कैसी हो हमारी शिक्षा प्रणाली ??
किसी भी बच्चे के जीवन का महत्व पूर्ण अंग है -शिक्षा ! शिक्षा ही उसके भवि जीवन का आधार होती है ,शिक्षा से ही वो आगे बहुत कुछ ज्ञान अर्जित करता है !बच्चे कि पहली शिक्षक होती है उसकी "माँ " !वही उसको सबसे पहला ज्ञान देती है ,कैसे खाना है,कैसे पीना है आदि और बहुत से संस्कार माँ ही बच्चे को देती है !अपने बच्चे को अपने कलेजे से लगा कर रखने वाली माँ फिर उसे एक दिन स्कूल छोड़ने जाती है !स्कूल में अपरिचित शिक्षक के पास अपने लाल को छोड़ते समय जो पीड़ा होती है,उसे एक माँ या फिर वो शिक्षक ही समझ सकता है !अपने बच्चे के भविष्य निर्माण के लिए माँ ये सब भी करती है !
अब बच्चा एक बिलकुल नए और अपरिचित परिवेश में अकेला होता है,लेकिन धीरे धीरे वो सबसे घुल मिल जाता है और फिर खुशी खुशी शिक्षा ग्रहण करने लगता है !विद्यालय उसका दूसरा घर और शिक्षक उसके अभिभावक बन जाते है !लेकिन क्या कहे आज की शिक्षण प्रणाली को जिसने इन विद्या मंदिरों को पैसा कमाने का एक साधन भर बना दिया है ,जहाँ सब कुछ पैसे के बदले मिलता है !भारी भरकम फीस देने के बाद स्कूल से ही पुस्तकें और कॉपी ,डायरी,स्कूल ड्रेस और ना जाने क्या क्या खरीदते रहो बस !
फिर अगले दिन भारी बस्ता और पानी कि बोतल उठाएँ बच्चा स्कूल टाइम से एक दो घंटे पहले घर से रवाना होता है और थका हारा छुट्टी के दो घंटे बाद घर पहुँचता है और खाना खाकर सो जाता है ,शाम को उठ कर होम वर्क करते करते उसे रात हो जाती है !
इतनी मेहनत के बाद भी वो सीखता क्या है ....सी फॉर केमल जबकि ऊँट को वो जानता है !इसी तरह से काउ,डॉगी,गॉट,लायन आदि पढ़ते हुए वो अपने मूल परिवेश से दूर् होता जाता है ! क्या यही है हमारी शिक्षण प्रणाली ? क्या ये सही है ? क्या हम कभी इसकी समीक्षा नही करेंगे ? क्या हमारे बच्चे इसी प्रकार कोल्हू के बैल कि तरह घूमते रहेंगे ? आज जरूरत है एक ऐसी शिक्षण प्रणाली कि जो बालक बालिकाओं को उनकी अपनी भाषा में उनके परिवेश अनुसार शिक्षा प्रदान करे !बच्चों के स्कूल बैग का बोझ कम करें और उसे तनाव मुक्त शिक्षा दे !
1 comment:
बेशक विद्या मंदिर अब बिजनेस सेंटर्स बन गए हैं ! वहां ना सिर्फ बच्चों का शोषण होता है , बल्कि शिक्षकों का भी ! कुछ ही स्कूल ऐसे है जहां संस्कार भी सिखाये जाते हैं !
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