Thursday, December 31, 2009
नव वर्ष का स्वागत करें.........
- सिख नानकशाही कैलंडर के अनुसार 14 मार्च होला मोहल्ला नया साल होता है।
- पंजाबी नया साल बैसाखी 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
- तेलगु नया साल मार्च-अप्रैल के बीच आता है। आंध्रप्रदेश में इसे उगाड़ी के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। - तमिल नया साल विशु 13 या 14 अप्रैल को तमिलनाडू और केरल में मनाया जाता है। तमिलनाडू में पोंगल 15 जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर भी मनाया जाता है।
- कश्मीरी कैलेंडर नवरेह 19 मार्च को होता है।
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मार्च- अप्रैल के महीने में मनाया जाता है।
- कन्नड नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं।
- सिंधी उत्सव चेटी चंड उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है।
- मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरूविजा नए साल के रूप में मनाया जाता है।
- मारवाड़ी नया साल दिपावली के दिन होता है।
- गुजराती नया साल दिपावली के दिन होता है दो अक्टूबर या नवंबर में आती है।
- इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है। जॉर्जियन कैलेंडर से 11 दिन पहले इस्लामिक कैलेंडर का नया साल आता है।
- बंगाली नया साल पोहेला बैसाखी 14 या 15 अप्रैल को आता है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसी दिन नया साल होता है।
- पारसी नववर्ष नवरोज होता है यह बसंत की शुरूआत में मनाया जाता है। 2008 में यह 29 मार्च को था।
- बहाई कैलेंडर के अनुसार 21 मार्च नवरोज या नया वर्ष होता है।
- नेपाली नया साल बसंत के पहले दिन मनाया जाता है।
- श्रीलंका के सिंहली अप्रैल में न्यू ईयर मनाते हैं। आओ मिलकर हम सभी नव वर्ष का स्वागत करें.........
Thursday, December 24, 2009
शर्म मगर इन्हें आती नहीं....


Sunday, December 13, 2009
पानी रे पानी....

Tuesday, December 1, 2009
शिक्षा को रोज़गार से जोड़ना होगा...
Monday, November 23, 2009
महाराष्ट्र को एक राष्ट्र बनने से रोकें......

Wednesday, November 11, 2009
हिन्दी है हम.......

Saturday, November 7, 2009
राज के बाद अब शिवराज...

Saturday, October 31, 2009
सुरक्षा में चूक भारी पड़ी जयपुर को.....


Saturday, October 24, 2009
साहसिक पर्वतारोही का सहयोग करें ...

Wednesday, October 21, 2009
'नई दुनिया' में हमारी मिठाइयां.....
दिवाली के शुभ अवसर पर पाबला जी ने संदेश दिया कि"नई दुनिया" के १७ अक्तूबर के अंक में 'ये दुनिया है' को स्थान मिला है!अब उनकी नज़र हमारी मिठाइयों पर लिखी गई पोस्ट को प्रिंट मिडिया में जगह मिली है!ये मेरे साथ साथ पूरे ब्लॉग परिवार के लिए हर्ष की बात है !दिवाली का इससे अच्छा तोहफा और क्या होगा!हमारे विचारों को सराहा गया ,ये एक अच्छी ख़बर है.....
Thursday, October 15, 2009
Friday, October 9, 2009
अब हमारी मिठाइयां है निशाने पर.....


Monday, October 5, 2009
ये है हमारी नागरिक सुविधाएँ....




Friday, October 2, 2009
शास्त्री जी हम शर्मिंदा है...?

Sunday, September 27, 2009
इकोनोमी क्लास का ढोंग क्यूँ?
Thursday, September 24, 2009
थरूर का गरूर....
Thursday, September 10, 2009
ताज़ा ब्लॉग पोस्ट की जानकारी कैसे मिले..?
Friday, September 4, 2009
ब्लोगिंग..को युवाओं से जोड़ना जरूरी.....

Sunday, August 30, 2009
क्या देश में कोई समस्या नहीं...?
Tuesday, August 25, 2009
म्हारो हेलो सुनो रामा पीर...

Saturday, August 22, 2009
चिंतन से पहले चिंता में ....बी जे पी...

Thursday, August 20, 2009
बिटिया रानी...
Wednesday, August 12, 2009
भारत और इंडिया में बंटता देश.....

पिछले कुछ वर्षों में इस विभाजन को सपष्ट देखा जा सकता है!हमारा देश बहुत तेजी से बदल रहा है...लेकिन इसके दोनों चेहरे बहुत साफ़ साफ़ देखे जा सकते है!.पहला तो वह आधुनिक इंडिया है..जिसमे आसमान छूती इमारते है,साफ़ सड़कें और बिजली से जगमगाते शहर है..!सड़क पर दौड़ती महँगी गाडियाँ विदेश का सा भ्रम पैदा करती है!यहाँ लोग सूट बूट पहने शिक्षित है जो आम बोलचाल में भी अंग्रेज़ी बोलते है...!बड़े बड़े होटल ,माल और .मल्टी प्लेक्स किसी सपने जैसे लगते है..!यहाँ के लोग इंडियन कहलवाना पसंद करते है...!ये हमारे देश का आधुनिक रूप है जो एक सीमित क्षेत्र में दिखाई .देता है...!और इस चका चौंध से दूर कहीं एक भारत बसा है जो अभी भी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है..!यहाँ अभी सड़कें,होटल मॉल नहीं है..बिजली भी कभी कभार आती है...!यहाँ के लोग सीधे सादे है जो बहुत ज्यादा शिक्षित नहीं है,इसलिए इन्हे अपने अधिकारों के लिए अक्सर लड़ना पड़ता है..!इस भारत और इंडिया को देख कर भी अनदेखा करने वाले नेता है जो हमेशा अपना हित साधते रहते है !लेकिन अफ़सोस इस बात का है की हमारी ७० %आबादी गाँवों में रहती है लेकिन इन भारत वासियों के लिए न फिल्में बनती है ना .कार्यक्रम ...!सभी लोग बाकि ३०% आबादी को खुश करने में लगे है....!तभी तो देखिये वर्षा न होने पर जहाँ लोग रो रहे है,सूखे खेतों को देख कर किसान तड़प उठते है...दाने दाने को मोहताज़ हो जाते है ..!वहीं ये इंडियन रैन डांस करने जाते है ..इनके लिए .कृतिम बरसात भी हो जाती है...!क्या कभी पिज्जा खाने वाले लोग उन भारतवासियों के बारे में सोचेंगे जो एक समय आज भी भूखे सोते है????क्या कभी हमारे नेता इन ऊंची इमारतों .के पीछे अंधेरे में सिसकती उन झोपड़ पट्टियों को देख पाएंगे जो इंडिया पर एक पाबन्द की भांति है....!इन में रहने वालों और गाँवों में रहने वालों में कोई अन्तर नहीं है.....!यहाँ बसने वाला ही सही भारत है जिसे कोई इंडियन देखना पसंद नहीं करता,लेकिन जब ये सुखी होंगे तभी इंडियन सुखी रह पंगे..पाएंगे...इस इंडिया और भारत की दूरी को पाटना बहुत जरूरी है....!ये दोनों मिल कर ही देश को विकसित बना सकते है....!
Monday, August 3, 2009
इन सीरीयल्स से हमें बचाओ....?

आज के समय में जितने टी वी .चैनल बढे है उतने ही विवाद भी !हर चैनल हर रोज ये नए शो लेकर आ रहा है जिनका मकसद हमारे मनोरंजन से ज्यादा अपनी टी आर पी को बढ़ाना होता है!हर कोई नई चीज़ पेश करने के चक्कर में हमें घनचक्कर बना रहा है जैसे की हमने अपनी फरमाइश पर इन्हे बनवाया हो..!ये बार कहते है आपकी भारी मांग पर इसे पुनः टेलीकास्ट कर रहे है जबकि हम तो इन्हे एक बार भी नहीं देखना चाहते...!एक सीरीयल आता है ...."इस जंगल से मुझे बचाओ"...भाई हमने कब कहा था की जंगल में जाओ,जो अब हम सब काम छोड़ कर आपको बचाएं...!!इसी तरह "सच का सामना"में तथाकथित सच बोलने वाले हमें बिना मतलब बच्चों के सामने शर्मिंदा कर रहे है....सच बोल कर..!अगर ये सच इतना ही बोझ बना हुआ था तो .मन्दिर...,मस्जिद या गुरूद्वारे में जाकर गलती मानो,स्वीकार करो या अपने घर वालों के सामने आँख उठा कर बात करो ...हमें नाहक ही क्यूँ परेशान करते हो ?इधर राखी सावंत अपना अलग ड्रामा चला के बैठी है.....सब को पता है ..ये शादी नहीं करेगी...पर कईयों की करवा जरूर देगी ..!कुछ लोग कहते है की आप देखते क्यूँ हो ?टी वी बंद कर दो ?अरे .भाई...पहली बात तो बच्चे रिमोट को छोड़ते नही और ..दूसरे आप इतनी इतनी बार रीपीट काहे करते हो भाई?इधर नयूज वाले सारे दिन कहते है देखिये क्या होगा राखी का?कौन बनेगा दूल्हा?एक चैनल ने तो ख़बर चला दी ...राखी के सवयम्बर .का रिजल्ट आउट!!!!!और ऊपर से .सारे दिन आते ये ........ऐड...!!!क्या करे दर्शक????मैं पूछना चाहता हूँ की इन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?ये समाज को क्या देना चाहते है...?विदेश में परिवेश अलग है ..वहां के हिट शो यहाँ भी हिट होंगे .....ये जरूरी तो नहीं?फ़िर इनकी भोंडी नक़ल करने का क्या तुक?????हमारे अपने देश में ऐसे अनेक विषय है जिन पर हजारों शो बन सकते है...फ़िर ये बेतुका प्रदर्शन क्यूँ????मुझे याद है दूरदर्शन के वो दिन ..जब एक पत्र के लिखने से कार्यकर्म बदल जाता था.....!उन दिनों आन्मे वाला सुरभि नामक सीरीयल तो लोग आज भी याद करते है .......!और एक ये सीरीयल है जिनसे हर कोई बचना चाहता है....!.केवल हल्ला करने से कोई सीरीयल हिट नहीं होता है और ना ही ये लोकप्रियता का कोई पैमाना है !आख़िर समाज के प्रति कोई जवाब देही भी होनी चाहिए?? [फोटो-गूगल से साभार]
Wednesday, July 22, 2009
ये देश है मेरा...?

Wednesday, July 15, 2009
पधारो म्हारे देश...लेकिन....
Thursday, June 25, 2009
आख़िर हुआ क्या है युवाओं को..?
Tuesday, June 16, 2009
हम नहीं बदलेंगे?...

Thursday, June 11, 2009
क्यूँ बदल ग्या इंसान.....?

Friday, June 5, 2009
पर्यावरण और हमारा दायित्व....

जी हाँ ,आज पर्यावरण दिवस है...!हमेशा की तरह ही बड़ी बड़ी बातें,भाषण और ढकोसले होंगे !और लो .हो गया..अपना दायित्व पूरा....!लेकिन यदि हम थोड़ा सा भी .संजीदा हो तो बहुत कुछ कर सकते है...!हमें अपने जीवन में छोटी छोटी बातों का ध्यान .रखना है..जैसे की एक पेड़ कम से कम जरुर लगाना है !अब ये बहाना की जगह नहीं है,छोड़ना होगा!अपनी पृथ्वी बहुत बड़ी है..आप कहीं पर भी ये शुभ कार्य कर सकते है...!इसके साथ ही जो पेड़ पहले से ही लगे हुए है उनकी रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है..!आज शहर कंक्रीट के जंगल बन गए है,लेकिन फ़िर भी यहाँ कुछ पार्क आदि अभी बचे है,जिन्हें हम सहेज सकते है..!इसके अलावा खुले स्थानों पर गन्दगी फैलाना,कचरा डालना और जलाना,प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग करना..,भूमिगत जल को गन्दा करना आदि अनेक ऐसे कार्य है जिन पर हम स्वत रोक लगा सकते है!लेकिन हम .ऐसा ना करके सरकार के कदम का इंतजार करते है...!आज हम ये छोटे किंतु महत्त्व पूरण कदम उठा कर पर्यावरण सरंक्षण में अपना .अमूल्य योगदान दे .सकते...है...
Monday, June 1, 2009
धुम्रपान का विरोध जरूरी है....


धुम्रपान को .रोकने..के लिए सरकार ने एक बार फ़िर से पहल की है..!सरकार ने सिगरेट के पैकेट पर डरावने चित्र प्रदसित करने का फ़ैसला किया है...जो एक उचित निर्णय है..!लेकिन क्या इतना भर करने से लोग धुम्रपान करना छोड़ देंगे..??हरगिज नहीं...!इसके लिए हमें कुछ ठोस कदम उठाने होंगे...!सबसे पहले तो धुम्रपान का महिमंदन बंद करना होगा ..!आज सभी जगह धुम्रपान करना एक फैशन की तरह हो गया है....!सिगरेट पीने वालों को कम .आयु के लोग एक आदर्श मानने लग जाते है...!वे अपने आप को धुम्रपान करते समय बड़ा समझने लग जाते है..!बालीवुड फिल्मों में भी हीरो और विलेन सिगरेट के कश लगाते नज़र आते है...जिससे भी युवाओं पर बुरा असर पड़ता है...!इसके बाद सिगरेट पर टैक्स इतना बढ़ा देना चाहिए की महँगी होने की वजह से हर कोई इसे नहीं पी सके !साथ ही में सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान .न करने के नियम की भी कडाई से पालना होनी चाहिए...!सभी जगह धुम्रपान के विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए...!इस सब से धुम्रपान का प्रचार प्रसार कम होगा और कम से कम नए लोग इस और आकर्षित नहीं होंगे...!बाकी पीने वाले भी कुछ सबक जरूर लेंगे !धुम्रपान विरोधी अभियान के लिए बच्चों का साथ लेना भी एक अच्छा प्रयास हो सकता है...!बस .आव्सय्कता है एक उचित पहल करने की...
Sunday, May 17, 2009
किसकी सरकार है ये..?
Sunday, May 10, 2009
माँ तुझे सलाम.....

Saturday, May 2, 2009
ये बेलगाम बोलते नेता....
Tuesday, April 28, 2009
खुशबू बिखेरती..बेटियां..

Saturday, April 25, 2009
दो बच्चों की मौत से कुछ सीखें हम....
Sunday, April 19, 2009
क्यों बढ़ रहे है वृद्ध आश्रम...?

Friday, April 17, 2009
प्रतिभा पलायन क्यों....?
Thursday, April 16, 2009
बेटियां.....
पग पग संघर्ष करती है बेटियां... अजन्मी ही मरती है आज बेटियां... । कुछ न पाने की चाह में फूल सी खिली... आजन्म खुशबू बिखेरती है बेटियां.... बेटों की अभिलाषा में जीने वालो... बेटों से बढ़ कर होती है बेटियां... घर की या बहार सकी हो दुनिया,, विभिन् रंगों से संवरती है बेटियां॥ । पत्नी से माता बन,भाई की बन के बहना॥ । सभी रूपों में दर्द को सहजती है.बेटियां... चुनोतियों के हार पहन,ना हारने वाली... वक्त के हर साँचें में ढलती है बेटियां...
Wednesday, April 15, 2009
क्या है चुनावी मुद्दा...?
Tuesday, April 7, 2009
जूता नहीं है...ये...
Monday, April 6, 2009
ये हमारे नेता जी....
Sunday, April 5, 2009
आपकी.. माँ...हमारी माँ....
Thursday, April 2, 2009
देखिये...ये चुनाव है....
Sunday, March 22, 2009
पैसे के लिए कुछ भी करेगा...??

क्या हमारा क्रिकेट बोर्ड देश से भी ऊपर हो गया है? शायद हाँ...तभी तो वो आई पी एल को देश से बहार आयोजित करवाने पर .राजी..है..!उसके लिए देश के लोगों का कोई महत्त्व नहीं है...!दर्शक मैच देखना चाहे तो विदेश जाएँ या फ़िर टी वी पर देखें...!बोर्ड के पास इतना पैसा है की ..उसे दर्शकों से होने वाली आमदनी की कोई जरुरत नहीं है....!.इस...से ये सिद्ध हो गया है की ये सब पैसे का खेल है..और यदि सरकार बोर्ड को ना करेगी तो बोर्ड कुछ भी कर सकता है...!अब iस का नाम भले ही .इंडियन .प्रीमियर..लीग हो ये होगा इंडिया से .बाहर...!अब बेचारे नेता तो चाहते थे की ये चुनाव बाद हो क्यूंकि लोग उनका भाषण सुनने नहीं आयेंगे,रैलियों में नहीं आयेंगे...!लेकिन हो गया उल्टा....!अब .चुनाव..भी होंगे और आई पी एल भी होगा..!सरकार और बोर्ड की लड़ाई में देश जाए .पानी में...!पैसे के लिए हम तो कुछ भी करेगा...
Friday, March 20, 2009
किसका कसूर है ये....

Tuesday, March 17, 2009
जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है...?
Thursday, March 12, 2009
जैसा बोया..वैसा पाया....
Saturday, March 7, 2009
उसने मुझे जीना सिखाया.....
Friday, March 6, 2009
हम तो खेलेंगे होली.....
Wednesday, March 4, 2009
बेटियां.. क्यूँ समझे पराई....

जब भी किसी युवा जोड़े की शादी होती है तो उनकी आंखों में कितने अरमान होते है!जीवन की वास्तविकताओं से उनका पहला सामना तब होता है जब घर में नया मेहमान एक छोटा शिशु आता है!उनके लिए ये कोई मायना नहीं रखता की वह लड़का है या लड़की?वे उसे प्यार करते नही थकते....लेकिन यहीं से सब कुछ बदलना शुरू हो जाता है!यदि शिशु लड़की है तो अचानक बहुत से बुद्धिजीवी आ धमकते है जो माता को बार बार ये अहसास कराते है की ये लड़की है ..ध्यान रखो...!अब माता .पिता को ये लोग गाहे बगाहे ये टेंशन देते रहते है...लड़की को ज्यादा सर न चढाओ,इसके कपडों पर ध्यान दो,आख़िर ये लड़की है,ज्यादा मत .पढाओ......आदि..आदि...!सबसे ज्यादा समस्या तो .तब...खड़ी होती है..जब कोई महिला कार्यक्रम हो!यहाँ तो लड़की के माता पिता को इस तरह से ..दबाया....जाता है जैसे उन्होंने लड़का पैदा ना करके कितनी बड़ी भूल की हो?लड़कियां हमारी शान है..वो वे सब काम करके दिखा रही है,जिन पर कभी पुरुषों का आधिपत्य था....!बोर्ड एक्साम में लड़कियां हमेशा आगे रहती है..इसकी मिसाल के तौर पर बहुत लम्बी लिस्ट है..!बुढापे में जब माँ बाप को सब छोड़ जाते है...जब सब लड़के मिल कर भी उन्हें pआल नहीं सकते..तब लडकियां पराया धन होते हुए भी माँ बाप से जुड़ी रहती और उन्हें खुशी देने का भरसक प्रयत्न करती है....फ़िर क्यूँ समझे उन्हें .पराई....?क्यों?..क्यों?...क्यों जनम से ही उन पर पराई का ठप्पा लगा दिया जता है.....क्यों उन्हें बार बार लड़की होने का एहसास दिलाया जाता है..!क्या किरण बेदी,कल्पना चावला,इंदिरा गांधी या..लक्ष्मी बाई.के लड़की होने का हमे अफ़सोस है?????यदि नहीं तो फ़िर अपने घर में लड़की होने पर थाली क्यों न बजाये....!क्यों न हम उन्हें वे सब सुविधाएँ देन जो लड़कों को देते है क्यूंकि एक लड़की ही तो किसी की माँ,बहिन,भांजी,भतीजी,भाभी या फ़िर प्रेमिका बनेगी ...क्या इन रिश्तों के बिना जीना .सम्भव है...?फ़िर क्यूँ समझे इन्हे पराई..... !
Tuesday, March 3, 2009
दिल ढूंढता है.....

दिल ढूंढता है.......
दिल ढूंढता है....... वो बचपन का ज़माना.....जब सब बच्चे मिल कर उछल कूद करते हुए स्कूल जाते थे...रस्ते में आने वाली हर चीज़ का भरपूर लुत्फ़ उठाते हुए...!फ़िर शुरू होता स्कूल का कार्यकर्म ..कब शाम हो जाती पता ही नहीं चलता था...!सब अध्यापक कितने अपनेपन से पढाते थे...कभी उनको हमने या उन्होंने हमे पराया नही समझा....!फ़िर शाम को गाँव के रेतीले धोरों पर देर तक खेलना..आज भी याद है जब माँ हाथ पकड़ कर ले जाती थी तो ही खेलना बंद करते थे..!रात को दादा-दादी के सानिध्य में पढ़ते पढ़ते सो जाते थे...वो रातें कितनी अच्छी थी...!अलसुबह सब बच्चों को उठा दिया जाता था...फ़िर सबके साथ चाय पीना और मस्ती करना....!नहा धोकर गाँव के मन्दिर में जाना कहाँ भूलते थे हम....और मंगलवार को तो शाम का खेल छोड़ कर भी मन्दिर के बहार बैठे रहते थे....प्रसाद जो लेना होता था...कोई किसी प्रकार की टेंशन या भेदभाव नहीं था....रात को देर तक गाँव की गलियों में घुमते हुए कभी हमे डर नहीं लगा...!कभी कभी जब दूर निकल जाते तो कोई भी बुजुर्ग अपने बच्चों की तरह ही हमें दांत देता...कभी किसी को बुरा नहीं लगा...!किसी के घर भी जब कोई शादी होती तो वहीँ सब खाना खाकर सो जाते..कभी काम से परेशान नहीं हुए ...!आज सब कुछ है लेकिन वो चैन वो आराम वो शान्ति नहीं है.........उसकी तलाश में यहाँ वहां भटकते है...पर तनाव है की पीछा ही नहीं छोड़ता.....इसीलिए तो किसी ने क्या खूब कहा है..... शायद फ़िर से वो तकदीर मिल जाए, जीवन का सबसे हसीं वो पल मिल जाए, चल फ़िर से बनाए वो .रेत..का महल,शायद वापस अपना वो बचपन मिल जाए.... [yeduniyahai.blogspot.com]
Monday, March 2, 2009
अब कुछ करे भी .पाकिस्तान...
Sunday, March 1, 2009
आखरी ख़त...
आज कहीं पर एक रचना पढ़ी...अच्छी लगी इसलिए आप सब के सामने प्रस्तुत कर .रहा..हूँ.................................. पहचान को कोई नाम .ना...दो,स्वार्थ की ..seedhhi....................चढ़े रिश्ते,कभी आकाश की ख़बर नहीं रखते,चाय के प्याले में नहीं घुलेगी,हमारे दिलों की मेल,तेरा साथ एक ..नकली...सिक्के के अलावा कुछ भी नहीं,जो हर जगह जलील करता है,पथ के मुसाफिर जरूरी नहीं है,एक ही मंजिल के राही हो!तेरे ख़त के जवाब में बस इतना ही लिख रहा हूँ....!.
Saturday, February 28, 2009
पुराने खण्डहर...सहेज कर रखें....
थोड़ा समय निकाले .बच्चों...के लिए....
Wednesday, February 25, 2009
रिश्ते निभाइए......
जब से दुनिया बनी है तब से ही हम न जाने कितने रिश्तों को निभाते आयें है या यूँ कहिये कुछ को तो बस नाम के लिए ही बनाए रखते है....और जब रिश्ते .बौझ....बनने....लगे तब आवय्क्सकता पड़ती है नए रिश्तों की.और अब तो ये .फेशन....सा बन गया है.इसी आपाधापी में लोग किसी से कुछ भी रिश्ता बना लेते है जो किसी ना किस्सी सवार्थ से .बंधा....होता है....ये रिश्ते अपने काम को निकालने के लिए ही बनाए जाते है इसलिए इनमे .गंभीरता....बहुत कम रह पाती है.इन रिश्तों की आड़ में लोग असली रिश्तों को भूल जाते है या भुलाने की चेष्टा करते हैजिससे कई तरह की समस्याएँ खड़ी हो जाती है....कोई किसी का भी भाई बना बैठा है तो किसी ने चार चार भाइयों के होते हुए भी किसी अन्य को भाई बना रखा है.फ़िर ऐ धीरे इन की आड़ में अनैकिकता का घिनोना खेल शुरू हो जाता है तो फ़िर इन रिश्तों की मर्यादा ख़तम हो जाती है...ये तथाकथित भाई बहन जहाँ असली रिश्तों को कलंकित कर रहे है वहीँ समाज में भी अनातिकता फैला रहें है
नए ब्लोगर ध्यान.दे.....
Saturday, February 21, 2009
कब सुधरेंगे हम.....
Posted by RAJNISH PARIHAR 0 comments
Wednesday, February 18, 2009
और दिल टूट गया....
Monday, February 16, 2009
पाप और पुन्य....
Sunday, February 15, 2009
प्रतिभा किसी की बपौती नहीं.....
अब तो समझे हम....
