थरूर साहब ने सही फरमाया....इकोनोमी क्लास तो सही में केटल क्लास ही है !जब हवाई यात्रा करने ही लग गए तो इकोनोमी क्लास क्यूँ?इससे क्या फर्क पड़ जाएगा?क्योंकि देश की अधिकांश जनता ने तो हवाई .ज़हाज़ को हवा में उड़ते ही देखा है,बैठे तो कभी है नहीं!उनके लिए तो हवाई यात्रा ही एक सपना है!उन्होंने तो ट्रेन में ही सफर किया है जो केटल क्लास से भी बदतर ही होगा!सवाल ये है कि बिजनेस क्लास या केटल क्लास से जनता का कौनसा भला होने वाला है !वो तो हवाई ज़हाज़ में ही नहीं चढ़ती!प्रधान मंत्री जी को चाहए कि वो नेताओं को ट्रेन में सफर कराये ताकि उन्हें पता चले कि केटल क्लास क्या होती है?.एस टी कि बसों और ट्रेन में सफर करके ही केटल क्लास को समझा जा सकता है!अब थरूर साहब काम का बौझ बता रहे है ,तो फ़िर ट्विटर के लिए टाइम कसे मिल रहा है?शायद उन्होंने ऑफिस में घिसते और पिसते बाबुओं को नहीं देखा,वरना ये शिकायत नहीं करते?जब नेता बन ही गए हो तो पहले देश को जानों.....!इतना दुखी होने से अच्छा है कि नेतागिरी ही छोड़ दे..वरना जनता है ना ये सब जानती है.....
7 comments:
भाई आज पता चला है कि पूरे विश्व मे एकानॉमी क्लास को केतल क्लास ही कहते है जैसे कभी हमारे देश मे थर्ड क्लास के रेल के दब्बे को गान्धी क्लास कहा जाता था ?
अरे भाई बख्श भी दो मंत्री जो को
public sab janti hai
Angrezee me kahawat hai na," penny wise, pound foolish!"
Yehee hota hai...aur masoom logon ke jaan pe ban aa saktee hai..khaaskar trains me..
परिहार जी आप ने संवेदना जताई इसका धन्यवाद और आभार. मझे ये लिखने के लिए इस समाज की संवेदनहीनता ने प्रेरित किया. मैं नहीं चाहता की इस संवेदन हीन समाज का मैं हिस्सा बनू
थरूर ने जो टिप्पणी की है वो उस मानसिकता को दर्शाता है जिसके गुलाम थोड़े से पैसे वाले हो जाते हैं...ये नेताजी की अपनी सोच है..अगर जनता को उनकी टिप्पणी बुरी लगती है तो... ?
आपने सही कहा है पर हम क्या कर सकते हैं! बस देखने के अलावा और कुछ भी नहीं किया जा सकता! जनता इस बात से वाकिफ़ है पर कोई कदम आगे नहीं बढ़ाना चाहता!
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