

बम विस्फोटों के बाद एक बार फ़िर जयपुर दहशत में है!इस बार भी जयपुर को सुरक्षा में खामी की कीमत चुकानी पड़ी है!यदि सुरक्षा पर थोडी सी भी सावधानी रखी जाती तो शायद ये हादसा नहीं होता!शाम साधे चार बजे पहली बार लीकेज का पता चला था ..लेकिन सात बजे तक कुछ ठोस कार्यवाही नहीं की गई ,जिसके चलते पूरे शहर की बन आई!सबसे बड़ी दुखदायी बात ये है की डिपो प्रबंधन को उस वक्त ड्यूटी दे रहे कर्मचारियों के बारे में भी पुख्ता जानकारी नहीं है!...और हमारा आपदा प्रबंधन देखिये..हादसा होते ही सब कुछ अस्त वयस्त हो गया..किसी के पास भी इस .स्थिति से निपटने की कोई योजना नहीं थी!क्या करें ,कसे करें?में ही वक्त बीतता गया और मुसीबत गहराती गई..!आपदा प्रबंधन प्रणाली पूरी तरह से .फ्लॉप हो गई!डिपो की आत्म रक्षा प्रणाली भी बंद थी ,जो की हादसे के समय स्वत ही शुरू होनी चाहिए!आग से लड़ने के लिए किसी के पास भी ना संसाधन थे और ना ही कोई .रण नीति ......!इन्ही सब के कारण एक मामूली चिंगारी ने देश के सबसे बड़े अग्निकांड को जन्म दे दिया..!यदि समय रहते आग को आगे बढ़ने से .रोक दिया जाता तो आज जयपुर को ये दंश ना झेलना पड़ता! डिपो के बड़े अधिकारी भी नहीं जानते .थे कि ऐसी स्थिति में क्या किया जाए?इसी से सपष्ट है कि हमारी आपदा प्रबंधन प्रणाली कितनी कारगर है???