घर भर को जन्नत बनाती है बेटियाँ॥! अपनी तब्बुसम से इसे सजाती है बेटियाँ॥ ! पिघलती है अश्क बनके ,माँ के दर्द से॥! रोते हुए भी बाबुल को हंसाती है बेटियाँ॥! सुबह की अजान सी प्यारी लगे॥, मन्दिर के दिए की बाती है बेटियाँ॥! सहती है दुनिया के सारे ग़म, फ़िर भी सभी रिश्ते .निभाती है बेटियाँ...! बेटे देते है माँ बाप को .आंसू, उन आंसुओं को सह्जेती है .बेटियाँ...! फूल सी बिखेरती है चारों और खुशबू, फ़िर .भी न जाने क्यूँ जलाई जाती है बेटियाँ...
14 comments:
nice post.....this is devoted to daughters....
jaane kyun !
really u pick a very nice topic, u write on this topic very deeply and it must that v all think about that.....or photo "Very Nice".... :)
सच में बेटियाँ ही घर संवारती है..पर इस समाज का क्या करें....
बहुत खूब ..बहुत सुन्दर !!
jaane kyun !
" dil bhr aaya..."
regards
मेरे भी मन के भावों को,
कुरेदा इसने जाने क्यूँ..
बहुत सच लिखा है इसमे,
सब समझते नहीं जाने क्यूँ?
~Jayant
achcha likha aapne dil ko choo gayi aapki panktiyan
बहुत अच्छी बेटियाँ हैं!
अतुल जी,
थोड़ा सही से लिखकर पढ़वाएँ!
प्रतीक्षा रहेगी!
sahee me in betiyon se hi duniyaa khubsoorat bani huee hai .........ye betiyan hi ek ghar ko ghar banaa deti hai
betiya ki baat hi aur hai kuch apni ma jasi lagti hain
anmol dharohar hot ha betiya, aaso bahati ha phir kuch nahi kahti hai betiya, kabhi baehan to kabhi maa kabhi premika to kabhi jeewan saathi ban kar saara dard leti hai betiya, aapke aaso nikle to sabse pahle pochathi hai hai betiya...sach me hamara gaurav hai betiya...
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