उसे भी लौट आना चाहिए था … ज़रूर लौट आना चाहिए था … लेकिन इंतज़ार का भी अपना आनन्द है :)
रजनीश भाई बधाई इस बात के लिए कि आपने चाहे चार पंक्तियां ही लिखीं … लेकिन पूरी तरह लय में , मुकम्मल बह्र में है । मेरे शहर के किसी रचनाकार को छंद में ढंग का लिखते देख कर मुझे बहुत ख़ुशी होती है । आपके लिए मंगलकामनाएं हैं !
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाओं सहित -राजेन्द्र स्वर्णकार
4 comments:
किस परिपेक्ष में लिखा है , यह तो समझ नहीं आ रहा । लेकिन सुन्दर पंक्तियाँ हैं ।
सुंदर...
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आप चलेंगे इस महाकुंभ में...?
...खींच लो जुबान उसकी।
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उसे भी लौट आना चाहिए था …
ज़रूर लौट आना चाहिए था …
लेकिन इंतज़ार का भी अपना आनन्द है :)
रजनीश भाई
बधाई इस बात के लिए कि आपने चाहे चार पंक्तियां ही लिखीं … लेकिन पूरी तरह लय में , मुकम्मल बह्र में है ।
मेरे शहर के किसी रचनाकार को छंद में ढंग का लिखते देख कर मुझे बहुत ख़ुशी होती है ।
आपके लिए मंगलकामनाएं हैं !
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार
धन्यवाद दराल जी ,राजेंद्र जी और जाकिर जी......
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