाएं देश को अपना ज्ञान देती तो आज हम हर मामले में विकासशील देशों से आगे खड़े होते !जहां हर राष्ट्र अपनी भाषा,संस्कृति और शिक्षा का संरक्षण करता है वहीँ हम.. इनका त्याग कर रहे है..ऐसे में देश का क्या होगा...! हमारे यहाँ योग्यता से ज्यादा महत्व व्यक्ति को दिया जाता है जो गलत है..!...आज .विदेश में रखे काले धन पर तप सब की नज़र है...पर विदेशों में बसे प्रतिभाशाली लोगों का क्या????क्या उन्हें कोई .पॅकेज देकर वापस नहीं लाया जा सकता...?क्यूँ सभी पार्टियाँ खामोश है?क्या देश का उन पर अब कोई हक नहीं रहा या आज उनकी यहाँ कोई जरुरत नहीं है?सच तो ये है की सब वापस आना चाहते है लेकिन कोई शुरुआत करें तो सही...!एक अच्छी और दिल से की गई शुरुआत देश का भविष्य बदल सकती है....
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7 comments:
ek achchha lekh ...badhayi
सही कहा ... एक अच्छी शुरूआत हो जाए तो फिर धीरे ध्ीारे सब ठीक हो जाता है।
ham to semar sebne ke varshon se aadi hain. kuch din pahle train me ek baadhpidit bridh mile the, kah rahe the, " sabse chu... wah jo beta ko padhaye, main paanee me mar raha hun aur beta america me mauj kar raha hai..." to maine man hee man socha, pratibha palayan ab parivar palayan bhee ho chuka hai
Ranjit
Mera kahna yahi hai..ki jo log gaye ..gaye..
magar jo ab bhi bharat mein hain ..pratibhashali bhartiy..unhen rok kar hi dikhayen to bhi bahut badi baat hogi.unki pratibha ko pahchane sahi avsar aur post de kar unki pratibha ka sahi istmaal karen..phir kaun bahar aana chahega??
apni bhuumi se duur kaun rahna chahta hai..
magar aisa hona mushkil hai..Sab se badi badha hai reservation policy---college ho ya naukari har jagah reservations ke karan--ek common general class ke student ya candidate ke liye koi rasta nahin bachta..ki wah apni pahchaan pane ke liye palayan kar jaye..
America/gulf/UK sab jagah Talent ko prathmikta hai.Gulf jaise islamic country mein bhi mere hindu hone se sarkari naukari milne mein koi badha nahin aati.
yahan koi reservation naam ki cheez hi nahin hai..haan emiratis ke liey ab kuchh sectors mein hai lekin wah bhi bahut kam..wah unka right bhi hai.
Bharat mein jab tak SC/St castes/religion ki ladaayee hoti rahegi ,talent ki poochh kabhi nahin hogi.
मुझे बहुत ख़ुशी हुई की आप सब मेरी राय से सहमत है...!धन्यवाद!यही ठीक रहेगा की इस पलायन को अब किसी भी तरीके से रोका जाए.....!और कुछ अच्छे..संकेत जरूर देखने को मिलेंगे....ऐसी आशा है...
प्रतिभाओं को रोकने के लिए हमे नए अवसरों के साथ ही नए कदम भी उठाने होंगे...
बहुत सही बात है..
किन्तु दो बातों से मैं सहमत नहीं हूँ.
१) गांधी जी की चीजों के लिए सरकार ने कुछ किया ही नहीं...
जबकि करना चाहिए था.. आखिर राष्ट्र-पिता
की बात है.
२) कोहिनूर हीरा, भारत से लूट कर ले जाया गया था.
इसलिए भारतीय सम्पदा है..
उसके लिए भी कुछ करना चाहिए..
बाकी एकदम सत्य है..
~जयंत
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