Tuesday, April 28, 2009

खुशबू बिखेरती..बेटियां..


घर भर को जन्नत बनाती है बेटियाँ॥! अपनी तब्बुसम से इसे सजाती है बेटियाँ॥ ! पिघलती है अश्क बनके ,माँ के दर्द से॥! रोते हुए भी बाबुल को हंसाती है बेटियाँ॥! सुबह की अजान सी प्यारी लगे॥, मन्दिर के दिए की बाती है बेटियाँ॥! सहती है दुनिया के सारे ग़म, फ़िर भी सभी रिश्ते .निभाती है बेटियाँ...! बेटे देते है माँ बाप को .आंसू, उन आंसुओं को सह्जेती है .बेटियाँ...! फूल सी बिखेरती है चारों और खुशबू, फ़िर .भी न जाने क्यूँ जलाई जाती है बेटियाँ...

14 comments:

mark rai said...

nice post.....this is devoted to daughters....

रश्मि प्रभा... said...

jaane kyun !

R@HuL ShEoRaN said...

really u pick a very nice topic, u write on this topic very deeply and it must that v all think about that.....or photo "Very Nice".... :)

AJEET SINGH said...

सच में बेटियाँ ही घर संवारती है..पर इस समाज का क्या करें....

L.Goswami said...

बहुत खूब ..बहुत सुन्दर !!

seema gupta said...

jaane kyun !

" dil bhr aaya..."

regards

जयंत - समर शेष said...

मेरे भी मन के भावों को,
कुरेदा इसने जाने क्यूँ..
बहुत सच लिखा है इसमे,
सब समझते नहीं जाने क्यूँ?

~Jayant

Manish Kumar said...

achcha likha aapne dil ko choo gayi aapki panktiyan

रावेंद्रकुमार रवि said...

बहुत अच्छी बेटियाँ हैं!

Atul said...
This comment has been removed by a blog administrator.
रावेंद्रकुमार रवि said...

अतुल जी,
थोड़ा सही से लिखकर पढ़वाएँ!
प्रतीक्षा रहेगी!

ओम आर्य said...

sahee me in betiyon se hi duniyaa khubsoorat bani huee hai .........ye betiyan hi ek ghar ko ghar banaa deti hai

भंगार said...

betiya ki baat hi aur hai kuch apni ma jasi lagti hain

आशीष तिवारी said...

anmol dharohar hot ha betiya, aaso bahati ha phir kuch nahi kahti hai betiya, kabhi baehan to kabhi maa kabhi premika to kabhi jeewan saathi ban kar saara dard leti hai betiya, aapke aaso nikle to sabse pahle pochathi hai hai betiya...sach me hamara gaurav hai betiya...