Saturday, August 22, 2009

चिंतन से पहले चिंता में ....बी जे पी...


जी हाँ ,आख़िर बी जे पी में वह तूफ़ान आ ही गया जो लोकसभा चुनावों .में हार के बाद आना था!लेकिन उस समय पार्टी सदमे में थी सो सभी नेता अपना अपना चेहरा छुपाने में जुट गए!किसी ने हार के कारणों पर मनन या चिंतन करना उचित नहीं समझा!सब एक दूसरे पर दोषारोपण में व्यस्त हो गए!और देखिये एक बड़ी राष्ट्रीय ..पार्टी की क्या हालत हो गई!लेकिन बड़े नेताओं ने फ़िर भी कोई सबक नहीं लिया!सबसे पहले तो आडवानी जी जिन्हें पूरी तरह से नकार दिया गया,इस्तीफा देते!फ़िर नई टीम बने जाती जो युवा हो ,उर्जावान हो और सबसे बड़ी बात जिन पर जनता भरोसा कर सके!क्योंकि पुराने नेता तो अपना भरोसा खो ही चुकें है!जनता ने पार्टी को नहीं इसके आपस में लड़ते नेताओं को नकारा है,जो देश को ..स्थिर सरकार का विशवास नहीं दिला पाए...!ये नेताओं की असफलता थी,नेताओं की नहीं...!लेकिन देखिये हुआ क्या.......!जिन्ना मुद्दे पर .आडवानी जी इस्तीफा नहीं देते,लेकिन जसवंत सिंह से इस्तीफा माँगा जाता है..!हार पर आडवानी जी इस्तीफा नहीं देते ,लेकिन वसुंधरा से इस्तीफा माँगा जाता है..!कांग्रेस पर आरोप लगाने वाली पार्टी ख़ुद इतनी कमजोर हो गई की क्या कहें..!देश को कुशल .सरकार देने का .वादा करने वाली पार्टी ख़ुद कुशल सेनापति नहीं दे पाई...!सारे के सारे नेता जनता के प्रति अपने कर्तव्य को भूल आपस में लड़ते रहे!और अब जब चिंतन का समय आया तो चिंता में डूब गए....!जिन लोगों ने बी जे पी को वोट दिया वो उससे क्या अपेक्षा करे?हार जीत चलती रहती है लेकिन पार्टी ख़तम होने के कगार पर पहुँच जाए,ये चिंतनीय बात है!क्या बी जे पी का अंत निकट है ?क्या पार्टी आपसी कलह से उबार पायेगी?क्या पार्टी पुराने समय को फ़िर दोहरा पाएगी?इन्ही सवालों के जवाब में ही पार्टी का भविष्य टिका है....

2 comments:

AJEET SINGH said...

बी जे पी आज एक डूबता हुआ जहाज़ है,जिसमे से हर कोई कूदना चाहता है....

Rajesh Tanwar said...

ye to hona hi tha kbhi na kbhi...