Saturday, April 25, 2009
दो बच्चों की मौत से कुछ सीखें हम....
शहरों में जो बड़े बड़े नामी स्कूल है,जिनका शिक्षा में बड़ा नाम है....आज दो घटनाओं से उनकी असलियत सामने आ गई...!पहली घटना में तो एक मासूम बच्ची समय पर इलाज़ ना मिलने से मारी गई जबकि दूसरी घटना में एक बच्ची बस दुर्घटना में मारी गई!बहुत अफ़सोस हुआ इन मामलो में स्कूल प्रबंधकों का रअविया देख कर ..!माँ बाप घर से बच्चों को स्कूल संचालकों के भरोसे भेजते है लेकिन उन्होंने क्या किया?जब बच्चे की तबियत खराब हुई तो तत्परता दिखाने .की जगह स्कूल वालों ने ढिलाई बरती जिसके कारण एक बच्चे की जान चली गई!दूसरी और बस दुर्घटना का .कारण था..ड्राईवर की जगह ..खलासी का बस चलाना...!ऊपर से ये कहना की बच्चों की जिम्मेदारी माँ बाप की होती है?फ़िर आप इतनी फीस काहे की लेते हो भाई....?क्या आपकी कुछ जिम्मेवारी नहीं?जब कोई बच्चा मेरिट .में आता है तो येही स्कूल वाले पूरे पेज का ऐड देते है क्यूँ?और विपदा की हालत में आप बच्चे को फर्स्ट ऐड तक नहीं दे सकते?.क्या ये दोहरा मापदंड नहीं है?और भी बहुत सी बातें है जिन पर ये खरे नहीं उतरते....लेकिन क्या करें ..बच्चों को पढाना भी तो है...!इन स्कूलों में ज्यादा फीस,पीने का पानी न होना, कबाडा बसें आदि कई अन्य रोग भी है जिन पर अब ध्यान देना जरूरी हो गया है....
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3 comments:
स्कूल में बच्चों की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होती है और वे इससे भाग नहीं सकते है . अगर ऐसा करते है तो उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए .
स्कूलों की हालत तो आजकल बदहाल ही होती जा रही है..लेकिन कोई सुनवाई नहीं...
सच है...
यह दोहरी मानसिकता और मापदंड का उदाहरण है...
कुछ हद तक हम भी जिम्मेदार हैं..
क्यों नहीं कुछ करते हैं हम?
आन्दोलन?
कोर्ट केस?
पर शायद ही कुछ हो??
कुछ नहीं तो कोशिश तो करो??
~जयंत
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