Sunday, February 15, 2009

प्रतिभा किसी की बपौती नहीं.....

यह ख़बर उन सब लोगों के लिए है जो शहर के सबसे मंहगे स्कूल में अपने ओं को पढाना चाहते है.केवल मंहगे स्कूल में भेजने से कुछ नहीं होता.बचों में पढ़ाई की लगन पैदा करना जरूरी है.हमारे यहाँ .गाँव में एक .बच्चा....है...राधाकिशन..जिसकी पढ़ाई की लगन काबिले तारीफ़ है.घर में इतनी गरीबी की पूछो मत,कोई भी पढ़ा लिखा नहीं फ़िर भी उसका जज्बा देख कर हैरानी होती है.कक्षा में प्रथम आना तो कोई बड़ी बात नहीं लेकिन स्कूल की सभी गतिविधियों में उसका भाग लेना और प्रथम आना मुझे हैरान करता है.जबकि शहरी बचों को मिलने वाली कोई सुविधा उसके नसीब में नहीं है.इस पर भी उसे कोई शिकायत नहीं है..बस वो अपना काम बखूबी करता जा रहा है...किसी भी चीज़ की कमी उसे नहीं खलती....इसी से पता चलता है की प्रतिभा का फूल तो कहीं भी ख्गिल सकता है बशर्ते उसे उचित तापमान मिल जाए। जे हो...

1 comment:

Sanjeev Mishra said...

Dear Rajnish ji,
Thanks for reading the poem on 'Bhadas' and whatever u r writing here , i do agree with u.
this partial behaviour with the female child is no more tolerable.We should realize the fact that "yatra naarystu poojyante,ramante tatra devinah".In our culture a lady is known as "aadya shakti" , then why after knowing this we r so partial.keep trying to awaken this society by ur writings. best wishes.